किसानों ने केंद्र सरकार से कहा- एमएसपी की गारंटी पर अध्यादेश जारी करें, फिर बातचीत जारी रखें

शंभू बॉर्डर पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान मज़दूर मोर्चा ने कहा है कि अगर केंद्र सरकार किसानों के विरोध का समाधान करना चाहती है तो उसे तुरंत एक अध्यादेश जारी करना चाहिए, चर्चा इसके बाद भी की जा सकती है. इस बीच, केंद्र ने पंजाब के 20 थाना क्षेत्रों में इंटरनेट पर प्रतिबंध 24 फरवरी तक बढ़ा दिया है.

किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंढेर (बीच में). (फोटो साभार: एक्स/एएनआई वीडियोग्रैब)

शंभू बॉर्डर पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान मज़दूर मोर्चा ने कहा है कि अगर केंद्र सरकार किसानों के विरोध का समाधान करना चाहती है तो उसे तुरंत एक अध्यादेश जारी करना चाहिए, चर्चा इसके बाद भी की जा सकती है. इस बीच, केंद्र ने पंजाब के 20 थाना क्षेत्रों में इंटरनेट पर प्रतिबंध 24 फरवरी तक बढ़ा दिया है.

पंजाब-हरियाणा सीमा स्थित शंभू बैरियर पर प्रदर्शनकारी. (फोटो: विवेक गुप्ता)

नई दिल्ली: केंद्र के साथ महत्वपूर्ण बैठक से एक दिन पहले हरियाणा से लगी सीमा पर विभिन्न स्थानों पर डेरा डाले हुए पंजाब के प्रदर्शनकारी किसानों ने शनिवार (17 फरवरी) को केंद्र सरकार से फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी के लिए एक अध्यादेश लाने को कहा.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, शंभू बॉर्डर पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि अगर सरकार किसानों के विरोध का समाधान करना चाहती है तो उसे तुरंत एक अध्यादेश जारी करना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘अगर मोदी सरकार के इरादे समस्या के समाधान को लेकर स्पष्ट हैं तो वे एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी पर तुरंत अध्यादेश ला सकते हैं. चर्चा इसके बाद आगे बढ़ सकती है.’

यह उल्लेख करते हुए कि सरकार वर्तमान में ‘ए2 प्लस एफएल’ फॉर्मूले के आधार पर 23 फसलों के लिए एमएसपी की पेशकश करती है, पंढेर ने सुझाव दिया कि वह उसी फॉर्मूले के तहत एक अध्यादेश ला सकती है और फिर सी2+50% फॉर्मूले के आधार पर एमएसपी प्रदान करने पर विचार-विमर्श जारी रख सकती है.

केएमएम और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) – किसानों और खेतिहार मजदूरों के करीब 200 संगठनों के दो प्रमुख निकाय – ने अपनी मांगों को पूरा करने के लिए दबाव बनाने के लिए ‘दिल्ली चलो’ मार्च का आह्वान किया था.

13 फरवरी को जैसे ही पंजाब के किसान हरियाणा के साथ लगी अंतर-राज्यीय सीमाओं शंभू-अंबाला और खनौरी-जींद पहुंचे, उन्हें राज्य में प्रवेश करने से रोक दिया गया; वे तब से वहीं डेरा डाले हुए हैं.

हरियाणा सरकार ने मल्टी-लेयर बैरिकेड्स के साथ व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की थी. आंदोलनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और पानी की बौछार का इस्तेमाल किया गया.

किसान प्रतिनिधियों और केंद्रीय मंत्रियों के बीच चौथे दौर की बैठक 18 फरवरी (रविवार) को होनी है. शनिवार को अपने विरोध मार्च के पांचवें दिन किसान पंजाब-हरियाणा सीमा के शंभू और खनौरी इलाकों में डटे रहे और हालात शांत रहे.

पंजाब के सबसे बड़े संगठनों में से एक भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) से जुड़े किसान पंजाब के 13 जिलों में करीब दो दर्जन स्थानों पर टोल प्लाजा को मुक्त करके सीमा पर विरोध प्रदर्शन करने वालों के समर्थन में आ गए हैं.

इसके अलावा बीकेयू (उगराहां) के सदस्यों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं के आवासों के पास दो दिवसीय धरना शुरू किया.

वे फाजिल्का के पंजकोसी गांव में भाजपा पंजाब अध्यक्ष सुनील जाखड़ के आवास, पटियाला में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के आवास और बरनाला में पार्टी के वरिष्ठ नेता केवल ढिल्लों के घर के बाहर धरने पर बैठ गए.

हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन (चाढूनी) से जुड़े किसानों ने प्रदर्शनकारी किसानों को समर्थन देने के लिए कुरुक्षेत्र, यमुनानगर और सिरसा सहित कई स्थानों पर ट्रैक्टर मार्च निकाला.

इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चाढूनी ने कहा कि राज्य के लगभग सभी तहसील मुख्यालयों पर शांतिपूर्ण ट्रैक्टर मार्च निकाला गया. प्रदर्शनकारी किसानों का समर्थन करने के लिए एक रणनीति तैयार करने हेतु 18 फरवरी को कुरुक्षेत्र में किसानों और खेतिहार मजदूरों की एक ‘महापंचायत’ आयोजित की जाएगी.

केंद्र ने पंजाब के 20 पुलिस थानों में इंटरनेट प्रतिबंध 24 फरवरी तक बढ़ाया

इस बीच केंद्र सरकार ने शनिवार को किसान आंदोलन के मद्देनजर पंजाब के 20 पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र में इंटरनेट सेवाओं के निलंबन को 24 फरवरी तक बढ़ा दिया.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, संचार सुविधाओं पर यह रोक तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ प्रदर्शनकारी किसान नेताओं की तीसरे दौर की महत्वपूर्ण बैठक से एक दिन पहले लगाई गई है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 10 फरवरी और 12 फरवरी को इंटेलिजेंस ब्यूरो की सिफारिश के बाद पंजाब के सात जिलों में इंटरनेट सेवाओं को अवरुद्ध करने के लिए ब्रिटिशकालीन कानून भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया था.

शनिवार को गृह मंत्रालय ने ‘सार्वजनिक सुरक्षा बनाए रखने और सार्वजनिक आपातकाल को टालने के हित में’ 17 फरवरी की रात 12 बजे से 24 फरवरी की रात 12 बजे तक ‘इंटरनेट सेवाओं के अस्थायी निलंबन’ को बढ़ाने के नए आदेश जारी किए.

ये आदेश भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम के तहत बनाए गए दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा) नियम 2017 के तहत जारी किए गए.

हालांकि, कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है, लेकिन गृह मंत्रालय ने पहली बार 1885 अधिनियम के तहत राष्ट्रीय राजधानी के बाहर अपनी शक्ति का उपयोग किया है.

पड़ोसी राज्य हरियाणा में पंजाब की सीमा से लगे जिलों में इंटरनेट प्रतिबंध लगाने के आदेश राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए हैं.

जिन थाना क्षेत्रों में अगले कुछ दिनों तक इंटरनेट निलंबित रहेगा, वे हैं – पटियाला जिले के शंभू, जुल्कान, पासियां, पातरन, शत्रुना, समाना, घनौर, देवीगढ़ और बलभेरा; एसएएस नगर में लालरू; बठिंडा में संगत; श्री मुक्तसर साहिब में किल्लियांवाली; मानसा में सरदूलगढ़ और बोहा; संगरूर में खनौरी, मूनक, लेहरा, सुनाम, चाजी और फतेहगढ़ साहिब जिले में फतेहगढ़ साहिब थाना.

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