केंद्र सरकार ने आम चुनावों के मद्देनज़र ने आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले उच्च शिक्षण संस्थानों से सेमीकंडक्टर्स पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण की स्क्रीनिंग आयोजित करने को कहा है. साथ ही संस्थानों को कार्यक्रम स्थलों पर मोदी की तस्वीरों वाले ‘विकसित भारत’ के पोस्टर लगाने के लिए लिखा है.
नई दिल्ली: केंद्र ने आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले एक कदम उठाते हुए उच्च शिक्षण संस्थानों (एचईआई) से बुधवार (13 मार्च) को सेमीकंडक्टर्स पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण की स्क्रीनिंग के लिए कार्यक्रम आयोजित करने को कहा है.
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी इस दिन गुजरात और असम में सेमीकंडक्टर सुविधाओं की आधारशिला रखेंगे, साथ ही छात्रों से मिलेंगे, जिनमें से अधिकांश पहली बार वोट करने वाले मतदाता हैं. उक्त सेमीकंडक्टर सुविधाएं गुजरात के धोलेरा और साणंद के साथ-साथ असम के मोरीगांव में स्थापित की जा रही हैं।
कुछ फैकल्टी सदस्यों ने सरकार पर इस तरह के ‘प्रचार कार्यक्रम’ को लागू करके एचईआई की स्वायत्तता में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है.
पोस्टर और अनुपालन रिपोर्ट
शिक्षा मंत्रालय ने सभी संस्थानों को कार्यक्रम स्थलों पर मोदी की तस्वीरों वाले विकसित भारत के पोस्टर लगाने के लिए लिखा है. मंत्रालय चाहता है कि उसके नियंत्रण वाले संस्थान आयोजन के बाद अनुपालन रिपोर्ट भेजें.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों और निजी विश्वविद्यालयों सहित सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र लिखा है. शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी ने आयोजन के संचालन के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) और एक बैकग्राउंड नोट भी जारी किया है.
कुलपतियों को लिखे अपने पत्र के साथ यूजीसी ने पांच पोस्टरों के डिज़ाइन संलग्न किए हैं जिन्हें संस्थानों को आयोजन स्थलों पर लगाना होगा. पोस्टरों में ‘इंडियाज़ टेकेड: चिप्स फॉर विकसित भारत’ (India’s Techade: Chips for Viksit Bharat) का उल्लेख है और सेमीकंडक्टर सुविधाओं की आधारशिला रखते हुए मोदी की तस्वीरें हैं.
यूजीसी सचिव मनीष जोशी के पत्र में कहा गया है, ‘कार्यक्रम से संबंधित पोस्टर संलग्न हैं. अनुरोध है कि छात्रों के बीच कार्यक्रम के बारे में जानकारी का प्रसार किया जाए और उन्हें विकसित भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने वाले कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाए.’
संस्थानों के साथ साझा किए गए पृष्ठभूमि नोट में कहा गया है, ‘छात्र और युवा इस प्रयास के प्रमुख हितधारक हैं, इसलिए, सभी विश्वविद्यालय/एचईआई आवश्यक व्यवस्था करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि सभी छात्र, विशेष रूप से एसटीईएम और तकनीकी विषयों के छात्र उपरोक्त कार्यक्रम में भाग लें.’
मिरांडा हाउस कॉलेज की फैकल्टी सदस्य आभा देव हबीब ने कहा कि फैकल्टी सदस्यों और छात्रों को सरकारी प्रचार में शामिल होने के लिए मजबूर किया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘यह पूरी तरह से लोकसभा चुनाव से पहले एक प्रचार कार्यक्रम है. शोधकर्ताओं और फैकल्टी सदस्यों से अपेक्षा की जाती है कि वे शैक्षणिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करें. लेकिन सरकार चाहती है कि वे प्रचार करें.’
दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के सदस्य अशोक अग्रवाल ने कहा कि निर्देश ‘राजनीति से प्रेरित’ और गलत है.
उन्होंने कहा, ‘यह सरकार द्वारा संस्थानों को राजनीतिक रूप से प्रेरित कार्यक्रम पर अपनी ऊर्जा लगाने के लिए मजबूर करने की एक गलत कार्रवाई है. संस्थाएं स्वायत्त हैं. उनके पास ऐसे निर्देशों को नजरअंदाज करने की शक्ति है. लेकिन संस्थानों द्वारा इसे नजरअंदाज करने की संभावना नहीं है क्योंकि सरकार उन्हें प्रताड़ित करेगी.’
ऐसा पहली बार नहीं
केंद्र सरकार द्वारा शैक्षणिक संस्थानों को मोदी सरकार के प्रचार के लिए कहना नई बात नहीं है.
इस साल की शुरुआत में यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से कहा था कि वे जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से मोदी सरकार की ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना का लोगो परिसर में लगाएं, साथ ही वेबसाइट, पोर्टल, स्टेशनरी आइटम आदि पर भी इसे इस्तेमाल करें.
इससे पहले दिसंबर महीने की शुरुआत में आयोग ने उच्च शिक्षण संस्थानों को प्रधानमंत्री मोदी के कटआउट के साथ सेल्फी पॉइंट बनाने को कहा था.
सेल्फी पॉइंट निर्देश के हफ्ते भर बाद ही यूजीसी ने विश्वविद्यालयों से अपने छात्रों और फैकल्टी सदस्यों को प्रधानमंत्री का भाषण सुनने के लिए प्रोत्साहित करने को कहा था. उस समय प्रधानमंत्री मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये ‘विकसित भारत@2047: युवाओं की आवाज’ परामर्श कार्यक्रम में बोलने वाले थे और विश्वविद्यालयों को अपने परिसरों से इस कार्यक्रम को देखने की व्यवस्था करने के लिए कहा गया था.
नवंबर 2023 में यूजीसी ने महाराष्ट्र के विश्वविद्यालयों को आरएसएस के नेता और एबीवीपी के संस्थापक सदस्य दत्ताजी डिडोलकर के जन्मशती वर्ष पर होने वाले समारोहों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने को कहा था.