दिल्ली आबकारी नीति: सुप्रीम कोर्ट ने कविता को ट्रायल कोर्ट जाने कहा, केजरीवाल ने याचिका वापस ली

भारत राष्ट्र समिति की एमएलसी और तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में उनकी गिरफ़्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. उनकी याचिका पर सुनवाई करने वाली पीठ को ही केजरीवाल की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ दायर याचिका पर भी सुनवाई करनी थी. 

के कविता और अरविंद केजरीवाल. (तस्वीरें: आधिकारिक एक्स एकाउंट)

भारत राष्ट्र समिति की एमएलसी और तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में उनकी गिरफ़्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. उनकी याचिका पर सुनवाई करने वाली पीठ को ही केजरीवाल की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ दायर याचिका पर भी सुनवाई करनी थी.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ द्वारा भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की एमएलसी और तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता को जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जाने के लिए कहने के तुरंत बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जिन्हें कल शाम प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किया गया था, ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ लगाई याचिका वापस ले ली.

इससे पहले, शुक्रवार (22 मार्च) को सुप्रीम कोर्ट ने कविता द्वारा दायर एक रिट याचिका पर ईडी को नोटिस जारी किया, जिसमें दिल्ली आबकारी नीति मामले के संबंध में उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस संजीव खन्ना, एमएम सुंदरेश और बेला त्रिवेदी की विशेष पीठ ने कविता को जमानत के लिए निचली अदालत का दरवाजा खटखटाने का निर्देश दिया.

इसी पीठ को केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करनी थी. इस बीच, केजरीवाल को शुक्रवार को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया, जहां ईडी ने उनकी 10 दिन की हिरासत की मांग की और केजरीवाल को कथित घोटाले का सरगना बताया. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, ईडी ने आरोप लगाया कि घोटाले का पैसा गोवा विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल किया गया था.

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कविता के मामले में उल्लेख किया कि वह विजय मदनलाल चौधरी और अन्य बनाम भारत संघ के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए याचिकाओं पर विचार कर रही है और कविता की याचिका को उस बैच के साथ जोड़ा जा सकता है.

गौरतलब है कि विजय मदनलाल के आदेश पर पुनर्विचार की मांग वाली याचिकाओं पर जुलाई में सुनवाई होनी है. इसका मतलब है कि अगर कविता की याचिका उस बैच के साथ जोड़ी जाती है तो उस पर अगली सुनवाई जुलाई में ही होगी.

लाइव लॉ के अनुसार, कविता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा, ‘केवल एक अनुरोध है, कृपया मुझे हाईकोर्ट वापस जाने के लिए न कहें. इसे सुनें, इसका फैसला मेरे खिलाफ करें, मुझे फ़र्क नहीं पड़ेगा. लेकिन देखिए हमारे देश में क्या हो रहा है. हर बयान सरकारी गवाह का है, एक सबूत नहीं है. यह इस न्यायालय के आदेश के विपरीत है.’

सिब्बल ने कहा, ‘हेमंत सोरेन का क्या हुआ? ट्रायल कोर्ट में क्या हो रहा है?’

हालांकि, जस्टिस खन्ना ने कहा, ‘सैद्धांतिक रूप से हम सभी सहमत हैं कि हमें, केवल इसलिए कि कोई राजनीतिक व्यक्ति (शामिल) है या कोई ऐसा व्यक्ति है जो सीधे सुप्रीम कोर्ट में आने का वहन उठा सकता है, सभी वैधानिक और संवैधानिक मूल्यों को दरकिनार नहीं करना चाहिए.’

जैसे ही सुनवाई ख़त्म हुई सिब्बल ने कहा, ‘क्या मैं कुछ कह सकता हूं? मुझे आशा है कि आपको आपत्ति नहीं होगी. इस न्यायालय का इतिहास लिखा जाएगा, यह स्वर्णिम काल नहीं होगा.’

केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, इसी बीच दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है जिसमें अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के मुख्यमंत्री (सीएम) पद से हटाने की मांग की गई है.

जनहित याचिका में केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा गया है कि केजरीवाल किस अधिकार के तहत पद पर हैं.

याचिका में दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल और दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी के टीवी साक्षात्कारों का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि केजरीवाल इस्तीफा नहीं देंगे और जरूरत पड़ने पर जेल से सरकार चलाएंगे.

इसमें तर्क दिया गया है कि केजरीवाल के सीएम बने रहने से न केवल कानून की उचित प्रक्रिया में बाधा आएगी और न्याय की प्रक्रिया बाधित होगी, बल्कि दिल्ली में संवैधानिक तंत्र भी भंग हो जाएगा.

इसके अलावा, इसमें कहा गया है कि वित्तीय घोटाले में आरोपी मुख्यमंत्री को पद पर बने रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि उन्होंने एक सार्वजनिक पद पर रहने का अपना अधिकार खो दिया है जो उच्च स्तर की संवैधानिक नैतिकता की मांग करता है.

याचिका में उल्लेख किया गया है कि सीएम बनने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 163 और 164 के प्रावधानों का सख्ती से पालन करना होगा. यह तर्क दिया गया है कि केजरीवाल अपनी कैद के कारण इन दोनों अनुच्छेदों के अधिकांश हिस्सों को संतुष्ट नहीं कर सकेंगे.

इसमें कहा गया है कि यदि केजरीवाल जेल से अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं, तो उनके पास आने वाले किसी भी दस्तावेज को जेल अधिकारियों द्वारा स्कैन करना होगा, जो संविधान की तीसरी अनुसूची के तहत केजरीवाल की गोपनीयता की शपथ का उल्लंघन है.

याचिका में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि मुख्यमंत्री होने के नाते केजरीवाल को उन मामलों में जांच फाइलों की मांग करने का अधिकार है जहां वह आरोपी हैं.

याचिका सुखबीर सिंह यादव द्वारा दायर की गई है, जिन्होंने हाल ही में एक जनहित याचिका भी दायर की थी जिसमें कथित तौर पर सरकार के खिलाफ ‘भ्रामक और झूठे बयान’ देने और ‘भारत की विश्वसनीयता’ को नुकसान पहुंचाने के लिए राहुल गांधी, अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) और गृह मंत्रालय (एमएचए) को निर्देश देने की मांग की गई थी. यह याचिका अदालत ने खारिज कर दी थी.