सुप्रीम कोर्ट ने बीते 8 जनवरी को बिलकीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों की समय-पूर्व रिहाई का ख़ारिज करते हुए कहा था कि गुजरात सरकार के पास उन्हें समय से पहले रिहा करने की शक्ति नहीं है. रिहाई का आदेश रद्द करते हुए अदालत ने दोषियों को दो हफ़्ते के अंदर वापस जेल में सरेंडर करने को कहा था.
नई दिल्ली: साल 2002 में गुजरात दंगों के दौरान बिलकीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के कई सदस्यों की हत्या के दोषियों ने रविवार (21 जनवरी) रात गोधरा जेल में आत्मसमर्पण कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने बीते 8 जनवरी को इन 11 दोषियों की समय-पूर्व रिहाई को खारिज करते हुए कहा था कि गुजरात सरकार के पास उन्हें समय से पहले रिहा करने की शक्ति नहीं है. उनकी रिहाई का आदेश रद्द करते हुए अदालत ने दोषियों को दो हफ्ते के अंदर वापस जेल में सरेंडर करने को कहा था.
यह समयसीमा 22 जनवरी तक ही थी.
इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से आत्मसमर्पण के लिए और समय देने की गुहार भी लगाई थी, लेकिन बीते 19 जनवरी को अदालत ने उनकी इस मांग को अस्वीकार कर दिया था.
इन दोषियों में राधेश्याम शाह, जसवंत नाई, गोविंद नाई, केसर वोहनिया, बाका वोहनिया, राजू सोनी, रमेश चांदना, शैलेश भट्ट, बिपिन जोशी, प्रदीप मोढिया और मितेश भट्ट शामिल हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, दोषियों के आत्मसमर्पण को देखते हुए पंचमहल जिला पुलिस ने रविवार देर शाम से गोधरा उप-जेल के बाहर कर्मचारियों की कई टुकड़ियों को तैनात किया था. गोधरा उप-जेल के अधिकारियों ने पुष्टि की कि 11 दोषियों ने रविवार रात 11:45 बजे आत्मसमर्पण कर दिया.
ये दोषी रविवार आधी रात से कुछ समय पहले दो अलग-अलग वाहनों में दाहोद जिले के सिंगवाड़ से पंचमहल जिले के गोधरा उप-जेल पहुंचे थे.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषियों को वापस जेल में आत्मसमर्पण करने का निर्णय देने के बाद ऐसी खबरें सामने आई थीं कि ये अपने-अपने घरों पर नहीं हैं.
हालांकि बीते 19 जनवरी को दाहोद जिले की सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) बिशाखा जैन ने बताया था, ‘जब से सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया (8 जनवरी को गुजरात सरकार द्वारा दी गई छूट को रद्द कर दिया) तब से वे पुलिस की निगरानी में हैं. हमने उस दिन ही उन सभी से संपर्क किया और ऐसा नहीं लगा कि फैसले के बाद उनका संपर्क में नहीं रहने का कोई इरादा था.’
पांच महीने की गर्भवती बिलकीस बानो 21 वर्ष की थीं, जब 2002 में साबरमती ट्रेन नरसंहार के बाद भड़के दंगों के दौरान अपने परिवार के साथ रणधीकपुर गांव से भागते समय उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था. इस दौरान उनकी तीन साल की बेटी समेत परिवार के 14 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी.
मालूम हो कि 15 अगस्त 2022 को केंद्रीय गृह मंत्रालय से मंजूरी मिलने और अपनी क्षमा नीति के तहत गुजरात की भाजपा सरकार द्वारा माफी दिए जाने के बाद सभी 11 दोषियों को 16 अगस्त 2022 को गोधरा के उप-कारागार से रिहा कर दिया गया था.
वर्तमान में केंद्रीय गृह मंत्रालय अमित शाह के तहत आता है, जो साल 2002 के दंगों के समय गुजरात के गृह मंत्री थे.
बहरहाल सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में जेल से बाहर आने के बाद बलात्कार और हत्या के दोषी ठहराए गए इन लोगों का मिठाई खिलाकर और माला पहनाकर स्वागत किया गया था. भारतीय जनता पार्टी के एक नेता ने तो यहां तक कह दिया था कि वे ‘अच्छे संस्कारी ब्राह्मण’ हैं.
इस घटनाक्रम को लेकर कार्यकर्ताओं ने आक्रोश जाहिर किया था. इसके अलावा सैकड़ों महिला कार्यकर्ताओं समेत 6,000 से अधिक लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से दोषियों की सजा माफी का निर्णय रद्द करने की अपील की थी.
दोषियों को समय पूर्व रिहा किए जाने के बाद बिलकीस बानो सहित कई महिला कार्यकर्ताओं और राजनेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें छूट को अवैध ठहराया गया था और कहा गया था कि गुजरात सरकार के पास इसे देने का अधिकार नहीं था.
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