सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड, इसके एमडी आचार्य बालकृष्ण और इसके सह-संस्थापक योग गुरु रामदेव को भ्रामक विज्ञापनों के प्रकाशन पर कोर्ट की अवमानना मामले की सुनवाई करते हुए कड़ी फटकार लगाई. लाइव लॉ के मुताबिक, अदालत के पिछले आदेश के अनुपालन में बालकृष्ण और रामदेव मंगलवार की सुनवाई में मौजूद थे, जहां जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस ए. अमानुल्लाह की पीठ ने पूर्व में अदालत में दिए गए हलफ़नामे के उल्लंघन को लेकर उनकी माफ़ी स्वीकार करने से इनकार कर दिया. अदालत की मनाही के बावजूद कंपनी के विज्ञापनों के प्रकाशन को लेकर कंपनी ने इसकी मीडिया टीम को ज़िम्मेदार ठहराया था, जिस पर अदालत ने सवाल किया कि कोर्ट में हलफनामा देने के बाद यह किसकी जिम्मेदारी है कि इस बारे में ऊपर से नीचे तक सभी को सूचित करे. जस्टिस कोहली ने यह भी जोड़ा कि यह माफ़ी महज़ दिखावा है. बार एंड बेंच के मुताबिक, जस्टिस कोहली ने कंपनी के विज्ञापनों को लेकर केंद्र सरकार से भी सवाल किया कि उसका आयुष मंत्रालय इस बारे में क्या कर रहा था.
दिल्ली आबकारी नीति मामले में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. सिंह को इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अक्टूबर 2023 में गिरफ्तार किया था. बार एंड बेंच के अनुसार, मंगलवार को जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने आदेश दिया कि मुकदमे के लंबित रहने के दौरान सिंह को जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए. इससे पहले ईडी के वकील ने अदालत से कहा था कि उन्हें जमानत पर रिहा किया जा सकता है. ज्ञात हो कि केंद्रीय एजेंसी ने इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और भारत राष्ट्र समिति की एमएलसी के. कविता सहित कई विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया है. सिंह की जमानत से पहले उनकी पार्टी की नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने आरोप लगाया था कि भाजपा उन्हें और अन्य आप नेताओं को भाजपा में शामिल न होने पर इस मामले में गिरफ्तारी की धमकी दे रही है.
नगा समुदाय के प्रभावशाली संगठन ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन ने कहा है कि वे आगामी लोकसभा चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे. एनडीटीवी के मुताबिक, निर्वाचन आयोग को लिखे एक पत्र में इस निकाय ने केंद्र सरकार की ‘फ्रंटियर नगालैंड’ क्षेत्र बनाने में असमर्थता को इस फैसले की वजह बताया है. संगठन ने कहा कि इस निर्णय का मकसद चुनावी मशीनरी या लोकतंत्र के सिद्धांतों की अवज्ञा नहीं है, बल्कि यह भारत के संविधान के ढांचे अपनाया गया एक सैद्धांतिक रुख है जिसका उद्देश्य पूर्वी नगालैंड के लोगों की वैध शिकायतों और उमीदों की तरफ ध्यान आकर्षित करना है.
ईडी ने कैश-फॉर-क्वेरी जांच में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता महुआ मोइत्रा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, यह केस मोइत्रा के खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर की गई एफआईआर के आधार पर दर्ज किया गया है. ईडी की यह कार्रवाई मोइत्रा द्वारा एजेंसी के समन पर पेश नहीं होने के कुछ दिनों बाद आई है, जिसने उन्हें ईडी के दिल्ली दफ्तर में पूछताछ के लिए तलब किया था. महुआ मोइत्रा को कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के साथ विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) उल्लंघन मामले में पूछताछ के लिए ईडी ने समन भेजा था. महुआ को इन्हीं आरोपों के चलते लोकसभा से निष्काषित किया गया था. आगामी लोकसभा चुनाव के लिए उन्हें पार्टी ने बंगाल की कृष्णानगर सीट से टिकट दिया है. महुआ का कहना है कि इस चुनाव में उनकी जीत ही ‘उनके निष्काषन और ईडी-सीबीआई छापों के जरिये उन्हें परेशान करने की चाल का वाजिब जवाब होगी.’
चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित किए जाने के लगभग डेढ़ महीने बाद भारतीय स्टेट बैंक ने बॉन्ड की बिक्री और इसे भुनाने की मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का विवरण देने से इनकार कर दिया है. खबर के मुताबिक, ट्रांसपेरेंसी एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत दायर एक आवेदन में चुनावी बॉन्ड योजना के लिए बैंक द्वारा निर्धारित एसओपी के बारे में जानकारी मांगी थी. इसके जवाब में एसबीआई के उप महाप्रबंधक एम. कन्ना बाबू ने कहा है कि एसओपी बैंक के आंतरिक दिशानिर्देश थे और उनसे संबंधित जानकारी आरटीआई कानून की धारा 8(1)(डी) के तहत उजागर करने से छूट के दायरे में आती है. इसके बाद अंजलि ने एक बयान में कहा है कि सरकार द्वारा संचालित बैंक ने ‘यह बताए बिना कि कैसे यह खुलासा ‘तीसरे पक्ष की स्थिति को नुकसान पहुंचाएगा’ अधिनियम के छूट वाले खंड को लागू किया है. उन्होंने कहा कि बैंक के जवाब को चुनौती दी जाएगी.