इज़रायल के लिए हथियार ले जाने वाले जहाजों के लिए काम नहीं करेंगे: जल परिवहन श्रमिक संघ

प्रमुख भारतीय बंदरगाहों पर लगभग 3,500 श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले वॉटर ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से कहा गया है कि उसने इज़रायल या किसी अन्य देश से हथियारबंद कार्गो को लोड या अनलोड करने से इनकार करने का फैसला किया है, जो फिलिस्तीन के साथ युद्ध का हिस्सा हो सकते हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Alexey Seleznev/CC BY 3.0)

प्रमुख भारतीय बंदरगाहों पर लगभग 3,500 श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले वॉटर ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से कहा गया है कि उसने इज़रायल या किसी अन्य देश से हथियारबंद कार्गो को लोड या अनलोड करने से इनकार करने का फैसला किया है, जो फिलिस्तीन के साथ युद्ध का हिस्सा हो सकते हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Alexey Seleznev/CC BY 3.0)

नई दिल्ली: वॉटर ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने घोषणा की है कि वह हथियार लेकर इजरायल जाने वाले किसी भी जहाज पर हथियार लोड या अनलोड करने से इनकार कर देगा.

यह फेडरेशन 11 प्रमुख भारतीय बंदरगाहों पर लगभग 3,500 श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करता है.

बीते 14 फरवरी को संगठन द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि उन्होंने ‘इजरायल या किसी अन्य देश से हथियारबंद कार्गो को लोड या अनलोड करने से इनकार करने का फैसला किया है, जो फिलिस्तीन से युद्ध के लिए सैन्य उपकरणों और उसके संबद्ध कार्गो का हिस्सा हो सकते हैं.’

फेडरेशन का कहना है, ‘बंदरगाह श्रमिकों के रूप में श्रमिक संघों का हिस्सा हमेशा युद्ध और महिलाओं तथा बच्चों जैसे निर्दोष लोगों की हत्या के खिलाफ खड़ा रहेगा. गाजा पर इजरायल के हालिया हमले ने हजारों फिलिस्तीनियों को भारी पीड़ा और नुकसान में डाल दिया है. माता-पिता बम विस्फोटों में मारे गए अपने बच्चों को पहचानने में असमर्थ हैं.’

जहाज को हथियार ले जाने में सक्षम बनाने में किसी भी भूमिका को देखते हुए, जो गाजा और विशेष रूप से राफा में युद्ध को बढ़ा सकता है, उन्होंने कहा है, ‘हमारे फेडरेशन के सदस्यों ने सामूहिक रूप से सभी प्रकार के हथियारयुक्त कार्गो के लिए काम करने से इनकार करने का फैसला किया है. इन हथियारों को लोड करने और इन्हें उतारने से संगठनों को निर्दोष लोगों को मारने में मदद मिलती है.’

फेडरेशन ने ‘तत्काल युद्धविराम का आह्वान किया है’.

प्रेस विज्ञप्ति में आगे कहा गया है, ‘जिम्मेदार ट्रेड यूनियन के रूप में हम शांति के लिए अभियान चलाने वालों के साथ अपनी एकजुटता की घोषणा करते हैं. हम दुनिया भर के मजदूरों और शांतिप्रिय लोगों से आजाद फिलिस्तीन की मांग के साथ खड़े होने का आह्वान करते हैं.’

द वायर से बात करते हुए चेन्नई से वॉटर ट्रांसपोर्ट फेडरेशन ऑफ इंडिया के महासचिव टी. नरेंद्र राव ने कहा, ‘हम वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस से संबद्ध हैं. गाजा युद्ध शुरू होने के बाद एथेंस में आयोजित विश्व ट्रेड यूनियनों की हालिया बैठक में हमने फिलिस्तीन के ट्रेड यूनियन प्रतिनिधियों का जोरदार स्वागत देखा, क्योंकि उन्होंने वास्तव में बताया कि वहां क्या चल रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘हमने निर्णय लिया कि हम अपना काम करेंगे और किसी भी हथियार से भरे जहाज का जिम्मा नहीं संभालेंगे, जिससे इजरायल को और अधिक महिलाओं और बच्चों को मारने में मदद मिलेगी, जैसा कि हम हर दिन समाचारों में देख और पढ़ रहे हैं.’

राव ने कहा कि उन्हें अब तक इजरायल के लिए जाने वाले किसी भी जहाज की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है, लेकिन वे ‘फिलिस्तीन के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए’ बयान जारी कर रहे हैं.

उन्होंने स्पष्ट किया कि वे फिलिस्तीनी लोगों पर इजरायल के युद्ध का समर्थन करने वाले किसी भी भविष्य के उद्यम का हिस्सा नहीं होंगे. उनके कार्यकर्ता ‘युद्ध को बढ़ावा देने वाली किसी भी चीज को लोड या अनलोड करने में मदद नहीं करेंगे’.

इस बीच हैदराबाद स्थित एक संयुक्त उद्यम, जिसमें अडानी समूह की नियंत्रण हिस्सेदारी है, ने 20 से अधिक सैन्य ड्रोन का निर्माण और इजरायली सेना को भेजा है.

अडानी-एलबिट एडवांस्ड सिस्टम्स इंडिया लिमिटेड ने हाल ही में हर्मीस ड्रोन जैसे ड्रोन सौंपे है. मालूम हो कि गाजा में इजरायली रक्षा बलों के सैन्य अभियान में हर्मीस ड्रोन का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप 10,000 से अधिक बच्चों सहित 28,000 से अधिक लोग मारे गए हैं.

इजरायल को 20 से अधिक हर्मीस 900 (एमएएलई) यूएवी की बिक्री – जिसके बारे में पहली बार 2 फरवरी को नीलम मैथ्यूज ने प्रसिद्ध रक्षा-संबंधी वेबसाइट शेफर्ड मीडिया के लिए की गई रिपोर्ट में बताया था – को अभी तक सार्वजनिक रूप से न तो भारत और न ही इजरायल ने स्वीकार किया है.

हालांकि, फरवरी की शुरुआत में अडानी समूह के सूत्रों ने ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत (क्योंकि वे मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं हैं) में द वायर से पुष्टि की थी कि उक्त निर्यात वास्तव में हुआ है.

1945 में स्थापित वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस ने बीते 13 फरवरी को फिलिस्तीन के लोगों के साथ एकजुटता का आह्वान करते हुए कहा था कि उनकी मांग है कि ‘संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय फिलिस्तीनी भूमि में इस नए नकबा को रोकने के लिए तत्काल निर्णय लेंगे.’

नकबा फिलिस्तीनियों का हिंसक विस्थापन और बेदखली है. साथ ही उनके समाज, संस्कृति, पहचान, राजनीतिक अधिकारों और राष्ट्रीय आकांक्षाओं का विनाश है.

संगठन ने साथ ही कहा था, ‘हम अमेरिका और उनके सहयोगियों के पाखंड की निंदा करते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय कानून और व्यवस्था के रक्षक होने का दिखावा करते हैं, लेकिन वे चुपचाप या खुले तौर पर इस नरसंहार का समर्थन करते हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘वर्ग-उन्मुख ट्रेड यूनियन आंदोलन एक बार फिर फिलिस्तीनी लोगों के साथ अपनी अटूट एकजुटता व्यक्त करता है और कब्जे के अंत और फिलिस्तीनी भूमि की मुक्ति तक हरसंभव तरीके से अपने कार्यों को तेज करने की तत्परता की पुष्टि करता है.’

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