द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने वादा किया है कि अगर वो सत्ता में आई तो अग्निपथ योजना को खत्म करेगी. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, पार्टी नेताओं- सचिन पायलट और सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने एक संयुक्त प्रेस वार्ता में यह भी कहा कि सरकार बनने पर सशस्त्र सेवाओं में भर्ती की पुरानी प्रणाली को फिर से शुरू किया जाएगा. इससे पहले पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर कहा था कि यह योजना लाखों युवाओं के साथ ‘अन्याय’ कर रही है. युवाओं के व्यापक विरोध के बीच इस योजना के तहत नामांकन साल 2022 में शुरू हुआ था. योजना के अंतर्गत सैनिक केवल 4 साल के अनुबंध पर सेना में भर्ती हो सकते हैं. सचिन पायलट ने कहा कि केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना लाकर युवाओं के सपनों को तोड़ने का काम किया है. एक तरफ केंद्र सरकार कहती है कि हम डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर बने हैं, एक्सपोर्ट से पैसा कमा रहे हैं. फिर भी यह योजना मूलतः पैसा बचाने के लिए शुरू की गई. ऐसे में सबसे जरूरी यह है कि हमारे शूरवीर जवानों के जीवन, पेंशन एवं उनके परिवारजनों के बेहतर भविष्य के लिए काम होना चाहिए. अग्निपथ योजना जवानों एवं सेना के साथ खिलवाड़ करने के लिए लाई गई, जिसका कांग्रेस पार्टी ने पुरजोर तरीके से विरोध किया है.
प्रख्यात अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे पारदर्शिता आएगी. द हिंदू ने सेन की समाचार एजेंसी पीटीआई से हुई बातचीत के हवाले से बताया है कि सेन ने कहा कि चुनावी बॉन्ड एक घोटाला था और मुझे खुशी है कि अब उसे हटा दिया गया है. मुझे उम्मीद है कि लोग चुनाव के संदर्भ में एक-दूसरे को जो समर्थन देते हैं, उसमें अधिक पारदर्शिता आएगी.’ मालूम हो कि बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने इस योजना को ‘असंवैधानिक’ करार देते हुए निरस्त कर दिया था. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक को निर्देश दिया कि वह राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए प्रत्येक चुनावी बॉन्ड का विवरण निर्वाचन आयोग को बताए.
हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के प्रदेश प्रमुख नफे सिंह राठी की हत्या के लिए भाजपा के पूर्व विधयक पर मामला दर्ज किया गया है. रविवार शाम राठी और एक पार्टी कार्यकर्ता की झज्जर ज़िले में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, राठी की हत्या को लेकर पूर्व भाजपा विधायक नरेश कौशिक पर हत्या और साजिश का मामला दर्ज किया गया है. भाजपा ने हाल ही में 57 वर्षीय कौशिक को रोहतक संसदीय क्षेत्र के लिए समन्वयक नियुक्त किया था. राठी के परिवार ने उनकी हत्या के लिए स्थानीय भाजपा नेताओं को दोषी ठहराया है और आरोप लगाया है कि उनकी हत्या से पहले कौशिक ने उनके रिश्तेदारों के खिलाफ दर्ज दर्जनों मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इस बीच, राज्य के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि राज्य पुलिस मामले की जांच करने में पूरी तरह सक्षम है, लेकिन अगर सदन केवल सीबीआई जांच से संतुष्ट होगा, तो वो भी करवाई जाएगी. इसके बाद सरकार ने घोषणा की है कि वह मामले को केंद्रीय एजेंसी को सौंप देगी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने को ज्ञानवापी मस्जिद के एक तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने की अनुमति देने के वाराणसी जिला अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी. द हिंदू के अनुसार, हाईकोर्ट की पीठ ने अंजुमन इंतज़ामिया मस्जिद समिति (एआईएमसी) की अपील पर फैसला यह सुनाया, जिसमें वाराणसी ज़िला न्यायाधीश के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें हिंदू भक्तों को ज्ञानवापी मस्जिद के ‘व्यास तहखाने’ के अंदर पूजा करने की अनुमति दी गई थी. वाराणसी जिला अदालत ने बीते 31 जनवरी को फैसला सुनाया था कि एक पुजारी ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने जिसे ‘व्यास तहखाना’ कहा जाता है, में पूजा कर सकता है. मस्जिद में चार तहखाने हैं और उनमें से एक अभी भी व्यास परिवार के पास है.
ब्रिटेन की स्कॉलर को एयरपोर्ट पर उतरते ही निर्वासित करने की घटना सामने आई है. रिपोर्ट के अनुसार, लंदन के वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेमोक्रेसी की प्रमुख निताशा कौल को कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु में आयोजित एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था. कौल का कहना है कि जब वह 23 फरवरी को बेंगलुरु हवाई अड्डे पहुंचीं, तो उन्हें ‘होल्डिंग सेल’ में 24 घंटे रखने के बाद बिना कारण बताए लंदन भेज दिया गया. कौल के पास ब्रिटिश-ओवरसीज़ सिटिजनशिप ऑफ इंडिया पासपोर्ट है. लंदन से द वायर से बात करते हुए कौल ने कहा कि आव्रजन अधिकारियों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके नेताओं की आलोचना के लिए उन पर ‘ताना मारा’ था, जिन्होंने उनके निर्वासन के लिए लिखित में कोई कारण नहीं बताया. कश्मीरी पंडित कौल नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 हटाने की आलोचना करती रही हैं.
मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे-पाटिल ने अपनी भूख हड़ताल वापस ले ली. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, उन्होंने सोमवार को कहा कि वह यह निर्णय इसलिए ले रहे हैं क्योंकि महाराष्ट्र में उनके स्वास्थ्य को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है और साथ ही कथित तौर पर उनके समर्थकों को जालना के अंतरवाली सराती गांव तक पहुंचने से रोकने के लिए लगाए गए ‘कर्फ्यू’ के कारण भी ऐसा हुआ है. जारांगे ने अंतरवाली सरती में कहा, मैं कुछ दिनों तक इलाज कराऊंगा, जिसके बाद मैं राज्यव्यापी दौरे पर निकलूंगा.’ मराठा आरक्षण के लिए यह उनकी भूख हड़ताल का 17वां दिन था. उन्होंने जोड़ा कि वे तब तक आंदोलन जारी रखेंगे जब तक सरकार मराठा समुदाय की मांगें पूरी नहीं कर देती. यह फैसला उनके उस आरोप के एक दिन बाद आया है जहां उन्होंने कहा था कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ‘उन्हें खत्म करने की साजिश’ कर रहे हैं.