किसान आंदोलन: मोदी सरकार ने इंटरनेट पर प्रतिबंध के लिए ब्रिटिशकालीन क़ानून का उपयोग किया

किसानों के वर्तमान प्रदर्शन को देखते हुए केंद्र सरकार ने पटियाला, एसएएस नगर, बठिंडा, श्री मुक्तसर साहिब, मनसा, संगरूर और फतेहगढ़ साहिब में 20 थाना क्षेत्रों में इंटरनेट निलंबित कर दिया है. किसानों का समर्थन करने वाले सोशल साइट एक्स और फेसबुक पर एक दर्जन से अधिक एकाउंट सरकार के अनुरोध पर बंद कर दिए गए हैं.

प्रदर्शन के दौरान पंजाब के अंबाला में राजपुरा स्टेशन की रेल पटरियों पर डेरा जमाए किसान. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

किसानों के वर्तमान प्रदर्शन को देखते हुए केंद्र सरकार ने पटियाला, एसएएस नगर, बठिंडा, श्री मुक्तसर साहिब, मनसा, संगरूर और फतेहगढ़ साहिब में 20 थाना क्षेत्रों में इंटरनेट निलंबित कर दिया है. किसानों का समर्थन करने वाले सोशल साइट एक्स और फेसबुक पर एक दर्जन से अधिक एकाउंट सरकार के अनुरोध पर बंद कर दिए गए हैं.

प्रदर्शन के दौरान पंजाब के अंबाला में राजपुरा स्टेशन की रेल पटरियों पर डेरा जमाए किसान. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

नई दिल्ली: किसान अपना विरोध शुरू करने के लिए तैयार हैं, इसे देखते हुए पिछले हफ्ते पंजाब में इंटरनेट सेवाओं को अवरुद्ध करने की शक्तियां देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लागू किया गया कानून, एक ब्रिटिश युगीन कानून है.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘सार्वजनिक आपातकाल’ और ‘सार्वजनिक सुरक्षा’ के संदर्भ में नरेंद्र मोदी सरकार ने भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा) नियम, 2017 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए पिछले सप्ताह से पटियाला, एसएएस नगर, बठिंडा, श्री मुक्तसर साहिब, मनसा, संगरूर और फतेहगढ़ साहिब में 20 थाना क्षेत्रों में इंटरनेट निलंबित कर दिया गया है.

उल्लेखनीय है कि पंजाब सरकार के एक अधिकारी ने द हिंदू से पुष्टि की कि केंद्र सरकार के पास नियमों के तहत ऐसे आदेश जारी करने की शक्ति है और पंजाब सरकार ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई है. इस बीच भाजपा शासित हरियाणा सरकार ने राज्य में इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने के आदेश जारी किए हैं.


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दिसंबर 2021 को प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में संचार और सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति ने पाया था कि इंटरनेट शटडाउन का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, प्रेस की स्वतंत्रता, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रभाव पड़ता है.

शशि थरूर के नेतृत्व वाली इस समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘2017 के नियमों के तहत सार्वजनिक आपातकाल और सार्वजनिक सुरक्षा के आधार पर दूरसंचार/इंटरनेट शटडाउन का आदेश दिया जा सकता है. सार्वजनिक आपातकाल और सार्वजनिक सुरक्षा को 1885 के अधिनियम या 2017 के नियमों में परिभाषित नहीं किया गया है.’

इतना ही नहीं सोशल साइट एक्स (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) और फेसबुक पर एक दर्जन से अधिक एकाउंट, जो किसान संगठनों और यूनियनों के ‘दिल्ली चलो’ विरोध मार्च से पहले उनके आधिकारिक पेज के रूप में काम करते थे, को सरकार के अनुरोध पर भारत में बंद कर दिए गए हैं.


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किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के संयोजक सरवन सिंह पंढेर, भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू-शहीद भगत सिंह) के प्रवक्ता तेजवीर सिंह अंबाला, किसान नेता रमनदीप सिंह मान, बीकेयू क्रांतिकारी के सुरजीत सिंह फुल्ल, हरपाल संघा, हरियाणा के अशोक दनौदा जैसे प्रमुख किसान नेताओं के एक्स एकाउंट और फेसबुक पेज को रोक दिया गया है.

उन आधिकारिक पेजों, जिन्होंने आंदोलन का समर्थन किया और इस पर अपडेट पोस्ट किए – जैसे भवजीत सिंह द्वारा संचालित @Tractor2twitr_P, बीकेयू (शहीद भगत सिंह) और गुरमनीत सिंह मंगत द्वारा संचालित प्रगतिशील किसान मोर्चा – को भी सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया है.

बीकेयू (शहीद भगत सिंह) प्रमुख किसान संघों में से एक है, जो हरियाणा के अंबाला से किसानों के विरोध का नेतृत्व कर रहा था. स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पुनिया द्वारा संचालित पेज ‘गांव सवेरा’ और उनके निजी पेज को रोक दिया गया है. पुनिया को 2021 में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किया गया था.

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