द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
भारतीय न्याय संहिता के तहत हिट एंड रन मामलों में जेल की सजा में बढ़ोतरी को लेकर के खिलाफ देशभर में ड्राइवरों ने विरोध प्रदर्शन किया है. लाइव मिंट के मुताबिक, सोमवार को महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में ट्रक ड्राइवरों और ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स द्वारा विरोध जताया गया. ज्ञात हो कि नया कानून ऐसे मामलों में दुर्घटनास्थल से भागने और घटना की रिपोर्ट न करने पर 10 साल तक की सजा और सात लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान करता है. आईपीसी में ऐसे मामलों में दो साल की सज़ा का प्रावधान था. विरोध करने वाले ड्राइवरों का कहना है कि कोई भी जानबूझकर दुर्घटना नहीं करता है और वे मौके से भागने को मजबूर हैं क्योंकि गुस्साई भीड़ उन्हें जान से मारने की धमकी देती है. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि नए प्रावधान ड्राइवरों को हतोत्साहित करेंगे और उन्हें अपनी नौकरी को लेकर डर में डाल देंगे. उनका कहना है कि किसी दुर्घटना में बहुत सारे कारक शामिल होते हैं और उनमें से कुछ ड्राइवर के नियंत्रण से परे होते हैं. अगर कोहरे आदि के चलते दृश्यता के कारण कोई एक्सीडेंट होती है, तो ड्राइवरों को ‘बिना किसी गलती के जेल में सड़ना’ पड़ेगा. ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस भी नए कानून के विरोध में हैं. इसका कहना है कि कानूनों के संदर्भ में हितधारकों से परामर्श नहीं लिया गया है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कनाडा में खालिस्तानी संगठनों के साथ भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के सहयोगी सतविंदर सिंह उर्फ गोल्डी बरार को यूएपीए के तहत आतंकवादी घोषित किया है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, बरार के खिलाफ इंटरपोल रेड नोटिस जारी है और वो कनाडा के ब्रैम्पटन शहर में रहता है और बिश्नोई गिरोह की गतिविधियों को संभालता है. गृह मंत्रालय का कहना है कि वह खालिस्तानी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) से जुड़ा है. पंजाब के फरीदकोट का रहने वाला बरार 2017 में छात्र वीजा पर कनाडा गया था. गोल्डी बरार ने लॉरेंस बिश्नोई गिरोह की तरफ से 29 मई, 2022 को पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला पर हमले की जिम्मेदारी भी ली थी. बरार कनाडा के 25 मोस्ट वॉन्टेड लोगों की सूची में भी शामिल है. बरार कथित तौर पर पंजाब में चलाए जा रहे एक जबरन वसूली रैकेट में भी शामिल है और माना जाता है कि युवा कांग्रेस नेता गुरलाल पहलवान की हत्या में भी उसका हाथ था.
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अंतरिम जमानत पर रिहा के एक संदिग्ध आतंकी के पैर में ट्रैकिंग करने वाली डिवाइस (जीपीएस एंकलेट) लगाई है. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, जम्मू-कश्मीर पुलिस का कहना है कि ऐसा अंतरिम जमानत पर बाहर आतंकी मामले के एक संदिग्ध की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किया गया है. इस तरह की डिवाइस के इस्तेमाल का यह दूसरा हालिया उदाहरण है. अख़बार ने बताया है कि बीते सप्ताह जम्मू एनआईए अदालत के आदेश पर उधमपुर जिले में खुर्शीद अहमद को शनिवार को पांव में ऐसी डिवाइस पहनाई गई थी. अहमद जम्मू के डोडा जिले का मूल निवासी है और उसे पिछले साल गिरफ्तार किया गया था. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने दावा किया कि वह जमानत पर रिहा यूएपीए संदिग्धों के लिए इस तरह के जीपीएस एंकलेट का उपयोग करने वाला देश का पहला सुरक्षा बल है. बीते साल 5 नवंबर को इसने एक आरोपी गुलाम मोहम्मद भट को पहली बार डिवाइस लगाया गया था. भट पर हिज्बुल मुजाहिदीन सहित विभिन्न आतंकी संगठनों के साथ कथित संबंधों के लिए मुकदमा चल रहा है. नवंबर महीने में ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों को पैरोल पर रिहा होने वाले कैदियों पर ट्रैकिंग उपकरणों का इस्तेमाल करने की सलाह दी थी.
साल 2018 में चुनावी बॉन्ड योजना शुरू होने के बाद से अब तक लगभग 16,000 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बिके हैं. रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने एक आरटीआई के जवाब में बताया है कि 2018 में चुनावी बॉन्ड योजना आने के बाद से 29 चरणों में 15,956.3096 करोड़ रुपये के बॉन्ड बेचे गए हैं. साथ ही यह भी बताया गया है कि दानदाताओं को बैंक को कोई सेवा शुल्क नहीं देना पड़ता, यहां तक कि बॉन्ड की छपाई लागत का भुगतान भी सरकार या करदाता वहन करते हैं. आरटीआई से यह भी पता चला है कि बेचे गए कुल बॉन्ड में से 23.8874 करोड़ रुपये के 194 बॉन्ड भुनाए नहीं गए और अंततः प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) में ट्रांसफर हो गए. अप्रैल 2017 से मार्च 2022 के बीच पीएमएनआरएफ को 2,065.69 करोड़ रुपये प्राप्त हुए.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि अदालतों को नाबालिगों से जुड़े यौन अपराध के मामलों को मशीनी तरह से नहीं निपटाना चाहिए. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने यह टिप्पणी ट्रायल कोर्ट द्वारा सामूहिक बलात्कार की कथित घटना की तारीख के संबंध में पीड़ित नाबालिग लड़की के बयानों में विसंगति के आधार पर आरोपी के सीसीटीवी फुटेज और कॉल डेटा रिकॉर्ड को संरक्षित करने की पीड़िता की याचिका को खारिज करने के आदेश पर की, जिसे पीड़िता ने चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि नाबालिगों से जुड़े यौन अपराध के मामलों में एफआईआर महज़ छपा हुआ कागज नहीं हैं, बल्कि उसका आघात बहुत बड़ा है. पीड़ित द्वारा भुगते गए ऐसे तनावपूर्ण और जीवन बदल देने वाले अनुभव को अदालतों द्वारा मशीनी तरीके से नहीं निपटाया जाना चाहिए. उक्त मामले को लेकर जस्टिस शर्मा ने कहा कि अदालतों को ऐसे पीड़ितों की भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक स्थिति के प्रति संवेदनशील रहना चाहिए क्योंकि उन्हें आघात के कारण घटना का सटीक विवरण देने में कठिनाई हो सकती है. इस मामले में पीड़िता की बहन के पति और उसके दो दोस्तों द्वारा कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया था. हाईकोर्ट ने जोड़ा कि नाबालिग मानसिक आघात झेल रही थी, जिसके कारण वह पुलिस को कथित घटना की सही तारीख बताने में असमर्थ थी और ट्रायल कोर्ट को ऐसे मामले में संवेदनशीलता और सहानुभूति बरतनी चाहिए थी.
उत्तर प्रदेश के बागपत ज़िले में छेड़छाड़ का विरोध करने पर दलित महिला को तेल की गर्म कड़ाही में धकेलने की घटना सामने आई है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, बीते 27 दिसंबर को एक तेल मिल के मालिक और उसके दो सहयोगियों ने एक महिला का यौन उत्पीड़न करने कोशिश की थी. इसका विरोध करने पर आरोपियों ने कथित तौर पर उसे गर्म तेल के कड़ाही में धकेल दिया. पुलिस ने बताया कि महिला के शरीर का आधा हिस्सा, पांव और हाथ जल गए हैं और उन्हें नई दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है. पुलिस के मुताबिक, तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.