राजस्थान के कोटा ज़िले के खजूरी ओडपुर सरकारी स्कूल का मामला. शिक्षकों के ख़िलाफ़ कार्रवाई सांगोद ब्लॉक के सर्व हिंदू समाज द्वारा राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को शिकायत भेजने के बाद हुई. छात्रों ने निलंबन के ख़िलाफ़ एसडीएम कार्यालय तक मार्च किया. इनका कहना है उनके स्कूल में धर्म परिवर्तन की कोई घटना नहीं हुई है.
नई दिल्ली: धर्मांतरण के दावों के आधार पर राजस्थान के कोटा जिले में एक सरकारी स्कूल से तीन शिक्षकों को निलंबित करने की घटना के बाद स्कूल के छात्रों ने शिक्षकों को बहाल करने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इन शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया था, जब एक स्थानीय समूह ‘सर्व हिंदू समाज’ ने उन्हें एक जन सुनवाई कार्यक्रम में एक ज्ञापन सौंपा था. ज्ञापन में आरोप लगाया गया था कि शिक्षक छात्रों पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डाल रहे थे और प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से जुड़े हुए थे.
कोटा जिले सांगोद ब्लॉक के खजूरी ओडपुर सरकारी स्कूल के दर्जनों छात्रों ने निलंबन के खिलाफ एसडीएम कार्यालय तक मार्च किया. सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में छात्रों ने कहा कि उनके स्कूल में धर्म परिवर्तन की कोई घटना नहीं हुई है और उनके शिक्षकों को बहाल किया जाना चाहिए.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, निलंबित किए गए एक शिक्षक ने बताया कि यह विवाद गलत पहचान के मामले से उपजा है.
शिक्षक मिर्ज़ा मुजाहिद ने कहा कि स्कूल में एक ही नाम के तीन छात्र थे, जिनमें से दो मुस्लिम थे. उन्होंने कहा, ‘इस भ्रम में (तीसरे) छात्र का धर्म कॉलम बदल दिया गया था. लेकिन वह एक मानवीय भूल थी.’
शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई सांगोद ब्लॉक के एक धार्मिक समूह सर्व हिंदू समाज द्वारा राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को शिकायत भेजने के बाद हुई.
शिकायत के अनुसार, एक पूर्व छात्रा, जो हिंदू थी, को स्कूल रजिस्टर में मुस्लिम बताया गया था. स्कूल से निकलने के बाद लड़की गांव के एक मुस्लिम व्यक्ति के साथ भाग गई थी, जिससे स्कूल द्वारा कथित तौर पर उसका धर्म मुस्लिम बताए जाने पर विवाद शुरू हो गया था.
शिक्षक ने कहा, ‘जो लड़की भागी थी वह स्कूल से पास हो चुकी थी और हम उससे कभी नहीं मिले. इस घटना का स्कूल से कोई संबंध नहीं है. हम जांच में सच्चाई सामने आने का इंतजार कर रहे हैं.’
अन्य दो निलंबित शिक्षक फिरोज खान और शबाना हैं. जहां मिर्ज़ा और फिरोज के खिलाफ कार्रवाई गुरुवार (22 फरवरी) को हुई, वहीं शबाना को शनिवार (24 फरवरी) को निलंबित कर दिया गया.
स्कूल के प्रिंसिपल कमलेश बैरवा ने कहा कि उन्होंने स्कूल में किसी धर्म परिवर्तन के बारे में कभी नहीं सुना है. उन्होंने कहा, ‘ये शिक्षक यहां लंबे समय से पढ़ा रहे हैं. मेरी पोस्टिंग तीन साल पहले हुई थी और मैंने कभी ऐसी कोई गतिविधि नहीं देखी. मुझे नहीं पता कि जांच का नतीजा क्या होगा, लेकिन मुझे यकीन है कि चीजें साफ हो जाएंगी.’
सरपंच सुशीला कंवर ने भी कहा कि उन्होंने गांव में धर्म परिवर्तन की किसी घटना के बारे में कभी नहीं सुना है.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, शिकायतकर्ता सर्व हिंदू समाज ने यह दावा किया था कि एक हिंदू लड़की, जिसका नाम 2019 में स्कूल के रिकॉर्ड में मुस्लिम बताया गया था, का इस साल की शुरुआत में कुछ मुस्लिम छात्रों ने अपहरण कर लिया था और अभी भी उसका पता नहीं चल पाया है. इस संबंध में सांगोद पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.
संगठन ने यह भी आरोप लगाया था कि छात्रों को स्कूल में इस्लामी रीति-रिवाजों का पालन करने के लिए मजबूर किया जा रहा था.
राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के आदेश पर धर्म परिवर्तन में शामिल होने के आरोप में दो शिक्षकों को निलंबित करने और तीसरे के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई से विवाद खड़ा हो गया है. शिक्षक समूहों का कहना है कि जांच पूरी होने से पहले ही मनमाने ढंग से यह कार्रवाई की गई है.
शिक्षक समूहों ने इस मामले में जल्दबाजी में की गई कार्रवाई पर चिंता जताई है. उर्दू शिक्षक संघ के अध्यक्ष अमीन कायमखानी ने कहा कि विभागीय जांच के समापन से पहले निलंबन आदेश मनमाने तरीके से पारित किया गया था.
राजस्थान मुस्लिम फोरम के महासचिव मोहम्मद नजीमुद्दीन ने कहा कि भाजपा सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले समाज में ध्रुवीकरण पैदा करने के लिए यह कार्रवाई की है.