नई दिल्ली: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने बांग्लादेशी मूल के अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर निशाना साधा और दावा किया कि उन्होंने हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को वोट दिया.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, शर्मा ने दावा किया है कि बांग्लादेशी मूल के अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों ने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में ‘भारी संख्या में’ कांग्रेस को वोट दिया, जबकि उन्होंने ‘केंद्र और राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारों द्वारा उनके लिए किए गए विकास कार्यों’ पर विचार नहीं किया.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार शर्मा ने आरोप लगाया कि बांग्लादेशी मूल के अल्पसंख्यक ही असम में एकमात्र ऐसा समुदाय है जो सांप्रदायिकता में लिप्त है.
भारतीय जनता पार्टी-एजीपी-यूपीपीएल गठबंधन ने असमकी 14 लोकसभा सीटों में से 11 पर जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस ने शेष तीन सीटें जीतीं.
उन्होंने लोकसभा चुनाव में जीतने वाले भाजपा उम्मीदवारों के अभिनंदन समारोह में बोलते हुए दावा किया, ‘अगर हम कांग्रेस के 39 प्रतिशत मतों का विश्लेषण करें तो यह पूरे राज्य में नहीं फैला है. इसका 50 प्रतिशत वोट 21 विधानसभा क्षेत्रों में केंद्रित है, जो अल्पसंख्यक बहुल हैं. इन अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में भाजपा को 3 प्रतिशत वोट मिले.’
शर्मा ने आगे कहा, ‘इससे साबित होता है कि हिंदू सांप्रदायिकता में लिप्त नहीं हैं. अगर कोई असम में सांप्रदायिकता में लिप्त है, तो वह केवल एक समुदाय, एक धर्म है. कोई अन्य धर्म ऐसा नहीं करता है.’
मुख्यमंत्री ने कहा कि अल्पसंख्यक बहुल इलाकों ने कांग्रेस को वोट दिया है और उन्होंने फिर से ऐसा किया है, जबकि वहां सड़कें और बिजली नहीं है. भाजपा ने असमिया लोगों और आदिवासियों के लिए काम किया, लेकिन बांग्लादेशी मूल के अल्पसंख्यकों ने सत्तारूढ़ पार्टी को वोट नहीं दिया.
पीटीआई ने शर्मा के हवाले से कहा, ‘करीमगंज को छोड़कर अगर हम बांग्लादेशी मूल के लोगों की बहुलता वाले क्षेत्रों को देखें, तो 99 प्रतिशत वोट कांग्रेस को गए हैं. वे (अल्पसंख्यक लोग) (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी द्वारा दिए गए घरों में रह सकते हैं, मोदी द्वारा दी गई बिजली और स्वच्छता सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं, लेकिन जब वे वोट देने जाते हैं, तो वे कांग्रेस को वोट देते हैं.’
हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि बांग्लादेशी मूल का समुदाय कांग्रेस को वोट देगा क्योंकि वे अगले 10 वर्षों तक असम पर नियंत्रण रखना चाहते हैं.