कच्चाथीवू मामला पचास साल पहले सुलझ गया है, चर्चा की ज़रूरत नहीं: श्रीलंका

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान बार-बार कच्चाथीवू द्वीप का मुद्दा उठा रहे हैं. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने कहा कि उनका सोचना है कि इस पर चर्चा की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह हल किया जा चुका मुद्दा है और द्वीप पर कोई विवाद नहीं है.

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श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी. (फोटो साभार: X/@alisabrypc)

नई दिल्ली: भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कथित तौर पर कच्चाथीवू द्वीप को श्रीलंका को देने के लिए विपक्ष की आलोचना के तीन दिन बाद श्रीलंका ने 4 अप्रैल को कहा कि इस मामले पर चर्चा करने की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि यह 50 साल पहले हल हो गया था.

बीते 31 मार्च के बाद से मोदी देश भर में विभिन्न चुनावी अभियान कार्यक्रमों में बार-बार कच्चाथीवू द्वीप का मुद्दा उठा रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि कच्चाथीवू भारतीय क्षेत्र था जिसे 1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, जो कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष भी थीं, श्रीलंका के साथ समुद्री सीमा समझौते के तहत उसे सौंप दिया गया था.

पीएम मोदी ने तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी और कांग्रेस की सहयोगी द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) पर बातचीत के बारे में पहले से जानकारी होने का आरोप लगाया है.

रिपोर्ट के अनुसार, कोलंबो से पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया में श्रीलंकाई विदेश मंत्री अली साबरी ने कहा, ‘हमारा विचार है कि इस पर चर्चा करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे 50 साल पहले हल किया गया था. मुझे भी नहीं लगता कि ऐसे मुद्दे उठेंगे.’

एक इफ्तार कार्यक्रम में श्रीलंकाई मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि द्वीप पर कोई विवाद नहीं है. उन्होंने कहा, ‘वे इस बात पर आंतरिक राजनीतिक बहस कर रहे हैं कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है. कोई भी कच्चाथीवू पर पुन: दावा करने के बारे में बात नहीं कर रहा है.’

भाजपा मछुआरों के मुद्दे पर द्रमुक को घेरकर लोकसभा चुनाव से पहले तमिलनाडु में पैठ बनाने की कोशिश कर रही है.

हालांकि, कोलंबो की प्रतिक्रिया अपेक्षाकृत देर से आई है, श्रीलंकाई मीडिया कच्चाथीवू के घटनाक्रम पर करीब से नज़र रख रहा था.

एक दिन पहले कई श्रीलंकाई समाचार पत्रों ने संपादकीय प्रकाशित किए जो चुनावी लाभ के लिए इस मामले को उठाने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री की आलोचना की है और आगाह किया कि यह द्वीप श्रीलंका में नई दिल्ली के लिए सद्भावना को नुकसान पहुंचाएगा.

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