यूपी: रेप केस में 25 साल की सज़ा पर भी भाजपा विधायक अब तक विधानसभा से अयोग्य घोषित नहीं हुए

नाबालिग से बलात्कार के मामले में सोनभद्र ज़िले से भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को 15 दिसंबर को 25 साल की सज़ा सुनाई गई थी, लेकिन अब तक उत्तर प्रदेश विधानसभा ने उन्हें अयोग्य घोषित नहीं किया है. इसके विपरीत पिछले साल विपक्षी सपा विधायकों के आपराधिक मामलों में दोषसिद्धि के बाद उन्हें अयोग्य घोषित करने में काफी तत्परता दिखाई गई थी.

रामदुलार गोंड. (फोटो साभार: फेसबुक)

नाबालिग से बलात्कार के मामले में सोनभद्र ज़िले से भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को 15 दिसंबर को 25 साल की सज़ा सुनाई गई थी, लेकिन अब तक उत्तर प्रदेश विधानसभा ने उन्हें अयोग्य घोषित नहीं किया है. इसके विपरीत पिछले साल विपक्षी सपा विधायकों के आपराधिक मामलों में दोषसिद्धि के बाद उन्हें अयोग्य घोषित करने में काफी तत्परता दिखाई गई थी.

भाजपा विधायक रामदुलार गोंड. (फोटो साभार: फेसबुक पेज)

नई दिल्ली: वर्ष 2014 में सोनभद्र में एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार के मामले में उत्तर प्रदेश की एक अदालत द्वारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक रामदुलार गोंड को 25 साल की सजा सुनाए हुए 3 दिन बीत चुके हैं.

उन्हें बलात्कार, आपराधिक धमकी और यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा अधिनियम (पॉक्सो) के तहत दोषी ठहराया गया था.

अदालत द्वारा भाजपा विधायक को दोषी ठहराए जाने के बावजूद उत्तर प्रदेश विधानसभा ने अभी तक गोंड को अयोग्य घोषित करने के लिए कदम नहीं उठाया है. इसके विपरीत पिछले साल विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायकों के आपराधिक मामलों में दोषसिद्धि के बाद उन्हें अयोग्य घोषित करने में काफी तत्परता दिखाई गई थी.

गोंड सोमभद्र के दुद्धी विधानसक्षा क्षेत्र से विधायक हैं. दुद्धी सीट अनुसूचित जनजाति समुदाय से संबंधित सदस्यों के लिए आरक्षित है.

अतिरिक्त जिला न्यायाधीश एहसान उल्लाह खान की सांसद/विधायक अदालत ने बीते 12 दिसंबर को गोंड को दोषी ठहराया था. उन पर 2014 में एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार का आरोप था. उस समय उनकी पत्नी ग्राम प्रधान हुआ करती थीं.

15 दिसंबर को अदालत ने गोंड को 25 साल के कारावास की सजा सुनाई और 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 के अनुसार, अगर कोई सांसद/विधायक दो या दो से अधिक वर्षों के कारावास की सजा पाता है तो वह सजा सुनाए जाने की तारीख से अयोग्य हो जाएगा और जेल से रिहाई के बाद अगले छह वर्षों तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य रहेगा. गोंड 2022 में पहली बार विधायक निर्वाचित हुए थे.

उन्हें अयोग्य घोषित न किए जाने को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी सवाल उठा चुके हैं.

यादव ने 16 दिसंबर को सोशल साइट एक्स पर लिखा था, ‘बलात्कार के मामले में भाजपा के दुद्धी (सोनभद्र) के विधायक को 25 साल की सजा व 10 लाख रुपये का जुर्माना हुआ है, फिर भी अब तक विधानसभा की सदस्यता रद्द नहीं हुई है. कहीं उन्हें भाजपाई विधायक होने की वजह से विशेष आदर और अभयदान तो नहीं दिया जा रहा है. जनता पूछ रही है कि बुलडोजर की कार्रवाई आज होगी या कल?’

यह पहली बार नहीं है जब उत्तर प्रदेश में विपक्षी दल विधानसभा द्वारा विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने के संबंध में दोहरे मापदंड अपनाए जाने पर सवाल उठा रहा हो.

15 फरवरी को वरिष्ठ सपा नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम की विधायकी रामपुर के सुआर निर्वाचन क्षेत्र से शून्य घोषित कर दी गई थी. उन्हें मुरादाबाद की एक अदालत ने दो साल के कारावास की सजा सुनाई थी, दो ही दिन बाद यूपी सचिवालय ने उनकी अयोग्यता को लेकर अधिसूचना जारी कर दी थी. अब्दुल्ला पर लोकसेवक को अपने कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने का आरोप था.

वहीं, आजम खान की अयोग्यता संबंधी अधिसूचना एक ही दिन के भीतर 28 अक्टूबर 2022 को जारी कर दी गई थी. उन्हें अक्टूबर 2022 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अभद्र भाषा के इस्तेमाल के मामले में दोषी ठहराया गया था. बाद में एक अदालत ने सजा के इस फैसले को रद्द कर दिया था.

इसके विपरीत, भाजपा विधायक विक्रम सैनी को दोषसिद्धि के लगभग एक महीने बाद 7 नवंबर 2022 को अयोग्य घोषित किया गया था. उन्हें मुजफ्फरनगर की एक अदालत ने 2013 की मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा के दौरान एक नफरती भाषण के मामले में दो साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी.

सांसद/विधायक अदालत ने खतौली विधायक सैनी को 11 अक्टूबर 2022 को दोषी ठहराया था.

सैनी को अयोग्य घोषित किए जाने से हफ्ते भर पहले सपा के गठबंधन सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भी लिखा था और भाजपा विधायक को अयोग्य घोषित करने में हो रही देरी पर सवाल उठाए थे, जो कि आजम खान को अयोग्य घोषित करने में दिखाई गई तेजी के बिल्कुल विपरीत था.

बता दें कि तीनों मामलों में अयोग्यता को सजा घोषित होने वाले दिन से ही लागू किया गया था.

इससे पहले यूपी की भाजपा सरकार में भाजपा के एक और विधायक को बलात्कार के मामल में दोषी ठहराया गया था और उन्हें विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

फरवरी 2020 में योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल के दौरान उन्नाव के बांगरमऊ विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को एक नाबालिग से बलात्कार के मामले में आजावीन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

गोंड की अयोग्यता से राज्य के राजनीतिक समीकरणों पर कोई फर्क नहीं पड़ता है, क्योंकि दुद्धी विधानसभा क्षेत्र राज्य की 403 सदस्यीय विधानसभा में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित दो सीटों में से एक है.

गोंड को हटा भी दें तो भाजपा के पास 253 विधायक हैं, जो बहुमत के लिए जरूरी 202 की संख्या से कहीं ज्यादा है. अगर हम भाजपा के सहयोगियों अपना दल (सोनीलाल) (13), निषाद पार्टी (6) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (6) की सीटें जोड़ दें तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की संख्या 278 हो जाती है.

दूसरी ओर, सपा के पास 109 विधायक हैं, जबकि उसकी सहयोगी रालोद के पास 9 विधायक हैं. कांग्रेस और कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के पास दो-दो सीटें हैं.

2007 से 2012 तक पूर्ण बहुमत के साथ यूपी पर शासन करने वाली बहुजन समाज पार्टी एक विधायक के साथ राज्य विधानसभा में सबसे छोटी पार्टी है.

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