त्रिपुरा: सीएए के कार्यान्वयन को तैयार सरकार, डीएम को अधिकारियों को नामित करने को कहा

त्रिपुरा सरकार ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (सीएए) के कार्यान्वयन के लिए राज्य स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति और ज़िला स्तरीय समिति के गठन के लिए अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है. लोकसभा चुनावों की घोषणा के कुछ दिन पहले ही गृह मंत्रालय ने सीएए के नियमों को अधिसूचित किया था.

माणिक साहा. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: त्रिपुरा सरकार ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (सीएए) के कार्यान्वयन के लिए राज्य स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति और जिला स्तरीय समिति के गठन के लिए अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सभी जिलाधिकारियों को समितियां बनाने और अधिकारियों को नामित करने के लिए कहा गया है.

जनगणना संचालन निदेशालय त्रिपुरा के निदेशक द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि गृह मंत्रालय, विदेश प्रभाग ने मार्च में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अधिनियम के तहत प्राप्त नागरिकता आवेदनों को संसाधित करने के लिए जिला स्तरीय समितियां (डीएलसी) बनाने के लिए कहा था.

जिलाधिकारियों से एक सिविल सेवक को नामित करने का भी आग्रह किया गया है जिसे समिति में सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा.

प्रशासन के शीर्ष सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि जिलों ने इस कार्य को पूरा करने के लिए अधिकारियों को नामित करना शुरू कर दिया है.

ज्ञात हो कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के नियमों को अधिसूचित करने के दो महीने से अधिक समय बाद केंद्र सरकार ने बुधवार को नागरिकता प्रमाण पत्र का पहली किस्त सौंपी थी, जहां केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने कुछ आवेदकों को नागरिकता प्रमाण पत्र सौंपे.

बताया गया है कि नागरिकता चाहने वाले 14 आवेदकों को प्रमाण पत्र भौतिक रूप से सौंपे गए और कई अन्य आवेदकों को डिजिटल हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र ईमेल के माध्यम से जारी किए गए हैं.

मालूम हो कि लोकसभा चुनावों की घोषणा के कुछ दिन पहले 11 मार्च को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के नियमों को अधिसूचित किया था.

नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पेश और 2019 में संसद द्वारा पारित सीएए का उद्देश्य धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसंबर 2014 से पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों – जिनमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शामिल हैं – को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है.

उल्लेखनीय है कि इस साल सीएए के नियम अधिसूचित होने के बाद असम में ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन हुआ था. दिसंबर 2019 में जब सीएए संसद में पारित हुआ था तो राज्य में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसमें गुवाहाटी में हुई हिंसा भी शामिल थी.

सीएए को दिसंबर 2019 में भारत की संसद द्वारा पारित किया गया था और बाद में राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई. हालांकि, मुस्लिम संगठनों और समूहों ने धर्म के आधार पर भेदभाव का आरोप लगाया और इसका विरोध किया.

इस कानून के बनने के बाद देशभर में महीनों तक विरोध प्रदर्शनों का दौर चला था, जो कोविड-19 महामारी के कारण थम गया. कानून को आलोचकों द्वारा मुस्लिम विरोधी और असंवैधानिक बताया जाता रहा है.

वहीं, बंगाल, तमिलनाडु जैसे कई गैर-भाजपा शासित राज्यों का कहना है कि वे अपने राज्यों में सीएए लागू नहीं होने देंगे.