नई दिल्ली: बेंगलुरु की एक स्थानीय अदालत ने जनता दल (सेकुलर) (जेडीएस) सांसद प्रज्वल रेवन्ना से जुड़े यौन शोषण के मामले में चल रही कार्यवाही के बारे में मीडिया को पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के बारे में गलत जानकारी प्रसारित करने से रोकने के लिए एक आदेश जारी किया है.
ज्ञात हो कि प्रज्वल रेवन्ना पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस सुप्रीमो एचडी देवेगौड़ा के पोते और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के भतीजे हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अतिरिक्त शहर सिविल एवं सत्र न्यायाधीश एचए मोहन ने आदेश देते हुए स्पष्ट किया कि मीडिया संगठनों को मामले पर रिपोर्टिंग करने से पूरी तरह से प्रतिबंधित नहीं किया गया है. अदालत का निर्देश विशेष रूप से उन समाचारों के प्रकाशन पर रोक लगाता है जो ऐसे दावों का समर्थन करने के लिए पर्याप्त सबूत के बिना, छेड़छाड़ की गई तस्वीरों के साथ वादी को गलत तरीके से चित्रित करते हैं.
अदालत ने कहा कि प्रतिवादियों- मीडिया, सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया- के बचाव के अधिकार के तहत लेख प्रकाशित करने के अधिकार को पूरी तरह से प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है. हालांकि, वादी- देवेगौड़ा और कुमारस्वामी- के खिलाफ बिना किसी स्वीकार्य और ठोस सामग्री के फर्जी और मनगढ़ंत समाचार दिखाने से रोका जा सकता है.
न्यूज पोर्टल बार एंड बेंच ने 4 मई को जारी कोर्ट के आदेश के हवाले से बताया, ‘यह आदेश प्रतिवादियों को जनता में अनावश्यक रूप से उनकी छवि और प्रतिष्ठा को धूमिल करने के इरादे से उनके खिलाफ बिना किसी ठोस सबूत के, वादी का गलत चित्रण करके, उनकी तस्वीरें दिखाकर, किसी भी समाचार को प्रकाशित करने से अस्थायी रूप से रोकता है.’
अदालत ने कहा कि यौन उत्पीड़न को दर्शाने वाले वीडियो या इन आरोपों के बाद दर्ज की गई शिकायतों के संबंध में देवेगौड़ा और कुमारस्वामी के खिलाफ कोई आरोप नहीं है.
आदेश में कहा गया है, ‘इस मामले की संवेदनशीलता और प्रज्वल रेवन्ना के साथ उनके संबंधों के बारे में तथ्यों और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को ध्यान में रखते हुए मेरी राय है कि, प्रतिवादियों को लेख प्रकाशित करने का अधिकार है. बचाव के अधिकार को पूरी तरह से प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता. हालांकि, इन वादीगणों के खिलाफ बिना किसी स्वीकार्य और ठोस सामग्री के फर्जी और मनगढ़ंत समाचार दिखाने की सीमा तक, सीमित अवधि के लिए आदेश देकर रोका जा सकता है.’
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरिम आदेश 29 मई को सुनवाई की अगली तारीख तक प्रभावी रहेगा.
न्यायाधीश ने वादी द्वारा दायर मुकदमे की सुनवाई के बाद आदेश पारित किया, जिन्होंने दलील दी थी कथित वीडियो और शिकायतों के संबंध में उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं हैं लेकिन उनकी तस्वीरों को मॉर्फिंग और अन्य तरीकों से एडिट करके दिखाया जा रहा है.
मालूम हो कि कर्नाटक के हासन से सांसद और इस लोकसभा चुनाव में भाजपा और जेडीएस गठबंधन के मौजूदा उम्मीदवार प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ कई महिलाओं के यौन उत्पीड़न का आरोप है. उत्पीड़न के कथित वीडियो सामने आने के बाद पार्टी ने उन्हें निलंबित कर दिया था.