महाराष्ट्र: लोकसभा चुनाव से कुछ दिन पहले राज्य सरकार ने 21 चीनी मिलों को लोन गारंटी दी

महाराष्ट्र सरकार ने मार्च की शुरुआत में 21 सहकारी चीनी मिलों के लिए गारंटर बनने पर सहमति व्यक्त की और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) से ऋण के लिए उनके नामों की सिफारिश की. इनमें से 15 मिलों का प्रबंधन सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं या उन लोगों द्वारा किया जाता है जिन्होंने हाल ही में भाजपा के साथ समझौता किया है. 

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: महाराष्ट्र सरकार ने 16 मार्च को लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू होने से कुछ दिन पहले मार्च महीने की शुरुआत में 21 सहकारी चीनी मिलों के लिए गारंटर बनने पर सहमति व्यक्त की और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) से ऋण के लिए उनके नामों की सिफारिश की.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 21 मिलों में से 15 मिलों का प्रबंधन सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं या उन लोगों द्वारा किया जाता है जिन्होंने हाल ही में समझौता किया है. दो को उन नेताओं द्वारा संचालित किया जाता है जो एकनाथ शिंदे के साथ थे, जब शिंदे ने 2022 में शिवसेना को विभाजित किया था, पांच को अजित पवार के सहयोगी, जब उन्होंने शरद पवार से नाता तोड़ लिया था और एक को कांग्रेस नेता द्वारा संचालित किया जाता है, जो चुनाव से पहले भाजपा में चले गए हैं.

सोलापुर में एक और मिल का प्रबंधन दिवंगत भरत भालके के बेटे द्वारा किया जाता है, जो एनसीपी (अविभाजित) का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक थे. उपचुनाव में हार के बाद वह भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) में शामिल हो गए थे.

सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं द्वारा संचालित न की जाने वाली छह मिलों में से दो एनसीपी (शरद पवार) से संबद्ध है, एक कांग्रेस से, दो निर्दलीय से और एक राजनीतिक रूप से तटस्थ है.

महाराष्ट्र में सहकारी चीनी मिलें और राजनीति बहुत आगे तक चलती हैं और कई चीनी व्यापारी विधायक, सांसद और मंत्री बन जाते हैं. हालांकि, अधिकांश मिलों का राजनीतिक दलों के साथ कुछ संबंध है, लेकिन उनमें से सभी को ऋण के लिए राज्य सरकार की गारंटी नहीं मिलती है.

पिछले सितंबर में 34 में से केवल पांच मिलों ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी (एमएससी) बैंक से 178.28 करोड़ रुपये जुटाने की गारंटी प्राप्त की थी. 2022-23 सीज़न के लिए बैंक ने 34 मिलों को 897.65 करोड़ रुपये का फंडदिया  था, जिसमें से छह मिलों को 178.28 करोड़ रुपये राज्य सरकार की गारंटी के आधार पर थे.

उद्योग के सूत्रों ने बताया कि सहकारी मिलें हर सीजन में ऋण के जरिये लगभग 10,000 करोड़ रुपये जुटाती हैं.

सरकार ने जिन मिलों को एनसीडीसी से ऋण देने की सिफारिश की है, उनमें कोल्हापुर स्थित तात्यासाहेब कोरे सहकारी चीनी मिल है, जिसका प्रबंधन विनय कोरे (निर्दलीय विधायक) द्वारा किया जाता है. बीड स्थित लोकनेते सुंदरराव सोलंके सहकारी चीनी मिल का प्रबंधन प्रकाश सोलंके (एनसीपी-अजित पवार) द्वारा किया जाता है. छत्रपति संभाजीनगर में श्री रेणुका शरद सहकारी चीनी मिल का प्रबंधन मंत्री संदीपन भुमरे (शिवसेना-एकनाथ शिंदे) संभालते हैं.

सरकार की 21 की सूची में एनसीपी विधायक मकरंद जाधव पाटिल द्वारा संचालित सतारा स्थित किसानवीर सहकारी चीनी मिल की दो इकाइयों का भी उल्लेख किया गया है, जो 2023 में एक सप्ताह तक अजित पवार और शरद पवार दोनों के बीच झूलते रहे थे. अब वह अजित पवार गुट के साथ हैं. पाटिल ने एक बयान में कहा था कि उन्होंने जुलाई 2023 में अजित पवार से मुलाकात की थी, जब वह कर्ज में डूबी अपनी मिल इकाइयों की फंडिंग पर चर्चा करने के लिए लगभग सभी एनसीपी विधायकों के साथ चले गए थे.

अखबार से बात करते हुए धाराशिव स्थित श्री विट्ठलसाई सहकारी साखर कारखाना (एसएसके) के अध्यक्ष बसवराज पाटिल, जिनकी मिल को सरकारी गारंटी मिली है और इन 21 मीलों की सूची में है, ने एनसीडीसी ऋण देने में किसी भी राजनीतिक संबंध से इनकार किया. पाटिल हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में आए हैं.

पाटिल ने कहा, ‘यह ग्रामीण औद्योगीकरण का एकमात्र तरीका है. 21 मिलों की सूची में कांग्रेस और अन्य विपक्षी नेताओं द्वारा संचालित मिलें भी शामिल हैं.’

सरकार की सूची में वे छह मिलें हैं जिनका प्रबंधन सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं द्वारा नहीं किया जाता है, वे हैं पुणे स्थित रावसाहेबदादा पवार घोडगंगा एसएसके लिमिटेड, जिसका प्रबंधन अशोक पवार (एनसीपी-शरद पवार विधायक) द्वारा किया जाता है, सहकार महर्षि शिवाजीराव नागवाडे एसएसके, जिसका प्रबंधन राजेंद्र नागवाडे द्वारा किया जाता है. (जिनका किसी पार्टी से जुड़ाव नहीं है), पुणे की रायगढ़ सहकारी चीनी मिल का प्रबंधन संग्राम थोपटे (भोर कांग्रेस विधायक) द्वारा किया जाता है, सोलापुर के श्री सिद्धेश्वर एसएसके का प्रबंधन धर्मराज कडाडी (जो किसी भी पार्टी से नहीं है) द्वारा किया जाता है, विश्वासराव नाइक एसएसके का प्रबंधन मानसिंगराव फत्तेसिंगराव नाइक (एनसीपी-शरद पवार) द्वारा किया जाता है और मुला एसएसके का प्रबंधन यशवंत गडक द्वारा किया जाता है, जो पहले शिवसेना (उद्धव बाल ठाकरे) के साथ थे, लेकिन अब बहुत सक्रिय नहीं हैं.

थोपटे ने अखबार को बताया, ‘जहां तक सरकार की सिफारिश का सवाल है, इसमें कोई राजनीतिक पूर्वाग्रह नहीं है. मेरा आवेदन वैध पाया गया, यही कारण है कि सरकार मेरी गारंटर बनने के लिए सहमत हुई. यहां राजनीति के लिए बिल्कुल कोई गुंजाइश नहीं है.’

पिछले साल सितंबर में महाराष्ट्र ने नांदेड़ में संकटग्रस्त भाऊराव चह्वाण एसएसके को 147.79 करोड़ रुपये की सरकारी गारंटी दी थी, जिसका प्रबंधन पूर्व कांग्रेस नेता अशोक चह्वाण द्वारा किया जाता है, जो इस साल फरवरी में भाजपा में शामिल हो गए थे.

चह्वाण की मिल के अलावा, जिन अन्य लोगों को एमएससी बैंक से ऋण के लिए 600 करोड़ रुपये से अधिक की सरकारी गारंटी मिली, उनमें बीड स्थित जय भवानी एसएसके भी शामिल है, जिस पर पूर्व एमएलसी अमरसिंह पंडित (एनसीपी-अजित पवार) का बकाया है, सोलापुर के संत कुर्मादास का प्रबंधन धनजीराव साठे (जो कांग्रेस से भाजपा में आए) द्वारा किया जाता है, सहकार महर्षि वसंतराव काले एसएसके का प्रबंधन कल्याण काले (एनसीपी-अजित पवार) द्वारा किया जाता है और पुणे के भवानीनगर में श्री छत्रपति एसएसके का प्रबंधन अजित पवार के क़रीबी प्रशांत काटे द्वारा किया जाता है.

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