मुंबई: राम मंदिर समारोह के विरोध में कथित पोस्ट पर आईआईपीएस का एक और छात्र गिरफ़्तार

इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज (आईआईपीएस) के एक छात्र को मुंबई पुलिस ने इसलिए गिरफ़्तार कर लिया है, क्योंकि उसने राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का संस्थान में जश्न मनाए जाने के ख़िलाफ़ विरोधस्वरूप वॉट्सऐप पर एक स्टोरी पोस्ट की थी.  इससे पहले 22 जनवरी को संस्थान के एक और छात्र को गिरफ़्तार किया गया था.

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आईआईपीएस परिसर में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की खुशी में लगे भगवा झंडे और पोस्टर. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज (आईआईपीएस) के एक छात्र को मुंबई पुलिस ने इसलिए गिरफ़्तार कर लिया है, क्योंकि उसने राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का संस्थान में जश्न मनाए जाने के ख़िलाफ़ विरोधस्वरूप वॉट्सऐप पर एक स्टोरी पोस्ट की थी.  इससे पहले 22 जनवरी को संस्थान के एक और छात्र को गिरफ़्तार किया गया था.

आईआईपीएस परिसर में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की खुशी में लगे भगवा झंडे और पोस्टर. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

मुंबई: मुंबई के गोवंडी पुलिस थाने ने 22 जनवरी को अयोध्या स्थित राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के जश्न के खिलाफ विरोधस्वरूप वॉट्सऐप पर एक स्टोरी पोस्ट करने के आरोप में इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज (आईआईपीएस) के 25 वर्षीय छात्र को गिरफ्तार किया है.

इस मामले में अब तक यह दूसरी गिरफ्तारी है.

एक अन्य छात्र, जिसने इस छात्र की पोस्ट का स्क्रीनशॉट पोस्ट किया था, को पुलिस ने 22 जनवरी को गिरफ्तार किया था. दो दिनों के बाद उसे जमानत पर रिहा भी कर दिया गया था.

छात्र के सहपाठियों के मुताबिक, 21 फरवरी की सुबह पुलिस आईआईपीएस परिसर पहुंची और 25 वर्षीय छात्र को गिरफ्तार कर लिया.

द वायर ने टिप्पणी के लिए संस्थान के निदेशक डॉ. एसके सिंह के साथ-साथ इसके मुख्य प्रशासक और रजिस्ट्रार प्रशांत बोर्डे से संपर्क किया.

बोर्डे, जिन्होंने कथित तौर पर पुलिस को परिसर में प्रवेश करने और छात्रों को गिरफ्तार करने की अनुमति दी थी, ने द वायर को बताया कि वह अस्पताल में हैं और बोलने की स्थिति में नहीं हैं.

गिरफ्तारी के बारे में द वायर के सवाल पर संस्थान के निदेशक डॉ. एसके सिंह ने कहा, ‘झूठी कहानी को बढ़ावा देने के बजाय तथ्यों को जानने के लिए कृपया आईआईपीएस जाकर देखें.’

जब उनसे पूछा कि क्या गिरफ्तारी की जानकारी सच नहीं है, तो सिंह ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया.

2 फरवरी को द वायर ने आईआईपीएस परिसर में दक्षिणपंथी छात्रों द्वारा मनाए गए उत्सव के बाद संस्थान में भड़के उन्माद के बारे में रिपोर्ट की थी.

छात्रों के एक समूह ने, जिनमें से ज्यादातर बहुजन समुदाय से हैं, निदेशक को एक पत्र सौंपा था, जिसमें परिसर में उत्सव की अनुमति देने के पीछे की समस्या की ओर इशारा किया गया था.

छात्रों का दावा है कि पत्र गोपनीय था और उनमें से कम से कम 35 ने हस्ताक्षर किए थे.

हालांकि, संस्थान हस्तक्षेप करने और छात्रों द्वारा उठाई गईं चिंताओं का कोई समाधान देने में विफल रहा, पत्र लीक हो गया और जल्द ही परिसर और बाहर दोनों जगह दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं तक पहुंच गया.

हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक महाराष्ट्र के दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले 23 वर्षीय छात्र, गिरफ्तार होने वाले पहले व्यक्ति थे.

पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153ए और 295ए लगाईं, जो क्रमश: समूहों के बीच द्वेष को बढ़ावा देने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने से संबंधित हैं.

छात्र ने कथित तौर पर उत्सव की आलोचना वाले पोस्ट का केवल एक स्क्रीनशॉट पोस्ट किया था.

पुलिस ने अपनी जांच के दौरान पोस्ट की उत्पत्ति का पता लगाया और दूसरे छात्र को कई बार पूछताछ के लिए बुलाया. मूल रूप से केरल का रहने वाला यह छात्र कुछ सप्ताह पहले ही अपने गृहनगर लौटा था.

उसके एक दोस्त और सहपाठी ने कहा, ‘वह (आईआईपीएस परिसर) वापस आया था, क्योंकि उसे मौखिक परीक्षा देनी थी और अपना शोध भी जमा करना था. जैसे ही वह लौटा, पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.’

केरल में छात्र के परिवार ने भी गिरफ्तारी की पुष्टि की है.

बहरहाल, निदेशक को लिखे अपने पत्र में छात्रों ने लिखा था, ‘आईआईपीएस एक बहुसांस्कृतिक परिसर है जो हर साल विभिन्न समारोहों का आयोजन करता है, जिनमें गणेश चतुर्थी, दशहरा, क्रिसमस आदि शामिल हैं, जो एक धर्मनिरपेक्ष युवा पीढ़ी को तैयार करने के वादे का प्रतीक है, जो भारत जैसे विविधतापूर्ण राष्ट्र-राज्य की समृद्धि में योगदान दे सकें.’

उन्होंने आगे लिखा था, ‘लेकिन राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का जश्न शुद्ध तौर पर विभिन्न संगठनों द्वारा आयोजित राजनीतिक एजेंडा है, जो आईआईपीएस जैसे संस्थान में जश्न मनाते समय छात्रों की धर्मनिरपेक्ष भावनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जहां इस तरह के समारोह नहीं किए जा सकते हैं.’

छात्रों ने परिसर में इस तरह के आयोजनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी और कहा था कि इस आयोजन में ‘नफरत और भय फैलाकर छात्र बिरादरी के बीच विभाजन को और गहरा करने’ की क्षमता है.

पत्र लीक होने के तुरंत बाद छात्रों ने दावा किया था कि उन्हें ‘राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की खुशी मनाने वालों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने’ के लिए माफी मांगने के लिए धमकाया गया था.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.