जिंदल यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर के ख़िलाफ़ एफ़आईआर की 500 से अधिक शिक्षाविदों ने निंदा की

23 सितंबर 2023 को हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष की शिकायत पर पुलिस ने ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी की प्रो. समीना दलवई के ख़िलाफ़ क्लास में एक डेटिंग ऐप पर छात्राओं की प्रोफाइल दिखाकर उनकी ‘गरिमा को ठेस पहुंचाने’ के आरोप में केस दर्ज किया था. शिक्षाविदों ने कहा है कि उन्हें उनकी मुस्लिम पहचान और उनकी राजनीतिक मान्यताओं के लिए निशाना बनाया गया है.

/
(इलस्ट्रेशन: परिप्लब चक्रवर्ती/द वायर)

23 सितंबर 2023 को हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष की शिकायत पर पुलिस ने ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी की प्रो. समीना दलवई के ख़िलाफ़ क्लास में एक डेटिंग ऐप पर छात्राओं की प्रोफाइल दिखाकर उनकी ‘गरिमा को ठेस पहुंचाने’ के आरोप में केस दर्ज किया था. शिक्षाविदों ने कहा है कि उन्हें उनकी मुस्लिम पहचान और उनकी राजनीतिक मान्यताओं के लिए निशाना बनाया गया है.

(इलस्ट्रेशन: परिप्लब चक्रवर्ती/द वायर)

नई दिल्ली: 500 से अधिक शिक्षाविदों ने प्रोफेसर समीना दलवई के समर्थन में एक बयान पर हस्ताक्षर किए हैं, जो हरियाणा के सोनीपत स्थित ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में पढ़ाती हैं. हाल ही में उनके खिलाफ एक ऑनलाइन अभियान चलाने के साथ एफआईआर दर्ज की गई थी.

उनके खिलाफ कथित तौर पर ‘महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने’ के आरोप में किसी भी छात्र की शिकायत के बिना यह एफआईआर दर्ज की गई है.

हरियाणा पुलिस ने प्रोफेसर के खिलाफ एक डेटिंग ऐप बम्बल (Bumble) पर छात्राओं की डेटिंग प्रोफाइल दिखाकर उनकी ‘गरिमा को ठेस पहुंचाने’ के आरोप में एफआईआर दर्ज की है, जिनमें से कुछ फर्जी थीं. एफआईआर हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया की शिकायत पर आधारित है.

ऑनलाइन हमलों में दलवई को निशाना बनाने के लिए उनकी अल्पसंख्यक पहचान और राजनीतिक मान्यताओं का इस्तेमाल किया गया था.

प्रो. दलवई के समर्थन में जारी इस बयान पर रामचंद्र गुहा, नंदिता नारायण, अचिन वणिक, नंदिनी सुंदर, तनिका सरकार, हरबंस मुखिया सहित प्रसिद्ध शिक्षाविदों ने हस्ताक्षर किए हैं.

बयान में कहा गया है, ‘यह पत्र वैश्विक और राष्ट्रीय शैक्षणिक समुदाय की ओर से प्रो. समीना दलवई के समर्थन में जारी किया गया है. हम पिछले कई हफ्तों से उन्हें हुई परेशानी से बहुत चिंतित हैं. शिक्षा लोकतंत्र की भावना की कुंजी है. निरंकुश शासन, आलोचनात्मक सोच और इसे बढ़ावा देने वाले शिक्षकों से डरते हैं. भारतीय विश्वविद्यालयों पर लगातार हो रहे हमलों की श्रृंखला में प्रो. दलवई नवीनतम हैं.’

इसके मुताबिक, इसकी शुरुआत 7 नवंबर 2023 को फिलिस्तीन से जुड़े एक ईमेल के साथ हुई, जिसे यूनिवर्सिटी की फैकल्टी के भीतर साझा किया गया था. इसके बाद प्रो. दलवई को ‘हिंदू-फोबिक’ कहकर निशाना बनाया गया, हालांकि उनके इस ईमेल में विश्वविद्यालयों के सुरक्षित स्थान के भीतर विरोधी वैचारिक विचारों को सहन करने का आह्वान किया गया था.

बयान के अनुसार, ‘इसके 10 दिनों के बाद प्रो. दलवई की कक्षा का एक वीडियो सोशल साइट एक्स पर साझा किया गया, जिसमें डेटिंग ऐप ‘बम्बल’ पर चर्चा की जा रही थी. यह ‘लिंग और समाज’ को लेकर ‘इच्छा, सेक्शुऐलिटी और लिंग’ विषय के लिए एक कक्षा गतिविधि थी. दलवई तीसरे वर्ष के कानून के छात्रों को पढ़ा रही थीं. डेटिंग ऐप का उपयोग व्यावहारिक रूप से यह समझने के लिए एक अभिनव शिक्षण उपकरण के रूप में किया गया था कि कैसे शादी की तरह – आकर्षण और डेटिंग – जाति, वर्ग, धर्म, त्वचा के रंग, भाषाओं के पहचान चिह्नों का पालन करते हैं.

इसमें बताया गया कि 23 सितंबर 2023 की इस गतिविधि को प्रो. दलवई और अन्य छात्रों की जानकारी के बिना कक्षा में कुछ बदमाशों द्वारा रिकॉर्ड किया गया और फिलिस्तीन से जुड़े उनके ईमेल को शेयर करने के बाद नवंबर 2023 में सोशल मीडिया पर साझा किया गया था. इसके बाद हरियाणा महिला आयोग ने इस वीडियो के संबंध में जांच करने का फैसला किया.

शिक्षाविदों ने आगे कहा, ‘आयोग ने यूनिवर्सिटी का दौरा किया, यूनिवर्सिटी प्रशासन की उपस्थिति के बिना छात्रों की प्रतिक्रियाएं जानी गईं और फिर एक मीडिया ट्रायल में प्रो. दलवई को दोषी घोषित कर दिया गया. एक्स पर साझा किए गए पोस्ट सबूत बन गए, भावनात्मक भाषा ने तर्क की जगह ले ली, गोपनीय विश्वविद्यालय दस्तावेज सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिए गए. पूरी प्रक्रिया में कानूनी प्रक्रियाओं की घोर उपेक्षा और एक शातिर राजनीतिक एजेंडा दिखता है.’

बयान के मुताबिक, हम यह देखकर परेशान हैं कियूनिवर्सिटी ने सत्य, निर्दोष होने या अपराध स्थापित करने के लिए किसी उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया. बिना किसी पूछताछ या खुद का बचाव करने का अवसर दिए बिना प्रो. दलवई को ‘महिलाओं की गरिमा को नुकसान पहुंचाने’ और ‘धार्मिक और वैचारिक आधार पर छात्रों के साथ भेदभाव’ के दोहरे आरोपों पर कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. इस प्रकार राजनीतिक दबाव के आगे झुककर यूनिवर्सिटी ने अकादमिक स्वतंत्रता पर भविष्य में हमलों के लिए एक गंभीर मिसाल कायम की है.

शिक्षाविदों की ओर से कहा गया है, ‘प्रो. दलवई ने अपने लेखन और शिक्षण के माध्यम से लगातार सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है. वह एक नारीवादी लेखक हैं, जो जाति, वर्ग और धर्म से परे महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करती हैं. वह लगातार श्रमिक गरीबों, दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव को उजागर करती हैं. महिला आयोग द्वारा उन पर ‘महिलाओं की गरिमा को नुकसान पहुंचाने’ का आरोप लगाना पूरी तरह से हास्यास्पद है.’

आगे कहा गया, ‘हमारा मानना है कि उन लोगों द्वारा उनकी मुस्लिम पहचान और उनकी राजनीतिक मान्यताओं के लिए उन्हें निशाना बनाया गया है, जो भारत को संकीर्ण और अज्ञानी चश्मे से परिभाषित करते हैं. विडंबना यह है कि हरियाणा महिला आयोग ने उन पर महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया है, जबकि हरियाणा की महिला पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है. प्रो. दलवई के खिलाफ 22 दिसंबर 2023 को सोनीपत में एक भी छात्र शिकायतकर्ता के बिना एक एफआईआर दर्ज की गई थी.’

शिक्षाविदों ने पुलिस और न्यायपालिका सहित हरियाणा राज्य के संबंधित अधिकारियों से उनके खिलाफ चलाए जा रहे इस अभियान को समाप्त करने का आह्वान किया है.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें