जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र और लोगों के पास अन्य भारतीयों के समान अधिकार नहीं हैं: श्रीनगर सांसद

श्रीनगर के सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी ने सोमवार को लोकसभा में बजट पर चर्चा के दौरान कहा कि बजट बनाना लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन इस समय हमारे पास लोकतंत्र नहीं है.

श्रीनगर के सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी (फोटो साभार: संसद टीवी)

नई दिल्ली: श्रीनगर के सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी को सोमवार (5 अगस्त) को लोकसभा में सत्ता पक्ष के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा क्योंकि उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने की पांचवीं वर्षगांठ का मुद्दा उठाया और कहा कि बजट पर चर्चा लोकतंत्र का हिस्सा है, उनके लोगों के पास इस समय लोकतंत्र ही नहीं है.

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के लिए अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान मेहदी ने कहा कि जम्मू और कश्मीर के लोगों के पास अन्य भारतीय नागरिकों के समान अधिकारों का आनंद लेने की ‘लक्जरी’ नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘यहां, मत्स्य पालन मंत्रालय के लिए अनुदान पर चर्चा में प्रत्येक सदस्य भाग ले रहा है. यह उनका सौभाग्य है कि उनके हालात सामान्य हैं, वे इस देश के बराबर के नागरिक हैं. उनके अधिकार समान और प्रथम श्रेणी के हैं. लेकिन हमारे पास यह लक्जरी नहीं है. हालांकि मैं भी चाहता था कि आज के दिन इस तरह की चर्चा में हिस्सा लूं. मेरे पास भी यह लक्जरी और विशेषाधिकार हो तो एक बराबर के नागरिक की तरह इन मामलों पर बात करूं. लेकिन आज 5 अगस्त को पांच साल पहले सदन में जो हुआ था…’

मेहदी ने इतना कहा ही था कि सत्ता पक्ष की तरफ से विरोध दर्ज कराया जाने लगा, लेकिन वह चुप नहीं हुए और उन्होंने सत्ता पक्ष को जवाब दिया कि अनुच्छेद 370 को हटाना लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘हां, आपके लिए ठीक हुआ था. मुल्क के लिए ठीक नहीं हुआ था. लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं हुआ था. वह हमारे लिए ठीक नहीं हुआ था. और हम आपकी मर्जी के गुलाम नहीं हैं. आपकी पार्टी के लिए ठीक हुआ होगा. लेकिन इस मुल्क की जम्हूरियत के लिए ठीक नहीं हुआ. जम्मू-कश्मीर की आवाम के लिए ठीक नहीं हुआ और इस सदन के लिए ठीक नहीं हुआ. पांच साल पहले इस सदन में वो काली करतूत की गई…’

इस दौरान, सभापति की भूमिका में मौजूद भाजपा सांसद जगदंबिका पाल मेहदी को बजट पर बोलने के लिए कहते रहे. साथ ही, सत्ता पक्ष विरोध में आवाज ऊंची करता रहा.

‘सुनने की हिम्मत भी रखो. तानाशाह सुनने से डरते हैं. पांच वर्ष पहले इस सभा में जम्मू और कश्मीर की गरिमा उस प्रकार छीनी गई थी जैसे द्रौपदी की गरिमा छीन ली गई थी. कौरवों की तरह ही वे हंस रहे थे और मस्ती कर रहे थे. इस दिन जम्मू और कश्मीर की आबादी और नेतृत्व को कैद कर दिया गया था और हमारे अधिकार और हमारी स्थिति…’ मेहदी यह कह ही रहे थे कि सभापति ने समय कम होने का हवाला देकर उन्हें बैठने के लिए कह दिया.

इसके बाद गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय मेहदी का जवाब देने के लिए अपनी सीट से खड़े हो गए. उन्होंने कहा, ‘माननीय सांसद जो कह रहे हैं, उसको रिकॉर्ड से हटाया जाए. 5 अगस्त के दिन जम्मू-कश्मीर को लेकर मोदी सरकार ने जो निर्णय लिया था वह देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए था. उन्होंने द्रौपदी के चीरहरण से जो तुलना की है, उसे रिकॉर्ड से हटा दिया जाना चाहिए.’

पाल ने तब कहा कि मेहदी की टिप्पणी की जांच की जाएगी. मेहदी ने फिर से बोलने की मांग की. पाल ने कहा, ‘यदि आप बजट पर बोलते हैं, तो मैं आपको एक मिनट और दूंगा.’

मेहदी ने कहा, ‘मैं बजट पर ही बोल रहा था. बजट बनाना लोकतंत्र का हिस्सा है. लेकिन इस समय हमारे पास लोकतंत्र नहीं है.’ इसके बाद सभापति ने अगले वक्ता को बोलने के लिए कह दिया.

इससे पहले दिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक एक्स पोस्ट में लिखा कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करने का निर्णय ‘ऐतिहासिक क्षण’ था. आज हम अनुच्छेद 370 और 35 (ए) को निरस्त करने के भारतीय संसद के फैसले के पांच साल पूरे कर रहे हैं. यह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में प्रगति और समृद्धि के एक नए युग की शुरुआत थी.’

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी एक एक्स पोस्ट में लिखा ‘परिवर्तनकारी निर्णय ने हाशिए के वर्गों के लिए सशक्तिकरण के एक नए युग की शुरुआत की है और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत किया है.’

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