एडिटर्स गिल्ड ने केंद्र से कहा- प्रसारण सेवा विधेयक ​‘अत्यधिक हस्तक्षेप​’ करने वाला है

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को पत्र लिखकर कहा है कि नया विधेयक ​‘संविधान द्वारा गारंटीकृत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता की भावना के प्रतिकूल​’ साबित होगा. गिल्ड को डर है कि विधेयक प्रसारण सलाहकार परिषद के माध्यम से ​‘व्यापक सेंसरशिप ढांचे​’ के निर्माण के लिए आधार तैयार करेगा.

(इलस्ट्रेशन: द वायर)

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को पत्र लिखकर कहा है कि नया विधेयक ​‘संविधान द्वारा गारंटीकृत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता की भावना के प्रतिकूल​’ साबित होगा. गिल्ड को डर है कि विधेयक प्रसारण सलाहकार परिषद के माध्यम से ​‘व्यापक सेंसरशिप ढांचे​’ के निर्माण के लिए आधार तैयार करेगा.

(इलस्ट्रेशन: द वायर)

नई दिल्ली: एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को पत्र लिखकर प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक-2023 के मसौदे को ​‘अस्पष्ट और अत्यधिक हस्तक्षेप​’ वाला करार दिया है.

एडिटर्स गिल्ड ने मंत्री से कहा कि नया विधेयक ​‘संविधान द्वारा गारंटीकृत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता की भावना के प्रतिकूल​’ साबित होगा.

गिल्ड ने आगामी कानून से जुड़ी चार प्रमुख चिंताओं को रेखांकित किया. गिल्ड ने कहा कि विधेयक के परिणामस्वरूप ​‘स्व-नियमन की मनमानी प्रणाली​​’ होगी, जो सामग्री मूल्यांकन समितियों के गठन को इस तरह से अनिवार्य करेगी, जिससे सरकार को उन समितियों पर अधिक नियंत्रण रखने की अनुमति मिल सके.

प्रेस निकाय को यह भी डर है कि यह विधेयक एक नौकरशाह के नेतृत्व वाली प्रसारण सलाहकार परिषद के माध्यम से ​‘व्यापक सेंसरशिप ढांचे​’ के निर्माण के लिए आधार तैयार करेगा, जिसे सामग्री की निगरानी और ब्लॉक करने का अधिकार होगा.

इसमें यह भी कहा गया कि विधेयक सरकार के लिए ​‘अस्पष्ट आधारों​’ पर चैनलों और कार्यक्रमों के प्रसारण को विनियमित करना या यहां तक कि प्रतिबंधित करना संभव बना देगा.

एडिटर्स गिल्ड को यह भी डर है कि सरकार को ​‘नियम-निर्माण में अत्यधिक प्रतिनिधित्व की अनुमति देने वाले प्रावधान समस्याग्रस्त हैं​’, इसका कारण यह है कि इनमें उन हितधारकों के लिए अनिश्चितता है, जो मसौदा विधेयक से प्रभावित हो सकते हैं और यह लोगों को परामर्श प्रक्रिया में सार्थक रूप से शामिल होने के लिए पूरी तरह से सूचित होने से रोकते हैं.

इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के साथ मिलकर गिल्ड ने विधेयक में उल्लिखित प्रत्येक खंड के लिए अपनी विशिष्ट चिंताओं के बारे में बताया. गिल्ड ने केंद्र से सभी हितधारकों के विचार व्यक्त करने तक विधेयक को स्थगित रखने का अनुरोध किया. सरकार पिछले साल 10 नवंबर से विधेयक के मसौदे पर विभिन्न हितधारकों की राय जान रही है.

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