नई दिल्ली: सोमवार (22 जुलाई) से शुरू हुए संसद सत्र से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक सहयोगी सहित तीन क्षेत्रीय दलों ने रविवार (21 जुलाई) को आयोजित सर्वदलीय बैठक में तीन राज्यों के लिए विशेष श्रेणी के दर्जे की अपनी मांग रखी है.
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में भाजपा के प्रमुख सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) ने बिहार के लिए विशेष पैकेज की मांग की है, जबकि संसद में भाजपा के पूर्व सहयोगी बीजू जनता दल (बीजद) और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) ने क्रमशः ओडिशा और आंध्र प्रदेश के लिए मांग उठाई है.
जदयू के राजनीतिक सलाहकार और राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने द वायर को बताया, ‘यह हमारी 2005 से मांग रही है. 14वें वित्त आयोग ने इसे स्वीकार नहीं किया. इसलिए हम लगातार इस मांग को उठाते रहे हैं. सभी राजनीतिक दलों भाजपा, राजद, जदयू, सीपीआई (एम), सीपीआई, कांग्रेस ने सर्वसम्मति से दो बार प्रस्ताव पारित किए हैं. हम इस मांग को पार्टी के अंदरूनी चर्चा के स्तर पर उठाएंगे और अगर कोई अन्य चरण भी होता है तो हम इसे जारी रखेंगे जैसा कि हम पहले भी करते आए हैं.’
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा 240 सीटें जीतकर अकेले बहुमत से चूक गई. सरकार बनाने के लिए उसे एनडीए के सहयोगियों दलों पर निर्भर होना पड़ा है. जदयू जिसके पास 12 लोकसभा सीटें हैं और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) जिसके पास 16 सीटें हैं, दोनों ही भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के लिए महत्वपूर्ण सहयोगी हैं.
भाजपा के साथ गठबंधन में होने के बावजूद जदयू ने पिछले महीने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें बिहार के लिए विशेष दर्जे के साथ-साथ राज्य के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की अपनी पुरानी मांग दोहराई गई.
पिछले महीने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा के बाद त्यागी ने यह भी कहा था कि विशेष दर्जा की मांग लंबे समय से चली आ रही है, लेकिन यह गठबंधन के लिए पूर्व शर्त नहीं है.
जदयू सांसद संजय कुमार झा ने कहा, ‘बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना हमारी पार्टी (जदयू) की शुरू से ही मांग रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मांग को लेकर बड़ी-बड़ी रैलियां कर चुके हैं. यह हमारी मांग है, लेकिन अगर तकनीकी रूप से सरकार को लगता है कि ऐसा करने में कोई दिक्कत है, तो हमने बिहार के लिए विशेष पैकेज की मांग की है.’
हालांकि, आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने से मोदी सरकार के इनकार के बाद 2018 में तेदेपा एनडीए से बाहर हो गई थी, लेकिन वर्तमान एनडीए सरकार का हिस्सा बनने के बाद से पार्टी ने अभी तक ऐसी कोई मांग नहीं की है. जदयू की तरह तेदेपा भी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एनडीए के पाले में लौट आई थी.
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि जदयू और वाईएसआरसीपी ने विशेष पैकेज की मांग की है, लेकिन भाजपा की अन्य प्रमुख सहयोगी तेदेपा ने चुप्पी साध रखी है.
जून में हुए आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में सत्ता से बाहर हुई वाईएसआरसीपी ने पहले संसद में भाजपा का समर्थन किया था. हालांकि, सर्वदलीय बैठक में उसने राज्य के लिए विशेष दर्जे की मांग उठाई है.
बैठक के बाद वाईएसआरसीपी सांसद विजय साई रेड्डी ने पत्रकारों से कहा, ‘तेदेपा विशेष श्रेणी के दर्जे का मुद्दा नहीं उठा रही है. उन्होंने भाजपा के साथ लोगों के मुद्दों पर समझौता कर लिया है.’
उन्होंने कहा, ‘मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि वाईएसआरसीपी केवल मुद्दा-आधारित समर्थन देगी, जहां भी देश और राज्य हित होगा हम समर्थन करेंगे, अन्यथा हम विरोध करेंगे.’
संसद में भाजपा की एक और सहयोगी पार्टी बीजद ने भी ओडिशा के लिए विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है. हालांकि, बीजद का भाजपा के साथ कोई औपचारिक गठबंधन नहीं था, लेकिन इसने संसद में महत्वपूर्ण विधेयकों में भाजपा का समर्थन किया है.
ओडिशा विधानसभा चुनावों में हार के बाद, जिसमें दो दशकों से अधिक समय के बाद नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता से बाहर हो गई और राज्य में पहली बार भाजपा की सरकार बनने के बाद से बीजद ने घोषणा की है कि वह भाजपा का विरोध करेगी. पार्टी ने संसद के विशेष सत्र के दौरान ‘इंडिया’ गठबंधन के अन्य सदस्यों के साथ वॉकआउट भी करेगा.
बीजद के राज्यसभा सांसद सस्मित पात्रा ने पत्रकारों से कहा, ‘ओडिशा दो दशकों से भी ज़्यादा समय से विशेष श्रेणी के दर्जे से वंचित है. बीजद लगातार ओडिशा के लिए विशेष श्रेणी के दर्जे की मांग कर रही है. सर्वदलीय बैठक में बिहार और आंध्र प्रदेश के प्रतिनिधि भी शामिल हुए थे, जिन्होंने अपने-अपने राज्यों के लिए विशेष श्रेणी के दर्जे की मांग की. हम अन्य राज्यों के अपने समकक्षों के साथ इस मुद्दे पर सहमत हैं, जो अपने-अपने राज्यों के लिए भी इसी तरह की ज़रूरत महसूस करते हैं.’
कांग्रेस ने डिप्टी स्पीकर की मांग उठाई
कांग्रेस के सूत्रों ने द वायर को बताया कि सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस ने मांग उठाई कि डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को दिया जाए.
17वीं लोकसभा में विपक्षी सांसदों के अभूतपूर्व निलंबन की अध्यक्षता करने वाले भाजपा सांसद ओम बिरला 18वीं लोकसभा में इस पद पर वापस आ गए, लेकिन स्पीकर के पद के लिए दशकों में पहली बार चुनाव हुआ.
सरकार और विपक्ष के बीच डिप्टी स्पीकर के पद के लिए बातचीत विफल होने के बाद कांग्रेस विधायक के. सुरेश ने ‘इंडिया’ गठबंधन उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया.
विपक्ष डिप्टी स्पीकर के पद पर जोर तब दे रहा है जब 17वीं लोकसभा में पहली बार यह पद रिक्त रह गया था.
लोकसभा में पार्टी के उपनेता और कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने भी सर्वदलीय बैठक में नीट/नेट घोटाले, यूपीएससी विवाद, रेलवे सुरक्षा में गिरावट, अग्निवीर से संबंधित मुद्दे उठाए और कहा कि इन्हें संसद में उठाया जाना चाहिए.
पार्टी ने यह भी मांग की है कि जम्मू और मणिपुर में आंतरिक सुरक्षा की स्थिति को ‘चीन के साथ हमारी सीमाओं पर चुनौतियों’ और बाढ़, वनों की कटाई, केंद्र-राज्य संबंधों और अर्थव्यवस्था से संबंधित मुद्दों सहित पर्यावरण संबंधी चिंताओं के साथ उठाया जाना चाहिए. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य भर में दुकानों और भोजनालयों को कांवड़ यात्रा के मार्ग पर अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश का संदर्भ देते हुए, कांग्रेस ने ‘असंवैधानिक आदेश पारित करके यूपी जैसे राज्यों में ध्रुवीकरण के जानबूझकर किए जा रहे प्रयासों’ पर भी चर्चा करने की मांग की है.
सरकार ने सहयोग मांगा
संसद का बजट सत्र सोमवार से शुरू होकर 12 अगस्त को समाप्त होगा. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार (23 जुलाई) को केंद्रीय बजट पेश करेंगी.
बैठक के दौरान केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद के दोनों सदनों के सुचारू संचालन के लिए सभी दलीय नेताओं से सक्रिय सहयोग मांगा और कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है.
सभी सदनों के नेताओं की सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की. सरकार की ओर से बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा के साथ केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और एल मुरुगन भी शामिल हुए.
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