नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी परिसर के पास एक छात्रा के कथित यौन उत्पीड़न के खिलाफ उनके विरोध प्रदर्शन के दो दिन बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के दो पदाधिकारियों सहित कई छात्रों को बुधवार को चीफ प्रॉक्टर कार्यालय से नोटिस भेजा गया और उन्हें विरोध प्रदर्शन के दिन 1 अप्रैल को विश्वविद्यालय के उत्तरी गेट (प्रवेश द्वार) को कथित रूप से बाधित करने के मामले में सुनवाई के लिए उपस्थित होने के लिए कहा गया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पदाधिकारियों में जेएनयूएसयू अध्यक्ष धनंजय और महासचिव प्रियांशी आर्य शामिल हैं.
गौरतलब है कि बीते 1 अप्रैल को जेएनयू की एक छात्रा ने चार लोगों के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू किया था. उनका आरोप है कि 31 मार्च की रात कैंपस में दो पूर्व छात्रों समेत चार लोगों ने उनका यौन उत्पीड़न किया. उन्होंने उनकी शिकायत पर प्रशासन पर निष्क्रियता का आरोप लगाया था.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, जेएनयूएसयू अध्यक्ष धनंजय ने कहा कि पीड़ित समेत कुल 21 छात्रों को नोटिस मिला है. उन्होंने कहा कि छात्र संघ ने चीफ प्रॉक्टर से नोटिस वापस लेने को कहा है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, नोटिस में कहा गया है, ‘मुख्य सुरक्षा कार्यालय से 2 अप्रैल 2024 की एक शिकायत मुख्य प्रॉक्टर कार्यालय को प्राप्त हुई है. शिकायत में आरोप लगाया गया है कि आपने 1 अप्रैल 2024 (शाम 5.25 बजे) से विश्वविद्यालय के उत्तरी गेट (प्रवेश द्वार) को बाधित कर दिया था, जिससे छात्रों, निवासियों, कर्मचारियों, वरिष्ठ नागरिकों, विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों, स्कूली बच्चों, मरीजों को परेशानी हुई थी.’
इसमें आगे कहा गया है, ‘आपको इस संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए 4 अप्रैल 2024 को दोपहर 3 बजे प्रॉक्टर के समक्ष सुनवाई के लिए उपस्थित होने का निर्देश दिया जाता है. आप कोई साक्ष्य भी ला सकते हैं, जिसे आप अपने बचाव के समर्थन में प्रस्तुत करना चाहते हैं. सुनवाई के लिए नियत तिथि एवं समय पर उपस्थित न होने पर यह माना जाएगा कि इस मामले में आपको कुछ नहीं कहना है और आप शिकायत से सहमत हैं. ऐसी परिस्थिति में मामले का निर्णय आपकी अनुपस्थिति में किया जाएगा.’
यूनिवर्सिटी प्रशासन के नोटिस की कुछ छात्र संगठनों ने आलोचना की है.
डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन ने गुरुवार को अपने बयान में कहा, ‘यौन उत्पीड़न के मामलों का समयबद्ध निवारण सुनिश्चित करने और जेंडर-न्यायपूर्ण परिसर सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई करने के बजाय जेएनयू प्रशासन यौन उत्पीड़न से बचे लोगों और अन्य प्रतिनिधियों, कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने और डराने की कोशिश कर रहा है.’
बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (बीएपीएसए), जिससे प्रियांशी जुड़ी हुई हैं, ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, ‘जेएनयूएसयू महासचिव प्रियांशी को अपराधियों के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रॉक्टोरियल नोटिस मिला. यह शर्म की बात है कि प्रशासन अपराधियों को बचा रहा है और जेएनयूएसयू के निर्वाचित प्रतिनिधियों को नोटिस भेज रहा है.’