पारुल विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज कार्यक्रम में शामिल अफ्रीकी छात्रों के साथ नस्लीय भेदभाव और हमले की इस घटना ने एक्सचेंज कार्यक्रमों के तहत गुजरात आने वाले विदेशी छात्रों को लेकर चिंताएं पैदा कर दी हैं. इस विश्वविद्यालय का पहले भी विवादों का इतिहास रहा है.
नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज कार्यक्रम में शामिल अफ्रीकी छात्रों ने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें गुजरात में नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ेगा, लेकिन गुजरात के वडोदरा स्थित पारुल विश्वविद्यालय के परिसर में उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया, हाथापाई की गई और हमला किया गया.
नस्लीय भेदभाव और हमले की इस घटना ने एक्सचेंज कार्यक्रमों के तहत गुजरात आने वाले विशेष देशों के छात्रों को लेकर चिंताएं पैदा कर दी हैं.
छात्रावास परिसर में तीखी बहस और नस्लीय टिप्पणियों के बाद छात्रों पर हमला किया गया.
समाचार वेबसाइट वाइब्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कई प्रयासों के बावजूद पारुल विश्वविद्यालय के अधिकारियों से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी. यहां पारुल विश्वविद्यालय परिसर में स्थानीय और अफ्रीकी छात्रों के बीच विवाद का एक वीडियो सामने आया है.
#Foreign students assaulted at Parul University in Gujarat. These international students are at Parul University on an exchange programme.@ParulUniversity#paruluniversity #gujarat #vibesofindia pic.twitter.com/kJ5XuTt0X8
— Vibes of India (@vibesofindia_) February 22, 2024
वाइब्स ऑफ इंडिया फुटेज के सटीक दिन और समय की पुष्टि नहीं कर सका, लेकिन घटना की पुष्टि करता है.
विश्वविद्यालय के एक छात्र ने बताया कि संस्थान ने पुलिस से संपर्क नहीं किया और मामला आंतरिक रूप से ‘सुलझा’ लिया गया. छात्र ने बताया, ‘परिसर के किसी भी सुरक्षाकर्मी ने मामले में हस्तक्षेप नहीं किया.’
पारुल विश्वविद्यालय ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है. विश्वविद्यालय अपने भ्रामक दावों, कैंपस में घटित अप्रिया-घटनाओं और अनियमितताओं के लिए कुख्यात है.
2009 में स्थापित यह विश्वविद्यालय बार-बार किसी न किसी बात को लेकर विवादों में नजर आती रही है. यह कुछ महीने पहले पेपर लीक कांड के कारण खबरों में था, जिसके परिणामस्वरूप एक छात्र और एक कार्यालय सहायक की गिरफ्तारी हुई थी. दावा किया गया था कि विश्वविद्यालय के परीक्षा पत्र आसानी से खरीदे जा सकते हैं.
इससे पहले जनवरी 2022 में विश्वविद्यालय ने 40 छात्रों को एक महीने के लिए निलंबित कर दिया था, क्योंकि उन्होंने परिसर में कोविड-19 फैलने और विश्वविद्यालय द्वारा अधिक फीस वसूलने और ऑनलाइन कक्षाओं में गिरावट पर चिंता जताई थी.
फिर, जून 2022 में जब पूरा गुजरात कोविड-19 की चपेट में था और राज्य में 32,000 से अधिक सक्रिय मामले थे, पारुल यूनिवर्सिटी ने अपने छात्रों को कैंपस में रहने के लिए मजबूर किया. 65 से अधिक छात्र इस संक्रमण की चपेट में आ गए, लेकिन प्रबंधन ने हठ करते हुए ऑनलाइन कक्षाओं से इनकार कर दिया.
प्रबंधन की असंवेदनशीलता से नाराज छात्रों ने एकजुट होकर फैसले का विरोध किया. जवाब में प्रबंधन ने अपने सुरक्षा गार्डों को छात्रों को ‘सबक सिखाने’ का निर्देश दिया और छात्रों के साथ उन्होंने हाथापाई की.
अगले दिन छात्रों ने विश्वविद्यालय में ऑनलाइन शिक्षण शुरू करने की मांग को लेकर कैंपस में धावा बोल दिया. कैंपस के वीडियो में मुख्य भवन के बाहर छात्रों और सुरक्षा गार्डों के बीच झड़प होते दिखी.
पूर्व में वडोदरा में काम कर चुके एक आईएएस अधिकारी ने उस समय वाइब्स ऑफ इंडिया को पारुल यूनिवर्सिटी में चल रहीं कई अन्य अनियमितताओं की जानकारी दी थी, उन्होंने कहा था कि ‘उन्हें राजनीतिक आशीर्वाद प्राप्त है और इसलिए वे तीसरे दर्जे का शिक्षण संस्थान होने के बावजूद बच निकलते हैं.’
‘सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय’ की रैंकिंग और रेटिंग खरीदने के लिए कुख्यात पारुल विश्वविद्यालय को आयकर विभाग ने भी कम से कम 200 कॉलेज छात्रों के दस्तावेजों का दुरुपयोग करने के लिए अपने रडार पर रखा था. विश्वविद्यालय, जो स्वाभाविक रूप से प्रवेश के दौरान अपने छात्रों के सभी दस्तावेज एकत्र करता था, ने टैक्स बचाने के लिए कम से कम 178 छात्रों को ‘निदेशक’ और ‘ट्रस्टी’ बनाकर दिखा दिया.
उन्होंने ये फर्जी घोषणा-पत्र आयकर अधिकारियों के पास दाखिल किए. विभाग ने पारुल विश्वविद्यालय और पारुल आरोग्य सेवा मंडल के अध्यक्ष और ट्रस्टियों के खिलाफ बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज की है.
4 अगस्त 2003 से पारुल आरोग्य सेवा मंडल ट्रस्ट में अधिकारी रहे अतुल पंड्या से इस मामले में आयकर अधिकारियों ने आधिकारिक तौर पर पूछताछ की थी और उनके बयान भी फर्जीवाड़े की पुष्टि करने वाले थे.
विश्वविद्यालय की मैनेजिंग ट्रस्टी पारुल पटेल ने आयकर विभाग को दिए अपने दर्ज बयान में कबूल किया था कि विश्वविद्यालय के रजिस्टर में फर्जी कर्मचारियों को दिए गए वेतन के रूप में फर्जी खर्च दर्ज किए गए थे.
बता दें कि यूनिवर्सिटी की स्थापना जयेश पटेल ने की थी. राजनीति में भी दखल रखने वाले जयेश उस समय भाजपा में थे, जब उन्हें 2016 में एक छात्रा से बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
पारुल विश्वविद्यालय के नर्सिंग कॉलेज में पढ़ रही एक गरीब परिवार की 21 वर्षीय छात्रा अपने साथ बलात्कार के 24 घंटे के भीतर ही विश्वविद्यालय के संस्थापक और ट्रस्टी जयेश पटेल, जो उस समय 66 वर्ष के थे, के खिलाफ शिकायत करने के लिए बहादुरी से आगे आई. जयेश तब भाजपा में थे. पार्टी ने डीएनए प्रोफाइलिंग में बलात्कार की पुष्टि होने के बाद उन्हें तुरंत बर्खास्त कर दिया था.
बाद में उन्हें गुजरात पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. जयेश 2014 में भाजपा में शामिल हुए थे. अतीत में वह कांग्रेस सहित कई अन्य दलों में रहे. उन्होंने पूर्व में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ा था.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, होम्योपैथी में डिप्लोमा धारक जयेश वडोदरा के कोठी इलाके में एक क्लीनिक चलाते थे और उनका मुख्य पेशा कथित तौर पर 150 रुपये में अवैध गर्भपात कराना था.
इसके बाद उन्होंने अहमदाबाद में एक होम्योपैथी संस्थान की स्थापना की और अंतत: पारुल विश्वविद्यालय, जिसका नाम अपनी सबसे बड़ी बेटी के नाम पर रखा, का विशाल कैंपस खड़ा किया.
सनसनीखेज पारुल विश्वविद्यालय रेप केस में पुलिस ने तत्कालीन नर्सिंग हॉस्टल वार्डन भावना पटेल को भी गिरफ्तार किया था. भावना पर आरोप था कि उन्हें जयेश पटेल के पास नई लड़कियां लाने का काम सौंपा गया था. जयेश का स्पष्ट आदेश था कि उन्हें केवल 22 साल से कम उम्र की लड़कियों में दिलचस्पी है.
पुलिस में शिकायत दर्ज कराने वाली नर्सिंग छात्रा ने अपनी एफआईआर में कहा था कि भावना पटेल ही उसे एक रात जयेश के घर ले गई. जयेश ने धमकी दी कि अगर उसने बलात्कार की बात किसी को बताई तो उसे संस्थान से निकाल दिया जाएगा और परीक्षा में फेल कर उसका करिअर बर्बाद कर दिया जाएगा.
पुलिस ने उनके खिलाफ वाघोडिया पुलिस थाने में आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 323 (जान-बूझकर चोट पहुंचाना), 114 (अपराध के लिए उकसाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया था.
बाद में डीएनए जांच में बलात्कार की पुष्टि हो गई थी. मामले में फरार पटेल गिरफ्तार कर लिए गए. जयेश पटेल की 2020 में अहमदाबाद के एक अस्पताल में पुलिस हिरासत में किडनी फेल होने से मृत्यु हो गई थी.
अब, उनके बेटे देवांशु पटेल विश्वविद्यालय चलाते हैं.
(यह रिपोर्ट मूलत: वाइब्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित हुई थी. अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)