नीट परीक्षा: शिक्षा मंत्री की एनटीए को ‘क्लीन चिट’ पर बिहार-गुजरात पुलिस की जांच सवाल उठाती है

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि नीट-यूजी का पेपर लीक होने के आरोपों को साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है, लेकिन बिहार पुलिस की जांच पेपर लीक के संकेत देती है. परीक्षा आयोजित कराने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी पर इस जांच को बाधित करने का आरोप है.

/
एनटीए के ख़िलाफ़ छात्रों का प्रदर्शन और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान. (फोटो साभार: ट्विटर/फेसबुक)

नई दिल्ली: वर्ष 2024 की राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) में पेपर लीक और गड़बड़ी के आरोप लगाकर देश भर में छात्र लगातार आंदोलनरत हैं और परीक्षा को दोबारा कराए जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन इस बीच केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान का कहना है कि परीक्षा के दौरान पेपर लीक के आरोपों को स्थापित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं मिला है.

हालांकि, प्रधान के इस दावे को पेपर लीक को लेकर बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओडब्ल्यू) और गुजरात पुलिस की जांचें झुठलाती नज़र आती हैं.

बिहार पुलिस ने तो परीक्षा आयोजित कराने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) पर जांच में बाधा डालने तक का आरोप लगाया है.

क्या कहा धर्मेंद्र प्रधान ने?

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को संकेत दिया कि पूरी प्रवेश परीक्षा को रद्द करना संभव नहीं है. उन्होंने कहा, ‘मैंने छात्रों को आश्वासन दिया है कि उनके हितों का ध्यान रखा जाएगा. मैंने उनसे कहा है कि कुछ केंद्रों पर सामने आई समस्याओं के आधार पर परीक्षा की शुचिता पर फैसला न लें.’

प्रधान ने यह बात छात्रों के समूहों द्वारा शिक्षा मंत्रालय के बाहर विरोध प्रदर्शन करने तथा सभी प्रतिभागी छात्रों के लिए पुनः परीक्षा कराने, परिणामों में गड़बड़ी की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने तथा राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) से पारदर्शिता लाने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपने के कुछ घंटों बाद कही.

उन्होंने कुछ आंदोलनकारी छात्रों और उनके अभिभावकों से भी मुलाकात की, लेकिन साथ ही वह कहते नज़र आए कि इस साल परीक्षा के दौरान पेपर लीक होने के आरोपों को साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है.

परीक्षा में टॉप करने वालों की अधिक संख्या के संबंध में उन्होंने कहा कि इस वर्ष अधिक टॉपर हैं, क्योंकि 3,00,000 अधिक छात्र परीक्षा में बैठे थे तथा प्राधिकरणों ने पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बना दिया था.

प्रधान की यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र को 1,563 छात्रों को दिए गए ग्रेस मार्क्स रद्द करने और उनके लिए नीट परीक्षा फिर से आयोजित करने की अनुमति दिए जाने के एक दिन बाद आई.

बता दें कि इस साल की नीट परीक्षा तब विवादों में घिर गई जब आरोप सामने आए कि राजस्थान के एक केंद्र में हिंदी माध्यम से परीक्षा देने वाले छात्रों को अंग्रेजी में प्रश्नपत्र मिले. साथ ही, खबरें सामने आईं कि छात्रों को फटी ओएमआर शीटें मिलीं और प्रश्नपत्र के वितरण में देरी हुई. वहीं, कथित पेपर लीक को लेकर पटना में मामला दर्ज किया गया, जिसके बाद पुलिस ने एक रैकेट के तहत प्रश्नपत्र हल करने और उत्तर देने में शामिल 13 लोगों को गिरफ्तार किया. गिरफ्तार लोगों में चार परीक्षार्थी भी शामिल हैं.

जिन 1,563 उम्मीदवारों को ग्रेस मार्क्स मिले, उन्होंने शिकायत की थी कि उन्हें परीक्षा पूरी करने के लिए निर्धारित 3 घंटे और 20 मिनट का समय नहीं मिला था.

एनटीए की शिकायत समिति ने इस पहलू पर गौर किया और मेघालय, हरियाणा, छत्तीसगढ़, सूरत तथा चंडीगढ़ के छह केंद्रों से 1,563 उम्मीदवारों की पहचान की. हरियाणा के बहादुरगढ़ में एक ही केंद्र पर परीक्षा देने वाले छह छात्रों का नाम टॉपर में आया.

नतीजतन, बीते कई दिनों से भारत भर में हजारों छात्र इस वर्ष की नीट प्रवेश परीक्षा के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं. उनके आरोप हैं कि परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक हुआ और कुछ छात्रों को अधिक अंक और मनमाने ढंग से ग्रेस मार्क दिए गए.

विपक्षी दल भी इन आरोपों की जांच सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में कराने की मांग कर चुके हैं. विभिन्न हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में परीक्षा के खिलाफ 40 से अधिक मामले दर्ज कराए गए हैं.

हालांकि, शुक्रवार को प्रधान ने उपरोक्त सभी आरोपों को एक तरह से खारिज करते हुए तर्क दिया कि इस साल परीक्षा पास करने वाले छात्रों में बड़ी संख्या ग्रामीण इलाकों के छात्रों की है, जिनमें वे भी शामिल हैं जिन्होंने कोई कोचिंग नहीं ली. कुछ लोग इसे पचा नहीं पा रहे हैं और इसलिए वे ऐसे छात्रों के हितों के खिलाफ साजिश रच रहे हैं.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सिर्फ छह केंद्रों पर गलत प्रश्नपत्र बांटे गए. शीर्ष स्कोर करने वालों की संख्या में वृद्धि पर – इस वर्ष पूर्ण अंक प्राप्त करने वालों की संख्या 67 रही, जबकि 2022 में शून्य और 2023 में ऐसे दो ही छात्र थे – और अंक बढ़ाने पर प्रधान ने कहा कि उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे अधिक प्रतिस्पर्धा हुई है.

एक तरफ वे उक्त शब्दों के सहारे परीक्षा का बचाव करते नज़र आए तो दूसरी तरफ ये विरोधाभासी शब्द भी उन्होंने कहे, ‘सरकार नीट परीक्षार्थियों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि सरकार मेडिकल परीक्षा के संचालन में किसी भी तरह की अनियमितता और कदाचार को बर्दाश्त नहीं करेगी. इस तरह की प्रथाओं में शामिल पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को सख्त सजा दी जाएगी. मंत्रालय एनटीए की जवाबदेही भी तय करेगा. यदि एजेंसी के स्तर पर कोई चूक पाई जाती है, तो कार्रवाई की जाएगी.’

बिहार पुलिस की जांच में खुली धर्मेंद्र प्रधान के दावों की पोल, मिले पेपर लीक के संकेत

इस बीच, पेपर लीक होने के सबूत न होने संबंधी प्रधान के दावों पर बिहार पुलिस की ईओडब्ल्यू की जांच सवाल खड़े करती है, जिसमें संकेत दिया गया है कि वास्तव में पेपर लीक हुए थे.

ईओडब्ल्यू के अतिरिक्त महानिदेशक नैयर हसनैन खान ने शुक्रवार को द टेलीग्राफ को बताया कि 5 मई को, जिस दिन नीट परीक्षा आयोजित की गई थी, उसी दिन पटना के शास्त्रीनगर पुलिस थाने में एक एफआईआर दर्ज करके 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

खान ने कहा, ‘जांच के अनुसार परीक्षा में गड़बड़ी करने वाले माफिया ने परीक्षा से एक दिन पहले उम्मीदवारों को अपने पास पटना के बाहरी इलाके में एक छात्रावास में रखा था. उन्होंने उम्मीदवारों के मूल दस्तावेज अपने पास रख लिए और उन्हें प्रश्न तथा उनके उत्तर याद कराए. इसके बाद उम्मीदवारों को पेपर लिखने के लिए परीक्षा केंद्रों पर छोड़ दिया गया. अब तक चार ऐसे उम्मीदवारों को पकड़ा गया है और उन्होंने कहा है कि नीट-यूजी में पूछे गए प्रश्न उन प्रश्नों से पूरी तरह मेल खाते थे, जो उन्हें छात्रावास में रखकर याद कराए गए थे.’

टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, जब छात्रावास में छापेमारी की गई तो वहां से सीरियल नंबर 6136488 वाली नीट-यूजी बुकलेट समेत कई चीजें बरामद की गईं. गिरफ्तार अभ्यर्थियों ने खुलासा किया है कि परीक्षा से पहले करीब 30 परीक्षार्थियों को रात भर वहां रखा गया था.

ईओडब्ल्यू अधिकारी ने बताया है कि गिरफ्तार किए गए लोगों में सिकंदर यादवेंदु, अखिलेश कुमार और नीतीश कुमार शामिल हैं. उन्हें पहले भी विभिन्न परीक्षाओं में पेपर लीक के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था, जिनमें हाल ही में बिहार में शिक्षकों की भर्ती से संबंधित मामला भी शामिल था, लेकिन वे जमानत पर बाहर आने में सफल रहे.

गौरतलब है कि इस मामले में मंगलवार (11 जून) को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को नोटिस जारी किया था. सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि नीट परीक्षा की शुचिता (sanctity) प्रभावित हुई है, इसलिए एनटीए को जवाब देने की जरूरत है.  जो प्रधान के दावों के विपरीत था.

हालांकि, कोर्ट ने फिलहाल नीट की काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.

गुजरात पुलिस ने भी परीक्षा में कथित घोटाले को लेकर 5 लोगों को गिरफ़्तार किया

केवल बिहार पुलिस की ईओडब्ल्यू की जांच ही नहीं, बल्कि गुजरात पुलिस द्वारा भी की गईं गिरफ्तारियां धर्मेंद्र प्रधान के दावों पर सवाल उठा रही हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, गुजरात पुलिस ने गोधरा के एक केंद्र में नीट परीक्षा में कथित धांधली के सिलसिले में एक कोचिंग सेंटर के प्रमुख समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया है.

गोधरा में दर्ज पुलिस शिकायत के अनुसार, लगभग एक दर्जन छात्र, उनके माता-पिता और शिक्षकों के एक समूह द्वारा संचालित वडोदरा का एक कोचिंग सेंटर कथित घोटाले में शामिल हैं. जिन छात्रों के माता-पिता ने पैसे दिए थे, उनसे कथित तौर पर उन सवालों को छोड़ने के लिए कहा गया था जिनके उत्तर उन्हें नहीं पता थे और बाद में उन उत्तरों को शिक्षकों द्वारा भर दिया जाता था.

गोधरा के परवडी गांव में स्थित एक स्कूल में आयोजित परीक्षा में कथित गड़बड़ी या अनियमितता के मामले की जांच पंचमहल जिला पुलिस कर रही है.

गिरफ्तार लोगों में एक शिक्षा सलाहकार विभोर आनंद और स्कूल के प्रिंसिपल पुरुषोत्तम शर्मा शामिल हैं, जो मुख्य आरोपी तुषार भट्ट के साथ मिलीभगत में शामिल थे. भट्ट स्कूल में नीट केंद्र के उपाधीक्षक थे. एक अन्य प्रमुख आरोपी वडोदरा की इमिग्रेशन एजेंसी के मालिक परशुराम रॉय हैं, जो आनंद और अन्य लोगों के साथ जुड़े हुए थे.

गुजरात पुलिस की एफआईआर में कहा गया है कि शिक्षा विभाग के निरीक्षण दल द्वारा 5 मई को नीट केंद्र पर छापेमारी के दौरान कदाचार के प्रयास को ‘नाकाम’ कर दिया गया था.

पुलिस ने कहा है कि चार छात्रों ने कथित तौर पर 66 लाख रुपये का भुगतान किया था, जबकि तीन अन्य ने कोचिंग सेंटर रॉय ओवरसीज को खाली (Blank) चेक दिए थे. कोचिंग सेंटर परशुराम रॉय चलाते थे, जो अभी न्यायिक हिरासत में हैं.

जांच से पता चला है कि अभिभावकों ने रॉय और भट्ट तथा गोधरा के आरिफ वोरा समेत अन्य लोगों को 2.82 करोड़ रुपये का भुगतान किया था.

रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने खाली चेक बरामद कर लिए हैं. उनके पीछे छात्रों के विवरण और अभिभावकों के संपर्क विवरण लिखे हुए हैं. पुलिस को अभिभावकों से रॉय के खातों में किए गए वित्तीय लेनदेन के बारे में भी पता चला है.

बिहार पुलिस ने लगाए एनटीए पर जांच में बाधा डालने के आरोप

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद प्रधान ने अपने बयान में परीक्षा आयोजित कराने वाले एनटीए में भ्रष्टाचार के आरोपों को भी खारिज कर दिया और इसे बहुत भरोसेमंद संस्थान बताया है, लेकिन द टेलीग्राफ की रिपोर्ट कहती है कि एनटीए ने बिहार के ईओडब्ल्यू अधिकारियों द्वारा मांगी गई जानकारी उन्हें उपलब्ध न कराकर जांच को लगभग एक महीने तक रोके रखा था.

रिपोर्ट के मुताबिक, ईओडब्ल्यू ने मई के मध्य में एनटीए से संपर्क करके ‘प्रश्नपत्र किस-किसकी कस्टडी में रखे गए’, उनकी छपाई, परिवहन और वितरण संबंधी जानकारी के साथ-साथ इन कार्यों में शामिल लोगों और एजेंसियों के बारे में जानकारी मांगी थी, लेकिन एनटीए की ओर से उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई.

नैयर हसनैन खान ने शुक्रवार (14 जून) को बताया, ‘एनटीए ने कई अनुरोधों के बाद परसों (बुधवार) एक ईमेल के माध्यम से जवाब दिया. हमारे अधिकारी इसका विश्लेषण कर रहे हैं कि दी गई जानकारी पर्याप्त है या नहीं. यदि आवश्यक हुआ, तो हम और अधिक जानकारी की मांग करेंगे. हमारे प्रश्नों का उत्तर देने में लगभग एक महीने की देरी ने हमारी जांच को रोक दिया और हम मामले में आगे नहीं बढ़ पाए.’

गौरतलब है कि इससे पहले नीट-यूजी 2024 में कथित विसंगतियों के आरोपों के बीच नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने इसकी गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष को ही जांच आयोग का प्रमुख नियुक्त किया था. इस निर्णय के बाद जांच की निष्पक्षता को लेकर सवाल उठाए जा रहे थे.

इस बीच, शुक्रवार को ही शीर्ष अदालत ने पेपर लीक के आरोपों की स्वतंत्र सीबीआई जांच की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी करके एनटीए से अगली सुनवाई 8 जुलाई तक जवाब मांगा है. अदालत ने पेपर लीक के आरोपों से संबंधित छह अन्य याचिकाओं और एनटीए द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित याचिका को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने के लिए दायर स्थानांतरण याचिका पर भी नोटिस जारी किया.

उल्लेखनीय है कि इस बार नीट परीक्षा पांच मई को हुई थी और  इसमें शामिल होने के लिए 24 लाख से अधिक विद्यार्थियों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया था. इनमें 23.33 लाख बच्चे परीक्षा में शामिल हुए.

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, परीक्षा के परिणाम 14 जून को घोषित होने थे. हालांकि, रिज़ल्ट दस दिन पहले यानी चार जून को घोषित कर दिए गए.