मेहसाणा ज़िले की घटना. मुस्लिम समुदाय के लोगों का आरोप है कि 21 जनवरी को हिंदुत्व समूहों ने राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह की पूर्व संध्या पर एक शोभा यात्रा निकाली थी, जो निर्धारित रूट से हटकर उनके इलाके से गुज़री. तब दोनों पक्षों के बीच झड़प होने के बाद दो नाबालिगों समेत 15 मुस्लिमों को गिरफ़्तार किया गया है.
मेहसाणा: उत्तरी गुजरात के मेहसाणा जिले के खेरालु में बेलिम वास, एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र है. यहां के लोग अपनी गतिविधियों और क्षेत्र में तैनात पुलिसकर्मियों की मौजूदगी को लेकर सचेत रहते हैं.
बीते 21 जनवरी को क्षेत्र के हिंदू निवासियों ने अयोध्या में राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह की पूर्व संध्या पर एक ‘शोभा यात्रा’ निकाली थी. स्थानीय लोगों का अनुमान है कि इस यात्रा में कम से कम 600-700 लोगों ने हिस्सा लिया था.
स्थानीय लोगों का कहना है कि शोभा यात्रा अपने निर्धारित रूट से हटकर उनके इलाके की एक मस्जिद तक पहुंच गई. स्थानीय मुसलमानों ने जुलूस में शामिल लोगों से आग्रह किया कि वे तेज संगीत न बजाएं और मस्जिद के बाहर पटाखे न फोड़ें. उनका कहना है कि शोभा यात्रा में शामिल लोगों ने इस बात को नजरअंदाज कर दिया.
फिर दोनों पक्षों के बीच गाली-गलौज शुरू हो गई, जो हिंसक हो गई. स्थानीय लोगों ने कहा कि शोभा यात्रा में भाग लेने वालों ने तलवारों, लाठियों और पत्थरों का इस्तेमाल किया. द वायर द्वारा देखे गए घटना के वीडियो में भी यह दिखाई दे रहा है.
मुस्लिम समुदाय के युवक और नाबालिग गिरफ़्तार
हिंसा बढ़ने पर मेहसाणा पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल कर भीड़ को तितर-बितर करना शुरू कर दिया. बेलिम वास के लोगों ने दावा किया कि पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यवहार और मारपीट की.
पुलिस ने 13 पुरुषों और दो नाबालिगों को गिरफ्तार किया है – सभी बेलिम वास से और मुस्लिम समुदाय से हैं.
मुस्लिम महिलाओं ने आरोप लगाया है कि पुलिस अधिकारियों ने कथित तौर पर उनके घरों में घुसकर तोड़-फोड़ की, उनके दरवाजे और गाड़ियों को तोड़ दिया.
रूबीना के 30 वर्षीय पति मोहम्मद हुसैन गिरफ्तार किए गए लोगों में से एक हैं. रूबीना ने द वायर को बताया कि हिंसा के तुरंत बाद उन्हें पकड़ लिया गया था. पुलिस ने हुसैन को उनके घर से खींचकर बुरी तरह पीटा था.
उन्होंने कहा, ‘उन्होंने हमारे गेट, दरवाजे तोड़ दिए और चारों ओर सब कुछ बिखेर दिया. जब महिलाओं ने विरोध किया तो उन्होंने हमें गिरफ्तार करने की भी धमकी दी.’
रूबीना के पति 12 अन्य मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ मेहसाणा की वसई जेल में बंद हैं. हुसैन अवसाद से पीड़ित हैं और वर्तमान में दवा पर हैं, जो उन्हें जेल में नहीं मिल सकती.
मोहम्मद सिद्दीक के 16 वर्षीय बेटे रहमतुल्ला को मेहसाणा पुलिस ने हिंसा के सिलसिले में उठाया था. उन्होंने कहा, ‘उन्होंने परिवार के किसी भी सदस्य को यह नहीं बताया गया कि वे हमारे गिरफ्तार रिश्तेदारों को कहां ले गए. आज पांच दिनों के बाद मुझे सूचित किया गया कि मामला स्पष्ट होने तक उसे बाल सुधार गृह में भेज दिया गया है.’
योजनाबद्ध और भड़काऊ शोभायात्रा
क्षेत्र के पूर्व पार्षद जुबैर बेलिम इस बात से हैरान हैं कि आमतौर पर शांतिपूर्ण रहने वाले खेरालु इलाके में इस तरह निशाना बनाकर कार्रवाई कैसे हुई.
उन्होंने कहा, ‘मुसलमान यहां अल्पसंख्यक हैं, लेकिन हमने कभी भी असुरक्षित महसूस नहीं किया है. चीजें बदल रही हैं. पिछले 10 वर्षों में वास्तव में हिंदू जुलूसों के निकलने के तरीके में बदलाव आया है. उनके पास तलवारें और डंडे थे और फिर उन्होंने पथराव किया.’
वे कहते हैं, ‘उन्होंने मेरे घर में एक टीवी तोड़ दिया गया. पास के एक भोजनालय को जला दिया. ये बहुत खतरनाक है. हमें उम्मीद थी कि मंदिर का जश्न मनाने के लिए रैली निकाली जाएगी, लेकिन इस तरह से निशाना बनाए जाने की उम्मीद नहीं थी.’
सुरक्षा कारणों से अपनी पहचान को प्रकाशित करने का अनुरोध करने वाले एक अन्य स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि उसके पास शोभा यात्रा में शामिल हुए जाने-माने और स्थानीय लोगों के वीडियो हैं, लेकिन वह पुलिस के सामने उनकी शिनाख्त नहीं करना चाहते, क्योंकि उनका एक बेटा गिरफ्तार किया जा चुका है.
उन्होंने द वायर को बताया, ‘मेरा बेटा अपने कॉलेज में एकमात्र मुस्लिम है. वह खेलों में स्वर्ण पदक विजेता है. विश्व हिंदू परिषद के गुंडों की उस पर लंबे समय से नजर थी, और अब वह गिरफ्तार कर लिया गया है.’
उन्होंने कहा, ‘मेरे पास स्थानीय लोगों के तलवार लहराते और हमारे घरों पर पथराव करते हुए वीडियो हैं, लेकिन मुझे डर है कि अगर मैंने हिंदुओं के खिलाफ रिपोर्ट की, तो या तो मुझे ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा या मेरे परिवार के सामने सुरक्षा संबंधी मसले खड़े हो जाएंगे. हम सभी जानते हैं कि यह एक सुनियोजित हमला था और इसका उद्देश्य हमें उकसाना था.’
उनकी पड़ोसी शाइस्ता भी इसी तरह तनाव में है. उनके पति वज़ीर मोहम्मद सादिक अली को इतनी बुरी तरह पीटा गया कि उनके सिर के पीछे छह टांके लगाने पड़े.
उन्होंने कहा, ‘पुलिस हर घर में घुस गई. वे मेरे पति को खींचकर ले गए और उन्हें बुरी तरह पीटा. उन्होंने हमारे सारे फोन भी ले लिए.’
चौथी कक्षा में पढ़ने वाली उनकी बेटी ने बताया कि कैसे वह हिंसा और अपने पिता की गिरफ्तारी के बाद से स्कूल जाने से बच रही है.
शोभा यात्रा में सशस्त्र लोग
बेलिम वास के लोगों ने द वायर के साथ वीडियो साझा किए हैं, जिसमें स्पष्ट रूप से राम मंदिर समारोह के उपलक्ष्य में निकाली गई शोभा यात्रा में पुरुषों को तलवारें और सरिये लहराते हुए देखा जा सकता है.
एक मुस्लिम महिला ने नाम न छापने के अनुरोध पर कहा, ‘उन्होंने मेरी चाय की दुकान में आग लगा दी और अंबिका होटल को भी जला दिया, जिसका मालिक एक हिंदू है, लेकिन उसे एक मुस्लिम चलाता था. उन्होंने हम लोगों में डर पैदा करने और नुकसान पहुंचाने के लिए अपना रास्ता बदल लिया था. इसके बावजूद एफआईआर में आरोपियों के तौर पर हमारे बेटों-भाइयों को नामजद किया गया है.’
मेहसाणा में राज्य रिजर्व पुलिस बल के कमांडेंट रुशिकेश बी. उपाध्याय ने द वायर से गिरफ्तार किए गए पुरुषों और नाबालिगों की संख्या की पुष्टि की. उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस तनाव घटाने के लिए ‘पीस कमेटी’ (शांति समिति) की बैठकें कर रही है. मामले की जांच जारी है.
द वायर ने शोभा यात्रा में भाग लेने वाले एक शख्स सचिनभाई बारोट से भी बात की. बारोट ने कहा कि सबसे पहले मुस्लिमों को ही शोभा यात्रा से दिक्कत थी. शोभा यात्रा के वीडियो में लोगों को तलवारें, सरिये और भगवा झंडे लहराते हुए देखा जा सकता है, हालांकि बारोट ने कहा कि वह हथियारों की मौजूदगी के बारे में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे.
स्थानीय लोगों ने दावा किया है कि वैसे तो वे शोभा यात्रा में शामिल हुए विहिप, भारतीय जनता पार्टी या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं का नाम नहीं बता सकते, लेकिन हिंसा के दिन हिंदुओं की लामबंदी के पीछे क्षत्रिय सेना और ठाकुर सेना जैसे स्थानीय हिंदुत्व समूह थे. उनका कहना है कि इन नए समूहों का उभार ऐसी प्रवृत्ति का संकेत देता है, जहां इस तरह स्थानीय स्तर पर मुस्लिम विरोधी कार्रवाई होती है.
गुजरात के विभिन्न इलाकों में ऐसी रैलियां/शोभा यात्रा निकाली गई थीं, जो हिंसा में बदल गईं. राम मंदिर समारोह का जश्न मनाने के लिए निकाली गईं ऐसी अधिकांश रैलियां पुलिस की अनुमति के बिना निकाली गईं. अहमदाबाद के जुहापुरा, देहगाम के करोली, आणंद के भाजीपुरा में भी ऐसी रैलियां निकलीं, जिसमें भीड़ को उकसाने का प्रयास किया गया.
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