हरियाणा: लेक्चर के दौरान ‘डेटिंग प्रोफाइल दिखाने’ को लेकर जिंदल यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर पर केस दर्ज

हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया की शिकायत पर पुलिस ने ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी की एक प्रोफेसर के ख़िलाफ़ क्लास में एक डेटिंग ऐप पर छात्राओं की डेटिंग प्रोफाइल दिखाकर उनकी ‘गरिमा को ठेस पहुंचाने’ के आरोप में एफआईआर दर्ज की है.

(फोटो साभार: X/@OPJUniversity)

हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया की शिकायत पर पुलिस ने ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी की एक प्रोफेसर के ख़िलाफ़ क्लास में एक डेटिंग ऐप पर छात्राओं की डेटिंग प्रोफाइल दिखाकर उनकी ‘गरिमा को ठेस पहुंचाने’ के आरोप में एफआईआर दर्ज की है.

(फोटो साभार: X/@OPJUniversity)

नई दिल्ली: हरियाणा पुलिस ने सोनीपत स्थित ओपी जिंदल विश्वविद्यालय की एक प्रोफेसर के खिलाफ एक डेटिंग ऐप पर छात्राओं की डेटिंग प्रोफाइल दिखाकर उनकी ‘गरिमा को ठेस पहुंचाने’ के आरोप में एफआईआर दर्ज की है, जिनमें से कुछ फर्जी थीं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एफआईआर हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया की शिकायत पर आधारित है. प्रोफेसर समीना दलवई ने कथित तौर पर जेंडर विषय पर एक लेक्चर के दौरान विद्यार्थियों को कुछ डेटिंग प्रोफाइल दिखाए थे. लेक्चर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया गया था, जिसके आधार पर भाटिया ने सोनीपत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.

अपनी शिकायत में उन्होंने कहा कि दलवई ने छात्राओं की गरिमा को ठेस पहुंचाई, उनकी निजता का उल्लंघन किया और फर्जी एकाउंट का इस्तेमाल किया.

उन्होंने यह दावा भी किया कि विद्यार्थियों को कथित तौर पर डेटिंग ऐप्स पर दूसरों के नाम से एकाउंट बनाने के लिए मजबूर किया गया था.’

इससे पहले भाटिया ने कहा था कि एक फैकल्टी सदस्य द्वारा डेटिंग ऐप और अश्लील सामग्री के इस्तेमाल से छात्रों, विशेषकर छात्राओं की निजता और गरिमा से समझौता करना उत्पीड़न के समान है.

इंडियन एक्सप्रेस के समीना दलवई से संपर्क कियाकरने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.

हालांकि अख़बार से बात करते हुए विश्वविद्यालय के मुख्य संचार अधिकारी अंजू मोहन ने कहा, ‘हम जरूरत के हिसाब से अगली कार्रवाई करेंगे. पर अगला कदम क्या होगा, इसके बारे में अभी तक कुछ तय नहीं है.’

शिकायतकर्ता के अनुसार, वह एक गंभीर घटना को लेकर चेताना चाहती थीं, जिसने छात्राओं की गरिमा को ठेस पहुंचाई- साथ ही कक्षा में एक प्रोफेसर द्वारा डेटिंग ऐप – बम्बल प्रोफाइल-आईडी के अनधिकृत और धोखाधड़ीपूर्ण इस्तेमाल किया गया जहां कई छात्राओं प्रोफाइल दिखाए गए.

शिकायत में कहा गया है, ‘प्रोफेसर समीना ने कुलपति को के कारण बताओ नोटिस के जवाब में स्वीकार किया है कि वे एकाउंट बनाने में शामिल थीं. चौंकाने वाली बात यह है कि एचएससीडब्ल्यू अध्यक्ष को छात्रों द्वारा दी गई वीडियो गवाही उनकी स्वीकारोक्ति की पुष्टि करती है… यह रहस्योद्घाटन जबरन परेशान करने वाले पैटर्न का खुलासा करता है, क्योंकि छात्रों को कथित तौर पर किसी और के नाम से एकाउंट बनाने के लिए मजबूर किया गया था.’

हरियाणा महिला आयोग ने विश्वविद्यालय में व्याख्यान के संबंध में दलवई को कारण बताओ नोटिस भेजा था, जिसके बाद वीसी ने चेतावनी पत्र जारी किया, जिसमें कहा गया कि उनके ‘कृत्यों ने स्पष्ट रूप से विश्वविद्यालय की भावना को कमजोर किया है.’

द प्रिंट की एक रिपोर्ट बताती है कि यह मामला पिछले महीने ट्विटर पर ‘राम जन्मभूमि: द इंस्पिरेशन फॉर हिंदू रिसर्जेंस’ की लेखक रश्मि सामंत उठाया था. इसमें कथित तौर पर दलवई की कक्षा में एक छात्रा द्वारा बनाई गई एक क्लिप थी, जिसमें पढ़ाते समय डेटिंग ऐप उन्हें खोलते हुए दिखाया गया था.

उल्लेखनीय है कि रश्मि सामंत अपनी किताब ‘अ हिंदू इन ऑक्सफोर्ड’ को लेकर विवादों में आई थीं, जिसमें उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में भेदभाव होने का आरोप लगाया था. इस किताब का लोकार्पण भाजपा और आरएसएस के नेताओं द्वारा किया गया था.

जिंदल यूनिवर्सिटी को लेकर अपनी पोस्ट में सामंत ने रेनू भाटिया को टैग करते हुए लिखा था, ‘@JindalGlobalUNI के प्रोफेसर जो सोचते हैं कि ‘जय श्री राम’ बोलना समस्याग्रस्त है और हमास को छात्रों, जिन्हें वे कैंपस के दक्षिणपंथी कहकर स्टीरियोटाइप करना पसंद करती हैं, के द्वारा गलत तरीके से ‘ट्रोल’ किया जा रहा है, वे अपनी एक क्लास में डेटिंग ऐप बंबल (जैसे टिंडर) चलाती हुई दिखाई देती है. उनका क्लास में ‘राइट-लेफ्ट’ स्वाइप करना छात्रों को उस हद तक असहज करता है, जिसे उत्पीड़न कहा जा सकता है. (संलग्न चैट देखें) जो उत्पीड़न की सीमा तक है. मैं रेनू भाटिया से इस मुद्दे पर संज्ञान लेने का अनुरोध करती हूं.’

उन्होंने आगे लिखा था, ‘चैट से यह साफ़ है कि विद्यार्थी बोलने से डरते हैं क्योंकि उन्हें अपने मार्क्स को लेकर डर है. उत्पीड़न के साथ-साथ ब्रेनवॉश करना ऐसे राजनीतिक कार्यकर्ताओं की शिकारी मानसिकता को स्पष्ट करता है जो ‘शिक्षक’ के बने दिख रहे हैं. मैं बेहद निराश हूं. विश्वविद्यालय स्पष्ट रूप से पढ़ाई को छोड़कर हर चीज़ का केंद्र बन गया है.’

उन्होंने आगे यूनिवर्सिटी के चांसलर और सांसद नवीन जिंदल को टैग करते हुए लिखा, ‘अब समय आ गया है कि आप अपना घर ठीक करें. लगातार चुप्पी और ऐसे गंभीर मामलों को नजरअंदाज करने से सीखने के माहौल को लेकर व्यापक सवाल उठते हैं कि शिक्षा के नाम पर हमारे देश के युवाओं के साथ असल में क्या किया जा रहा है!’

3 नवंबर को किए गए रश्मि सामंत के ट्वीट के जवाब में रेनू भाटिया ने छात्रों से बात करने के लिए 7 नवंबर को विश्वविद्यालय का दौरा किया था, जिसके बाद कुलपति सी. राज कुमार द्वारा प्रोफेसर दलवई को एक कारण बताओ नोटिस (8 नवंबर) और एक ‘लेटर ऑफ वॉर्निंग‘ (13 नवंबर) भेजा गया.

प्रोफेसर दलवई के समर्थन में आगे आए शिक्षक और छात्र

द प्रिंट के अनुसार, इस बीच विश्वविद्यालय के जेंडर एंड सोसाइटी कोर्स पढ़ाने वाले कुछ फैकल्टी सदस्यों ने दलवई के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए कुलपति को पत्र लिखा है. प्रोफेसर दलवई जेंडर, सेक्शुअलिटी और कानून विशेषज्ञ हैं.

इन शिक्षकों ने कहा है, ‘हम, जेंडर एंड सोसाइटी के शिक्षक बीते दिनों हुए एक सोशल मीडिया लीक के संदर्भ में प्रोफेसर (डॉ.) समीना दलवई के समर्थन में यह ईमेल लिख रहे हैं हैं जो पिछले कुछ हफ्तों से हमारी सहयोगी और हमारे विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को गलत तरीके से प्रभावित कर रहा है. इस पत्र में हम डॉ. दलवई की क्लास के ‘सेफ स्पेस’ के उल्लंघन की ओर ध्यान दिलाना चाहते हैं, और पुष्टि करते हैं कि हम एक वैश्विक विश्वविद्यालय के रूप में, आंतरिक प्रक्रियाओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जारी रखते हैं जो फैकल्टी की शैक्षणिक स्वायत्तता को बचाते हुए छात्रों की चिंताओं के लिए जगह है.’

इस पत्र में आगे कहा गया है कि ‘प्रोफेसर (डॉ.) दलवई के खिलाफ बाहर शुरू हुआ बदनामी अभियान सेफ स्पेस की अवधारणा, शिक्षकों और छात्रों के बीच आपसी विश्वास और हमारी सहयोगी की प्रतिष्ठा को कमजोर करता है.’

उन्होंने यह भी जोड़ा है कि जेंडर एंड सोसाइटी पाठ्यक्रम में हमारा लक्ष्य हमारी कक्षा में सेफ स्पेस (सुरक्षित स्थान) बनाना है जहां विभिन्न अनुभव और पहचान वाले लोग किसी तरह के उत्पीड़न, भेदभाव या बुलीइंग के डर के बिना खुद को अभिव्यक्त कर सकें और एक-दूसरे के बारे में सीख सकें. हमारी क्लास की चर्चाओं और गतिविधियों की अनधिकृत रिकॉर्डिंग हमारे लेक्चर को अप्रासंगिक बना देती है और हमारे सीखने के उद्देश्यों को गलत तरीके से पेश करती है, जिससे हम सभी और विश्वविद्यालय को गलत तरीके से पेश किए जाने का खतरा होता है.’

शिक्षकों के साथ ही विश्वविद्यालय के छात्रों के एक समूह ‘संघर्ष’ ने भी इंस्टाग्राम पर दलवई के साथ एकजुटता जाहिर की है.

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