दिल्ली आबकारी नीति मामले में अरविंद केजरीवाल को ईडी का समन मिलने समेत अन्य खबरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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ईडी ने दिल्ली के कथित आबकारी नीति घोटाले के केस में पूछताछ के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तलब किया है. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, एजेंसी ने केजरीवाल को 21 दिसंबर पेश होने को कहा है. इससे पहले ईडी ने उन्हें नवंबर में भी तलब किया था, पर तब केजरीवाल इसे नजरअंदाज कर दिया था कि नोटिस ‘अस्पष्ट, प्रेरित और कानूनी के सामने न टिकने वाला’ था. अधिकारियों ने कहा कि ताज़ा समन आबकारी नीति मामले में पूछताछ और पीएमएलए के तहत अपना बयान दर्ज करने से संबंधित है. इससे पहले ईडी इस मामले में कथित संलिप्तता के लिए पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह जैसे  नेताओं को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है.

संसद में हुई सुरक्षा चूक को लेकर सरकार से बयान की मांग कर रहे लोकसभा और राज्यसभा के कुल 78 विपक्षी सांसदों को सोमवार को निलंबित कर दिया गया. रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, डीएमके के टीआर बालू और दयानिधि मारन और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सौगत रॉय सहित कुल 33 विपक्षी सदस्यों को सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के लिए लोकसभा से निलंबित कर दिया गया. इसके बाद राज्यसभा से भी कुल 45 सांसदों को शीतकालीन सत्र के शेष समय के लिए ध्वनि मत से निलंबित कर दिया गया. लोकसभा सांसदों के निलंबन की अवधि अलग-अलग है, जिनमें 30 सदस्यों को शेष शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है, जबकि तीन सदस्यों को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट लंबित रहने तक निलंबन का सामना करना पड़ेगा. निलंबन के बाद, विपक्षी सांसदों ने मोदी सरकार पर ‘निरंकुश’ होने का आरोप लगाया है. राज्यसभा सांसद और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि ‘तानाशाही मोदी सरकार द्वारा अभी तक 92 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर सभी लोकतांत्रिक प्रणालियों को कूड़ेदान में फेंक दिया गया है. विपक्ष-रहित संसद में मोदी सरकार अब महत्वपूर्ण लंबित कानूनों को बिना किसी चर्चा-बहस या असहमति से बहुमत के बाहुबल से पारित करवा सकती है.’

बीते सात महीनों से हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में एक प्रमुख नगा समूह- नगा पीपुल्स यूनियन-इंफाल (एनपीयूआई) ने दावा किया है कि इंफाल में रहने वाले नगा जनजातियों के सदस्यों को सशस्त्र बदमाशों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, कई महीनों से चल रही हिंसा में नगा, जो राज्य की आबादी का लगभग 24% हिस्सा हैं, मोटे तौर अप्रभावित रहे हैं, लेकिन हाल के हफ्तों में वे निशाने पर आ गए हैं. एनपीयूआई के अध्यक्ष एम. नगारनमी ने कहा कि बीते कुछ दिनों में इंफाल घाटी और आसपास की तलहटी में नगाओं को निशाना बनाया गया जहां सशस्त्र बदमाशों ने फिरौती के लिए नगा लोगों का अपहरण किया और नगाओं द्वारा चलाए जा रहे व्यापारिक प्रतिष्ठानों से जबरन वसूली की मांग की. 12 दिसंबर को 10-12 हथियारबंद बदमाशों ने इंफाल के इंडिया बाजार इलाके से चार नगा महिलाओं- एक ब्यूटी पार्लर की मालिक और तीन कर्मचारियों- का कथित तौर पर अपहरण कर 3-4 लाख रुपये की फिरौती न देने पर जान से मारने की धमकी दी. उसी दिन एक अन्य घटना में, इंफाल के चिंगमेइरोंग से आठ सशस्त्र बदमाशों ने एक अन्य ब्यूटी पार्लर के मालिक सहित सात नगा महिलाओं का अपहरण कर फिरौती के रूप में 5 लाख रुपये की मांगे थे. 11 दिसंबर को इंफाल  पश्चिम जिले में हरी वर्दी पहने छह-सात लोगों के एक समूह ने एक नगा ड्राइवर पर कथित तौर पर हमला किया था. 8 दिसंबर को बिष्णुपुर जिले में अज्ञात बदमाशों के एक समूह ने दो नगा लड़कियों पर हमला किया था.

गुजरात हाईकोर्ट ने एक हालिया मामले की सुनवाई में कहा कि बलात्कार, बलात्कार ही होता है, भले ही वह पीड़िता के पति द्वारा किया गया हो. बार एंड बेंच के अनुसार, हाईकोर्ट में जस्टिस दिव्येश जोशी ने अपने आदेश में यह भी जोड़ा कि कैसे दुनिया के कई देशों ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित किया है. अदालत ने अपनी बहू के साथ क्रूरता और आपराधिक धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार एक महिला की नियमित जमानत याचिका खारिज करते हुए ये टिप्पणियां कीं. आरोप यह भी है कि महिला के पति और बेटे ने बहू के साथ बलात्कार किया और पैसे कमाने के लिए पॉर्न साइटों पर वीडियो पोस्ट करने के लिए निर्वस्त्र कर वीडियो बनाए. जस्टिस जोशी ने कहा कि सामान्य तौर पर माना जाता है कि यदि पुरुष पति है और दूसरे पुरुष के जैसे करता है, तो उसे छूट दी जाती है. मेरे विचार से इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है. रेप, रेप है, चाहे वह किसी अन्य पुरुष द्वारा किया गया हो,  या पति द्वारा.’ अदालत ने यह भी जोड़ा कि लैंगिक हिंसा पर ‘चुप्पी’ तोड़ने की जरूरत है. भारत में अक्सर महिलाएं अपराधियों को जानती हैं लेकिन ऐसे अपराधों की रिपोर्ट करने की सामाजिक और आर्थिक ‘कीमत’ बहुत अधिक होती है.

दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ उनके बंगले को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे भाजपा के विधायकों को सोमवार को विधानसभा से मार्शलों द्वारा बाहर कर दिया गया. एनडीटीवी के अनुसार, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी के नेतृत्व में विधायकों ने कहा कि उन्होंने सीएम के बंगले के निर्माण के मुद्दे पर चर्चा के लिए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिया था, जिसे स्पीकर राम निवास गोयल ने खारिज कर दिया. इसके बाद भाजपा विधायकों ने विरोध शुरू कर दिया. भाजपा विधायकों का विरोध जारी रहने पर गोयल ने आदेश दिया कि बिधूड़ी के साथ-साथ अभय वर्मा, अजय महावर, मोहन सिंह बिष्ट, अनिल कुमार बाजपेयी, विजेंद्र गुप्ता, ओम प्रकाश शर्मा और जितेंद्र महाजन को मार्शल बाहर कर दें. भाजपा अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए दावा करती रही है कि 2020-22 के दौरान मुख्यमंत्री आवास के रेनोवेशन पर 45 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. आप ने इसे भाजपा द्वारा असल मुद्दों से ध्यान भटकाने का ज़रिया बताया है.

महाराष्ट्र में जेएसडब्ल्यू ग्रुप के सज्जन जिंदल के ख़िलाफ़ रेप केस दर्ज किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, शिकायतकर्ता महिला उनकी शिकायत की जांच की याचिका लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंची थीं. शिकायतकर्ता के अनुसार, कथित घटना जनवरी 2022 में बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में जेएसडब्ल्यू समूह के मुख्यालय के ऊपर बने पेंटहाउस में हुई. उन्होंने एफआईआर में जबरन ओरल सेक्स का मामला दर्ज कराया है. एफआईआर में कहा गया है कि एक बड़े कारोबारी के तौर पर जिंदल के रसूख के कारण वे शुरू में शिकायत दर्ज करवाने को लेकर झिझक रही थीं, लेकिन अंततः परिजनों के आग्रह पर 16 फरवरी, 2023 को उन्होंने शिकायत दर्ज की. उनकी शिकायत में कहा गया है कि इसके जवाब में, सज्जन जिंदल ने कथित तौर पर शिकायत वापस लेने के बदले में पैसे देने की पेशकश का प्रयास किया. उनके वकील के अनुसार, पुलिस ने उनकी शिकायत ठंडे बस्ते में डाल दी और ‘मामले को लगभग एक साल तक लटकाया’, जिसके चलते उन्हें मदद के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. उधर, रविवार (17 दिसंबर) को अपनी ‘निजी क्षमता’ में जारी एक बयान में सज्जन जिंदल ने आरोपों का खंडन करते हुए उन्हें ‘झूठा और बेबुनियाद’ बताया है. उन्होंने जोड़ा कि ‘वे जांच में पूरा सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’

2020 दिल्ली दंगों के मामलों में दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करने वाले स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अमित प्रसाद ने इस्तीफा दे दिया है. लाइव लॉ के अनुसार, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना को भेजे गए इस्तीफे में उन्होंने कहा कि वे तीन सालों से दिल्ली दंगे के मामलों को देख रहे थे पर आगे ऐसा नहीं कर सकेंगे और इसलिए तत्काल प्रभाव से  इस्तीफा दे रहे हैं. बताया गया है कि प्रसाद श्रद्धा वाकर हत्या मामले में में स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर बने रहेंगे. प्रसाद ने बताया है कि ‘[उनकी] निजी प्रैक्टिस और दिल्ली दंगों के मामलों के बीच बहुत टकराव हो रहा था’ और ‘श्रद्धा वाकर मामले में [उनका] बहुत समय और ऊर्जा लग रही थी.’ द वायर ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि साल 2020 की सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें अदालतों ने ‘पक्षपातपूर्ण’, ‘अनुचित’ जांच के लिए दिल्ली पुलिस को आड़े हाथ लिया है.