दिल्ली हाईकोर्ट का पत्रकार धन्या राजेंद्रन के ख़िलाफ़ अपमानजनक वीडियो और पोस्ट हटाने का आदेश

केरल मीडिया अकादमी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम 'कटिंग साउथ' के बाद कुछ समाचार संगठनों ने ऐसी ख़बरें चलाई थीं, जिनमें पत्रकार धन्या राजेंद्रन पर टिप्पणियां करते हुए दावा किया गया था कि आयोजन का उद्देश्य 'देश को अलग करना और उत्तर बनाम दक्षिण का विवाद खड़ा करना' था.

धन्या राजेंद्रन. (फोटो साभार: एक्स/@dhanyarajendran)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने द न्यूज़मिनट की संस्थापक और वरिष्ठ पत्रकार धन्या राजेंद्रन के खिलाफ केरल के समाचार चैनल कर्मा न्यूज़, जनम टीवी और अख़बार ‘जन्मभूमि’ को उनके द्वारा प्रकाशित व प्रसारित किए गए नौ अपमानजनक यूट्यूब वीडियो और पोस्ट हटाने का आदेश दिया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, पत्रकारों और मीडिया संस्थानों के खिलाफ दुष्प्रचार को लेकर अदालत का ये महत्वपूर्ण निर्देश सामने आया है. ये मामला पिछले साल केरल मीडिया अकादमी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम ‘कटिंग साउथ’ से जुड़ा हुआ था.

हाल ही में 15 जुलाई को धन्या राजेंद्रन द्वारा दायर मानहानि मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस विकास महाजन ने उनके पक्ष में अंतरिम निषेधाज्ञा (interim injunction) पारित की थी, जहां इन मीडिया संस्थानों को उक्त सामग्री हटाने या ब्लॉक करने के लिए दस दिन का समय दिया गया था. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि अगर संस्थान ऐसा नहीं करते, तो धन्या राजेंद्रन अदालत का दरवाजा खटखटा सकती हैं.

मालूम हो कि ‘कटिंग साउथ’ कार्यक्रम बीते साल 25 मार्च, 2023 को आयोजित किया गया था. ये पत्रकारिता से जुड़ा एक समारोह था, जिसका आयोजन स्वतंत्र मीडिया पोर्टल न्यूज़लॉन्ड्री और कुछ अन्य लोगों द्वारा किया था. द न्यूज़मिनट भी इसका सह-आयोजक था. इस सम्मेलन का उद्घाटन राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने किया था और इसमें कई बड़े पत्रकारों ने हिस्सा लिया था.

इसी मामले में धन्या राजेंद्रन के अलावा न्यूज़लॉन्ड्री ने भी 2023 में उच्च न्यायालय में एक अलग याचिका दायर की थी.

दोनों याचिकाओं में शिकायतकर्ताओं ने अदालत से ‘तत्काल राहत’ की मांग करते हुए कहा था कि उन्हें हैरानी है कि कैसे सम्मेलन के दौरान और उसके तुरंत बाद इन समाचार संगठनों ने डिजिटल और प्रिंट दोनों माध्यम से अपमानजनक ख़बरें चलाईं, जिनमें दावा किया गया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य ‘देश को अलग करना और उत्तर बनाम दक्षिण का विवाद खड़ा करना है.’

इन संस्थानों ने यह भी दावा किया था कि इस कार्यक्रम को अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस द्वारा फंडिंग मिली थी और करोड़ों रुपये कोच्चि (कार्यक्रम स्थल) में अवैध हवाला चैनलों के माध्यम से पहुंचे. इन खबरों में इस मीडिया कार्यक्रम को ‘बड़े आतंकवादी आंदोलन का एक कार्यक्रम’ भी कहते हुए ये भी दावा किया गया था कि कार्यक्रम के आयोजक ‘खालिस्तानी’ आतंकवादी और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से जुड़े थे, जिसे भारत सरकार ने प्रतिबंधित किया हुआ है.

याचिकाकर्ताओं ने अदालत में तर्क दिया कि यह सब मीडिया संस्थानों द्वारा लगाए निराधार आरोप थे, जो उनकी कई सालों की मेहनत से बनाई गई प्रतिष्ठा को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाने वाले हैं.

अपनी पत्रकारिता के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले दो समाचार संगठनों ने इस बात का भी जिक्र किया था कि इस तरह के निराधार आरोपों ने उनके व्यावसायिक और वित्तीय हितों पर सीधा और प्रतिकूल प्रभाव डाला है.

याचिकाकर्ताओं ने बताया कि आयोजन में 500 से अधिक लोगों ने भाग लिया था, जिनमें प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक, फोटोग्राफर, डॉक्यूमेंट्री निर्माता, टेक इनोवेटर, नीति निर्माता, फिल्मकार और अन्य शामिल थे.

कॉन्क्लेव को ‘कटिंग साउथ’ नाम क्यों दिया गया, इस बारे में याचिकाकर्ताओं ने कहा, ‘कटिंग साउथ 2023’ नाम ‘कटिंग चाय’ (मूल रूप से मुंबई में इस्तेमाल होने वाला शब्द) से लिया गया था, जिसका अर्थ अधिक स्वाद वाली स्थानीय चाय होता है, और इसका आशय पुरानी यादों, सच्चाई और आराम की भावना को व्यक्त करना भी है. यह शब्द आधुनिक शब्दावली के ‘कटिंग ऐज’ (cutting edge) से भी जुड़ता है जो उन्नत, प्रगतिशील, अग्रणी, गैर-परंपरागत और अत्याधुनिक चीजों का पर्याय है.’

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस महाजन ने लेखों और वीडियो को देखने के बाद कहा ता कि प्रथमदृष्टया ये (आरोप) किसी भी विश्वसनीय और भरोसेमंद स्रोत पर आधारित नहीं हैं, जिससे यह पता चले कि उक्त आरोप सच और तथ्यों पर आधारित हैं.

हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया है, ‘इसके अलावा, ऐसे आरोप किसी सार्वजनिक रिकॉर्ड दस्तावेज़ पर आधारित नहीं लगते हैं जैसे कि वादी (शिकायतकर्ता) के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज या लंबित है.’

अदालत ने कहा कि इन आरोपों से याचिकाकर्ता को गंभीर और अपूरणीय क्षति होगी, इसलिए ये संगठन दस दिन के भीतर उन पोस्ट के यूआरएल के साथ-साथ यूट्यूब वीडियो को हटा दें/पहुंच प्रतिबंधित कर दें/ब्लॉक कर दें, जिसमें वादी के खिलाफ अपमानजनक बयान शामिल हैं.

कोर्ट के आदेश के मुताबिक, जन्मभूमि, जनम टीवी और कर्मा न्यूज के कुल नौ यूआरएल को 25 जुलाई तक हटाने के लिए कहा गया है.