लोकसभा और राज्यसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, 19 से 21 नवंबर के बीच- जब कुल 146 निलंबित सांसदों में से 54 को निलंबित किया गया था- दंडित सदस्यों द्वारा पूछे गए क्रमश: 132-132 प्रश्न दोनों सदनों से हटाए गए हैं.
नई दिल्ली: लोकसभा और राज्यसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, हाल ही में समाप्त हुए संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान तीन दिन में निलंबित विपक्षी सांसदों द्वारा पूछे गए कुल 264 प्रश्नों को दोनों ही सदनों की प्रश्न सूची से हटा दिया गया था.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, 19 से 21 नवंबर के बीच- जब कुल 146 निलंबित सांसदों में से 54 को निलंबित किया गया था- दंडित सदस्यों द्वारा पूछे गए क्रमश: 132-132 प्रश्न दोनों सदनों से हटाए गए थे.
इसी तरह, विभिन्न मंत्रियों से एक ही सवाल पूछने वाले सदस्यों के समूह से निलंबित सांसदों के नाम हटा दिए गए. यह दोनों सदनों द्वारा अपनी-अपनी वेबसाइटों पर साझा किए गए विवरण से पता चला है.
बता दें कि 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में हुई चूक पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से बयान की मांग करने पर 14 से 21 दिसंबर तक आठ दिनों की अवधि में रिकॉर्ड 146 सांसदों को दोनों सदनों से निलंबित कर दिया गया था. तीन लोकसभा सांसदों और 11 राज्यसभा सांसदों के मामलों को विशेषाधिकार समिति के पास भेजा गया था.
संसद सत्र के दौरान प्रश्नकाल और शून्यकाल सांसदों को प्रश्न पूछने और सरकार के खिलाफ विचार व्यक्त करने की अनुमति देते हैं.
दंडित सांसदों के लिए हाल ही में लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी एक परिपत्र में कहा गया है कि निलंबन अवधि के दौरान उनके नाम के तहत सूचीबद्ध किसी भी कार्य या उनके द्वारा पेश किए गए नोटिस पर विचार नहीं किया जाएगा.
सर्कुलर में कहा गया है, ‘निलंबन की अवधि के दौरान उनके द्वारा दिया गया कोई भी नोटिस स्वीकार्य नहीं है.’ सर्कुलर में निलंबित सांसदों पर अन्य प्रतिबंधों की एक श्रृंखला सूचीबद्ध की गई है. निलंबित सदस्यों ने संसद में प्रतिबंधों और उनके प्रश्नों को हटाने की आलोचना की है.
बीते सोमवार को शेष सत्र के लिए राज्यसभा से निलंबित किए गए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज कुमार झा ने कहा, ‘हमारी चिंताओं को दीर्घाओं, लॉबी या कक्षों तक सीमित न रखें. इसके बजाय सुनिश्चित करें कि उन चिंताओं का सार, जिसे एक प्रश्न के माध्यम से आकार दिया गया है, ख़त्म न हो जाए. यदि वह सार कम हो जाता है तो यह हम सभी के लिए एक गंभीर चिंता की निशानी है.’
शिक्षा मंत्रालय से दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों के ‘बड़े पैमाने पर हटाने’ संबंधी सवालात पूछने वाले झा ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार के कामकाज के बारे में गंभीर सवालों से बचने के लिए सांसदों को निलंबित करना सरकार का विशेषाधिकार या शायद उनकी इच्छा बन गई है.
सोमवार को निलंबित किए गए एक अन्य सांसद, माकपा के जॉन ब्रिटास ने कहा कि सामूहिक निलंबन और प्रश्नों को हटाना संसद की जवाबदेही को पूरी तरह से खत्म कर देता है. ब्रिटास ने कहा कि उन्होंने समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन पर कानून मंत्रालय से जानकारी मांगी थी.
पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए हाल ही में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से निष्कासित किए गए निलंबित लोकसभा सांसद दानिश अली ने कहा, ‘ये सवाल उस दिन नहीं पूछे जा रहे थे, जब हमें निलंबित किया गया. इन्हें पहले ही पूछ लिया गया था. हमें उन्हें लगभग दो सप्ताह पहले लिखित में देना होता है… यह सरकार ऐसा नहीं सोचती है कि वह संसद के प्रति जवाबदेह है.’
मालूम हो कि बीते 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में तब गंभीर चूक देखी गई थी, जब लोकसभा में दो व्यक्ति दर्शक दीर्घा से हॉल में कूदने के बाद गैस कनस्तर खोल दिए थे, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हो गई थी. मनोरंजन डी. और सागर शर्मा नामक व्यक्तियों ने भाजपा के मैसुरु सांसद प्रताप सिम्हा से लोकसभा में दाखिल होने के लिए विजिटर्स पास प्राप्त किया था.
इन दोनों आरोपियों के अलावा संसद परिसर में रंगीन धुएं का कैन खोलने और नारेबाजी करने की आरोपी नीलम आजाद और अमोल शिंदे को गिरफ्तार किया गया था.
इस मामले में विशाल शर्मा उर्फ विक्की नामक 5वां आरोपी बाद में गुड़गांव स्थित आवास आवास से पकड़ा गया. एक अन्य आरोपी ललित झा ने आत्मसमर्पण कर दिया था. झा के सहयोगी के तौर पर महेश कुमावत को भी गिरफ्तार किया गया है.