नई दिल्ली: तमिलनाडु के कल्लकुरिची शराब त्रासदी में मरने वालों की संख्या बढ़कर 54 हो गई है, जहां करुणापुरम में जहरीली शराब पीने से चार और लोगों की मौत हो गई. पीड़ितों में 48 पुरुष और छह महिलाएं शामिल हैं.
शुक्रवार और शनिवार के दरम्यानी रात को जान गंवाने वालों में से अधिकांश करुणापुरम के थे.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी कल्लकुरिची मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 30 लोगों की मौत हुई, सलेम के सरकारी मोहन कुमारमंगलम मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 17, सरकारी विल्लुपुरम मेडिकल कॉलेज अस्पताल में चार और पुडुचेरी के जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (जिपमेर) में तीन लोगों की मौत हुई.
छह महिलाओं और एक ट्रांसजेंडर समेत कुल 142 अन्य लोगों का सरकारी कल्लाकुरिची मेडिकल कॉलेज अस्पताल और पुडुचेरी के सलेम, विल्लुपुरम और जिपमेर के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में इलाज चल रहा है.
शुक्रवार, 22 जून को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने अवैध शराब पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदमों पर जिला कलेक्टरों और जिला पुलिस अधीक्षकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की.
सीबीआई जांच की मांग
मुख्य विपक्षी दल एआईएडीएमके द्वारा जिले में हुई शराब त्रासदी की सीबीआई जांच की मांग के बाद पीएमके संस्थापक एस. रामदास ने शुक्रवार को यह भी कहा कि तमिलनाडु सरकार को जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंप देनी चाहिए, क्योंकि इस व्यापार का समर्थन करने वाले पुलिस के उच्च अधिकारियों को सजा मिलनी चाहिए.
जिला प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की. नौ जिलों को शामिल करते हुए सेंट्रल जोन की पुलिस ने 19 और 20 जून को 342 निषेधाज्ञा मामले दर्ज किए हैं, जिनमें तंजावुर जिले में सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं.
पुलिस की ओर से जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि नौ जिलों में अवैध रूप से शराब बेचने वालों और जमाखोरी तथा तस्करी में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है.
मदुरै जिला कलेक्टर एमएस संगीता ने जिला प्रशासन और पुलिस के संयुक्त प्रयासों से अवैध शराब बनाने या बेचने के किसी भी प्रयास की जांच करने के लिए अधिकारियों की एक बैठक की अध्यक्षता की. मईलादुथुराई जिला प्रशासन ने नकली शराब या प्रतिबंधित तंबाकू उत्पादों की बिक्री की सूचना देने के लिए सदस्यों को फोन नंबर जारी किए हैं, जिन पर वे कॉल कर सकते हैं और वॉट्सऐप संदेश भेज सकते हैं.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने चार संदिग्ध तस्करों को गिरफ्तार किया है और 10 अन्य को हिरासत में लिया है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि इन मौतों की वजह जहरीली शराब पीना है. उन्होंने कहा, ‘हम जांच कर रहे हैं कि उन्होंने वास्तव में क्या खाया था.’
राज्य सरकार ने जिला पुलिस प्रमुख समय सिंह मीणा को निलंबित कर दिया है और उनकी जगह रजत चतुर्वेदी को नियुक्त किया है. कलेक्टर श्रवण कुमार जाटवथ की जगह एमएस प्रशांत को नियुक्त किया गया है.
निषेध प्रवर्तन शाखा के एक पुलिस उपाधीक्षक रैंक के अधिकारी, तीन निरीक्षक और इतने ही उपनिरीक्षकों को भी निलंबित किया गया है. राज्य सरकार ने जहरीली शराब त्रासदी की जांच भी सीबी-सीआईडी को सौंप दी है.
मुख्यमंत्री ने मद्रास उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस (सेवानिवृत्त) बी. गोकुलदास द्वारा जांच की घोषणा की है.
मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य को फटकार लगाई और कार्रवाई रिपोर्ट मांगी
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार को इस त्रासदी के लिए फटकार लगाई और कल्लकुरिची जिले में जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत के बाद उठाए गए कदमों का विवरण देने वाली रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.
जस्टिस डी. कृष्णकुमार और के. कुमारेश बाबू की पीठ ने राज्य सरकार से यह भी पूछा कि पिछले साल पड़ोसी जिलों में इसी तरह की घटना होने के बावजूद अधिकारी इस त्रासदी को रोकने में क्यों विफल रहे.
पीठ ने कहा कि कल्लकुरिची में घटना से कुछ सप्ताह पहले स्थानीय अख़बारों और एक यूट्यूबर ने इलाके में अवैध रूप से नकली शराब उपलब्ध कराए जाने की रिपोर्ट छापी थी.
अदालत एआईएडीएमके के कानूनी विंग के सचिव आईएस इनबादुरई द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें घटना की सीबीआई जांच की मांग की गई थी.
इनबादुरई के वकील डी. सेल्वम ने अदालत को बताया कि 29 मार्च, 2023 को कल्लाकुरिची से एआईएडीएमके विधायक एम सेंथिलकुमार ने क्षेत्र में नकली शराब की बिक्री के संबंध में एक विशिष्ट प्रस्ताव पेश किया था. फिर भी राज्य सरकार कोई कार्रवाई करने में विफल रही.
सरकार के महाधिवक्ता (एजी) पीएस रमन ने अदालत को बताया कि राज्य ने पहले ही घटना की जांच सीबी-सीआईडी को सौंप दी है. उन्होंने कहा कि चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है और कई पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है.
अदालत ने कहा, ‘इस मुद्दे को सरकार हल्के में नहीं ले सकती. यह मानव जीवन के बारे में है. हम जानना चाहते हैं कि पिछले साल जब ऐसी ही घटना हुई थी, तब से राज्य ने क्या कार्रवाई की है. पुलिस और जिला अधिकारियों के खिलाफ क्या किया जाना चाहिए, जिन्होंने कार्रवाई करने में विफल रहे?’
अदालत ने तमिलनाडु सरकार को 26 जून तक एक विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.