पुणे यूनिवर्सिटी: नाटक पेश करते छात्रों पर हमले के बाद धार्मिक भावनाएं आहत करने का केस दर्ज

सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के ललित कला केंद्र द्वारा आयोजित नाटक 'रामलीला' विभिन्न भूमिकाएं निभाने वाले अभिनेताओं की मंच के पीछे की जाने वाली बातचीत पर आधारित था. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता द्वारा दर्ज कराई एफआईआर में इसे धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला बताया गया है.

सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय. (फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमंस)

सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के ललित कला केंद्र द्वारा आयोजित नाटक ‘रामलीला’ विभिन्न भूमिकाएं निभाने वाले अभिनेताओं की मंच के पीछे की जाने वाली बातचीत पर आधारित था. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता द्वारा दर्ज कराई एफआईआर में इसे धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला बताया गया है.

सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय. (फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमंस)

नई दिल्ली: पुलिस ने कहा कि सावित्रिबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय (एसपीपीयू) के एक विभागाध्यक्ष और पांच छात्रों को परिसर में ‘आपत्तिजनक दृश्यों’ के साथ एक नाटक का मंचन करके धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में शनिवार को गिरफ्तार किया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, शुक्रवार रात चतुरश्रृंगी पुलिस थाने में दायर एक शिकायत में पुणे के अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के नेता हर्षवर्धन हरपुड़े ने नाटक ‘जब वी मेट’ में भगवान राम और सीता के चित्रण पर आपत्ति जताई थी. हरपुड़े सहित एबीवीपी कार्यकर्ताओं के एक समूह ने कथित तौर पर शुक्रवार रात कार्यक्रम को बाधित किया था.

पुणे विश्वविद्यालय के ललित कला केंद्र, आधिकारिक तौर पर सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स द्वारा आयोजित यह नाटक ‘रामलीला’ में विभिन्न भूमिकाएं निभाने वाले अभिनेताओं की मंच के पीछे की बातचीत पर आधारित था.

ललित कला केंद्र के प्रमुख और 1997 से विश्वविद्यालय में थिएटर आर्ट्स के प्रोफेसर डॉ. प्रवीण दत्तात्रय भोले और पांच छात्रों को गिरफ्तार किया गया था, जिनके नाम भावेश राजेंद्र पाटिल, जय पेडणेकर, प्रथमेश सावंत, हृषिकेश दलवी और यश चिखले हैं. पाटिल ने नाटक लिखा और निर्देशित किया था, जबकि अन्य छात्र इसमें अभिनेता थे.

पुलिस ने कहा कि छह लोगों पर आईपीसी की धारा 295ए (धार्मिक मान्यताओं का अपमान करना), 294 (अश्लील कृत्य और गीत), 143/149 (गैरकानूनी सभा), 147 (दंगा करने की सजा), 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना) और सिगरेट तथा अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (सीओटीपीए)-2003 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

एफआईआर के मुताबिक, नाटक में एक पुरुष अभिनेता द्वारा निभाए गए सीता के किरदार के संवादों में ‘आपत्तिजनक और अपमानजनक’ शब्द थे. इसमें आरोप लगाया गया कि अभिनेता को मंच पर धूम्रपान करते हुए भी देखा गया. एफआईआर में कहा गया है कि जब हरपुड़े और कुछ अन्य लोगों ने आपत्ति जताई, तो अभिनेताओं और ललित कला केंद्र के अन्य छात्रों ने उनके साथ कथित तौर पर मारपीट की.

पुलिस ने छह आरोपियों को दोपहर में पुणे की एक अदालत में पेश किया. अदालत ने उन्हें मजिस्ट्रेट हिरासत में भेज दिया. इसके बाद, आरोपियों ने जमानत के लिए आवेदन किया.

हरपुड़े के वकील शिवम पोटदार ने तर्क दिया कि आरोपियों को जमानत नहीं दी जानी चाहिए, और दावा किया कि आपत्तिजनक नाटक के माध्यम से भावनाओं को आहत करके हिंसा भड़काने की संभावना है. लेकिन अदालत ने आरोपियों को जमानत दे दी.

पोटदार ने कहा, ‘आरोपियों को सप्ताह में दो बार पुलिस थाने में हाजिरी लगाने के लिए कहा गया है.’

उधर, विश्वविद्यालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में घटनाओं का आधिकारिक विवरण बताया गया. इसमें कहा गया, ‘उक्त नाटक की प्रस्तुति में कुछ सामग्री/भाषण आपत्तिजनक प्रतीत होते हैं. समझा जाता है कि इसको लेकर छात्रों के बीच कहा-सुनी हो गई. इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने हस्तक्षेप किया और पुलिस को बुलाकर शिकायत दर्ज कराई गई. पुलिस प्रशासन द्वारा कानूनी कार्रवाई की जा रही है. यह सुनिश्चित करना विश्वविद्यालय की भूमिका है कि कोई भी कानून अपने हाथ में न ले.’

एसपीपीयू के रक्षा और सामरिक अध्ययन विभाग के छात्र बालाजी मिसाल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ‘जब वी मेट’ शुक्रवार रात के लिए छात्रों का तीसरा नाटक था.

मिसाल ने कहा, ‘यह नाटक रामलीला अभिनेताओं के एक समूह के बारे में है जो राम, सीता, लक्ष्मण और रावण के पात्र निभा रहे हैं और ड्रेसिंग रूम में किसी अन्य अभिनेता के शामिल होने का इंतजार कर रहे हैं. जिस बातचीत को आपत्तिजनक बताया जा रहा है, वह ड्रेसिंग रूम में अभिनेताओं द्वारा आपस में की जाने वाली बातचीत थी. ‘

विवरण देते हुए उन्होंने कहा: ‘कुछ दृश्यों के बाद दर्शकों में से कुछ लोगों ने हंगामा शुरू करते हुए नाटक को रोकने की मांग की. अंधेरा था और अफरा-तफरी का माहौल बन गया. और इसी बीच आपत्ति जता रहे लोग मंच पर पहुंचे और वहां मौजूद छात्रों पर हमला कर दिया. विभागाध्यक्ष को हस्तक्षेप करने की कोशिश करते देखा जा सकता है लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. जल्द ही सुरक्षाकर्मियों ने पुलिस को बुलाया और सभी को थाने ले जाया गया.’

विश्वविद्यालय ने मामले की जांच के लिए एक सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक फैक्ट-फाइंडिंग समिति का गठन किया है. विश्वविद्यालय ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘किसी भी व्यक्ति, किंवदंती या ऐतिहासिक शख्सियत की नकल (पैरोडी) पूरी तरह से गलत और निषिद्ध है.’

इस बीच, शनिवार शाम को भाजपा से जुड़े प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स के साइन-बोर्ड पर स्याही पोतकर उसे खराब कर दिया, जिसके बाद कानून-व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने के लिए एसपीपीयू परिसर में भारी पुलिस बल तैनात किया गया.

प्रो वाइस चांसलर पराग कालकर ने कहा कि विश्वविद्यालय उक्त विभाग के प्रमुख के स्पष्टीकरण का इंतजार कर रहा है.