एनजीटी ने कहा- बंगाल में गंगा नहाने योग्य भी नहीं, जुर्माने की चेतावनी दी

एनजीटी ने पश्चिम बंगाल में मलीय कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया के उच्च स्तर के कारण राज्य में गंगा नदी के पूरे हिस्से को स्नान के लिए अनुपयुक्त पाते हुए अधिकारियों को कड़ी चेतावनी जारी की है. एनजीटी ने पाया कि प्रतिदिन 258.67 मिलियन लीटर अनुपचारित सीवेज सीधे नदी में बह रहा है, जो बड़ा स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है.

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कोलकाता का बाबू घाट. (फोटो साभार: फ्लिकर/Eric Parker/CC BY-NC 2.0 DEED)

एनजीटी ने पश्चिम बंगाल में मलीय कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया के उच्च स्तर के कारण राज्य में गंगा नदी के पूरे हिस्से को स्नान के लिए अनुपयुक्त पाते हुए अधिकारियों को कड़ी चेतावनी जारी की है. एनजीटी ने पाया कि प्रतिदिन 258.67 मिलियन लीटर अनुपचारित सीवेज सीधे नदी में बह रहा है, जो बड़ा स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है.

कोलकाता का बाबू घाट. (फोटो साभार: फ्लिकर/Eric Parker/CC BY-NC 2.0 DEED)

नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पश्चिम बंगाल में मलीय कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया (faecal coliform bacteria) के उच्च स्तर के कारण राज्य में गंगा नदी के पूरे हिस्से को स्नान के लिए अनुपयुक्त पाते हुए अधिकारियों को कड़ी चेतावनी जारी की है.

एनजीटी ने पाया कि प्रति दिन 258.67 मिलियन लीटर अनुपचारित सीवेज सीधे नदी में बह रहा है, जो एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, विभिन्न राज्यों में गंगा नदी में प्रदूषण को रोकने, नियंत्रित करने और कम करने के लिए चल रहे प्रयासों के संबंध में सुनवाई के दौरान यह चौंकाने वाली बात सामने आई. एनजीटी इस महत्वपूर्ण मुद्दे को संबोधित करने के उद्देश्य से पहले के निर्देशों के जवाब में पश्चिम बंगाल द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट की समीक्षा कर रहा था.

एनजीटी पीठ के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव ने उत्तर 24 परगना, मुर्शिदाबाद, नादिया, मालदा, हुगली, पूर्व बर्धवान, हावड़ा, पूर्व मेदिनीपुर और दक्षिण 24 परगना सहित पश्चिम बंगाल के कई जिलों के जिलाधिकारियों द्वारा दायर रिपोर्ट्स की जांच करने के बाद गहरी चिंता व्यक्त की.

रिपोर्ट में राज्य भर में पर्याप्त सीवेज ट्रीटमेंट सुविधाओं की कमी का पता चला है, जैसे यह मालूम चला कि पूर्वी मेदिनीपुर जैसे कुछ जिलों में से एक भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) नहीं है.

एनजीटी ने पश्चिम बंगाल के अधिकारियों को चेतावनी दी है कि यदि वे गंगा में प्रवाहित अनुपचारित (Untreated) सीवेज के मुद्दे से निपटने में महत्वपूर्ण प्रगति प्रदर्शित करने में विफल रहते हैं तो उन पर जुर्माना लगाया जा सकता है.

न्यायिक सदस्य सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल और अफ़रोज़ अहमद की मौजूदगी वाली पीठ ने कहा, ‘इन रिपोर्ट्स पर गौर करने पर हम  पाते हैं कि प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले सीवेज को ट्रीट करने के लिए कोई पर्याप्त सुविधाएं स्थापित नहीं की गई हैं और यहां तक कि सीवेज के 100 प्रतिशत ट्रीटमेंट के लक्ष्य को प्राप्त करने की समयसीमा का भी खुलासा नहीं किया गया है.’

21 फरवरी को पारित एक आदेश में पीठ ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि पूर्व मेदिनीपुर जैसे कुछ जिलों में एक भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित नहीं किया गया है.

इसमें कहा गया है, ‘इन रिपोर्ट्स में जो स्थिति दिखाई गई है वह संतोषजनक नहीं है और पता चलता है कि पश्चिम बंगाल राज्य में 258.67 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) अनुपचारित सीवेज सीधे गंगा नदी में बह रहा है.’

एनजीटी ने उन नौ जिलों, जहां से होकर नदी की मुख्य धारा बहती है, के डीएम को निर्देश दिया कि हर दिन उत्पन्न होने वाले सीवेज के 100 प्रतिशत ट्रीटमेंट के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समयसीमा निर्धारित करते हुए हलफनामा दाखिल करें.

ट्रिब्यूनल ने कहा कि डीएम को अपने जिलों में बाढ़ के मैदानों के सीमांकन के लिए उठाए गए कदमों के अलावा राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) से प्राप्त धन के उपयोग के तरीके और सीमा का भी खुलासा करना होगा.

इसमें कहा गया है, ‘हमने यह भी पाया है कि पश्चिम बंगाल में गंगा नदी के पूरे हिस्से में मलीय कॉलीफॉर्म की मात्रा अधिक है, जिससे पानी नहाने के लिए उपयुक्त नहीं है और इस तरह प्राथमिक जल गुणवत्ता मानदंडों को पूरा नहीं करता है.’

ट्रिब्यूनल ने एनएमसीजी को निर्देश दिया कि वह प्रत्येक जिले में कचरे के उत्पादन और ट्रीटमेंट और प्रत्येक नदी में प्रदूषण की मात्रा का प्रदर्शन ऑडिट करे.

ट्रिब्यूनल ने कहा, ‘हमें किसी भी जिले में गंगा नदी में दूषित तत्व बहाने में की कमी को लेकर कोई प्रगति देखने को नहीं मिली. इसलिए, यदि अगली रिपोर्ट में पर्याप्त प्रगति नहीं दिखाई गई, तो न्यायाधिकरण के पास पर्यावरणीय मुआवजा लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.’

इसने संबंधित डीएम और एनएमसीजी को आठ सप्ताह के भीतर नई रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया और मामले को आगे की कार्यवाही के लिए 2 मई के लिए स्थगित कर दिया.

बता दें कि हाल ही में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (बीएसपीसीबी) द्वारा विधानसभा में पेश की गई नदियों के स्वास्थ्य पर वार्षिक सर्वेक्षण रिपोर्ट से पता चला था कि राज्य से गुजरने वाली लगभग सभी प्रमुख नदियां नहाने के लिए भी असुरक्षित हैं.

27 जिलों में गंगा, सोन, कोसी, बागमती आदि नदियों के 98 बिंदुओं पर नमूना जांच पर आधारित रिपोर्ट में पानी में मलीय कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया (Faecal Coliform Bacteria) की अत्यधिक उपस्थिति देखी गई. रक्सौल में सिरसिया नदी के पानी के नमूने में लगभग 2,40,000 सबसे संभावित संख्या (एमपीएन)/100 मिलीलीटर की उपस्थिति मिली.