नई दिल्ली: मणिपुर में शुरू हुई हिंसा के लगभग साल भर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर आरोप पत्र में सामने आया है कि हिंसा के बीच थौबल जिले में भीड़ द्वारा कुकी-ज़ोमी समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और उनके साथ यौन उत्पीड़न करने से ठीक पहले वे पुलिस की गाड़ी तक पहुंचीं थीं, लेकिन मदद नहीं मिली.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों सड़क के किनारे खड़ी पुलिस जिप्सी के अंदर बैठ गई थीं लेकिन जब उन्होंने पुलिस से गाड़ी वहां से निकालने का अनुरोध किया तो ड्राइवर सीट पर बैठे शख्स ने उन्हें बताया कि ‘चाबी नहीं है.’
आरोपपत्र में कहा गया है कि पुलिस जिप्सी में दो अन्य पीड़ित पुरुष भी बैठे थे. उसके बाद वहां मौजूद सभी पुलिसकर्मी मौके से चले गए क्योंकि बड़ी भीड़ ने पीड़ितों को वाहन के अंदर से बाहर खींच लिया.
सीबीआई जांच बताती है कि हिंसक घटना 3 मई 2023 को चूड़ाचांदपुर में हुई थी. अक्टूबर 2023 में गुवाहाटी की एक विशेष अदालत के समक्ष छह लोगों और एक किशोर के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था.
मालूम हो कि पिछले साल जुलाई में घटना का एक वीडियो सामने आया था और देश भर में आक्रोश फैल गया था. इस घटना की व्यापक निंदा हुई थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप किया और इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी थी.
मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद हुई इस घटना के वीडियो में थौबल क्षेत्र में भीड़ द्वारा आदिवासी कुकी समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाते हुए देखा जा सकता है. वीडियो में दोनों महिलाओं, जिनमें से एक की उम्र 20 साल और दूसरी की 40 साल के आसपास थी, को पुरुषों की भीड़ द्वारा नग्न अवस्था में सड़क पर ले जाते हुए देखा जा सकता था. भीड़ में से कुछ लोगों को दो महिलाओं को खेत की ओर खींचते और उनके साथ छेड़छाड़ करते भी देखा जा सकता था. इनमें से एक के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार भी किया गया था और इसका विरोध करने पर उनके पिता और भाई की हत्या कर दी गई थी.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सीबीआई ने आरोप पत्र में कहा, ‘इसके बाद अन्य स्थानों पर भी कई घटनाएं हुईं. मेईतेई समुदाय की भीड़ ने घरों में आग लगाकर एक गांव पर हमला शुरू कर दिया और पड़ोसी गांवों में कुछ घरों को भी निशाना बनाया. भीड़ ने जानबूझकर चर्च में आग लगा दी. जांच में यह भी पता चला कि 4 मई को आसपास के मेईतेई गांवों के प्रधानों और अन्य सामुदायिक गांवों के प्रमुखों की एक बैठक हुई थी. हालांकि, बैठक में लिए गए निर्णय के बावजूद भीड़ ने चर्च, कुछ घरों और आस-पास के गांवों को जला दिया.’
सीबीआई ने कहा कि जांच से पता चला है कि डर के कारण शिकायतकर्ता- तीन पीड़ित महिलाएं और दो पुरुष, एक अन्य व्यक्ति अपनी बेटी और पोती के साथ जंगल में भाग गए. लेकिन भीड़ ने उन्हें देख लिया. धारदार हथियार लिए यह भीड़ धमकाते हुए जबरदस्ती परिवार के सभी सदस्यों को मुख्य सड़क पर ले आई और उन्हें अलग कर दिया. वे एक पीड़िता और पोती को एक ओर ले गई. दो महिलाएं, उनके पिता और उनके गांव के मुखिया को दूसरी ओर, जबकि दो महिलाएं और दो पुरुष दूसरी दिशा में थे.’
सीबीआई के आरोप पत्र में कहा गया है कि भीड़ में से कुछ लोगों ने पीड़ितों को एक गांव की सड़क के किनारे खड़ी पुलिस जिप्सी के पास जाने के लिए कहा. जिप्सी के पास आते समय भीड़ ने फिर से पीड़ितों को अलग कर दिया… दो (महिला) पीड़ित पुलिस जिप्सी के अंदर जाने में कामयाब रहीं. जिप्सी के अंदर सादी खाकी वर्दी पहने ड्राइवर समेत दो पुलिसकर्मी थे और तीन से चार पुलिसकर्मी बाहर थे. एक पीड़ित पुरुष ने पुलिसकर्मियों से गाड़ी चलाने का अनुरोध किया, हालांकि पुलिस जिप्सी के चालक ने जवाब दिया, ‘चाबी नहीं है’.
चार्जशीट में कहा गया है कि वे बार-बार पुलिसकर्मियों से उनकी मदद करने और भीड़ द्वारा पीते जा रहे एक व्यक्ति को बचाने की गुहार लगाते रहे, लेकिन ‘पुलिस ने उनकी मदद नहीं की.’
आरोप पत्र में आगे कहा गया है, ‘जिप्सी के चालक ने अचानक गाड़ी चलाई और लगभग 1,000 लोगों की हिंसक भीड़ के पास वाहन रोक दिया और पीड़ित पुरुष ने फिर से पुलिस से गाड़ी चलाने को कहा, लेकिन उसे चुप रहने के लिए कहा गया. कुछ देर बाद एक पुलिसकर्मी आया और उसने बताया कि भीड़ द्वारा पीते जा रहे व्यक्ति की सांसें थम गई हैं.’
सीबीआई जांच में पता चला कि एक बड़ी भीड़ पुलिस जिप्सी की ओर लौटी और गाड़ी को हिलाया. सीबीआई ने कहा, ‘उन्होंने जिप्सी के अंदर से एक पुरुष पीड़ित और दो महिला पीड़ितों को बाहर निकाला. इस बीच, पुलिसकर्मी पीड़ितों को भीड़ के साथ अकेला छोड़कर मौके से चले गए. भीड़ ने दोनों महिलाओं के कपड़े फाड़ दिए और एक पुरुष की पिटाई शुरू कर दी… पीड़ितों में से एक महिला पास में मौजूद थी और उसने पूरी घटना देखी.’
अख़बार के संपर्क करने पर डीजीपी (मणिपुर) राजीव सिंह ने बताया, ‘पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई पहले ही की जा चुकी है.’ जब उनसे उनके खिलाफ किसी आपराधिक कार्रवाई के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘हम मामले की जांच नहीं कर रहे हैं, सीबीआई जांच कर रही है.’
ज्ञात हो कि मणिपुर सरकार के अनुरोध और केंद्र की अधिसूचना के बाद सीबीआई ने मामला दर्ज किया था. आरोपियों पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें सामूहिक बलात्कार, हत्या, महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना और आपराधिक साजिश से संबंधित धाराएं शामिल हैं.