नई दिल्ली: ‘इंडिया’ गठबंधन के विपक्षी सांसदों ने मंगलवार (6 अगस्त) को संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया और ‘स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम’ पर 18% जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) वापस लेने की मांग की.
गौरतलब है कि एक दिन पहले ही केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने तृणमूल कांग्रेस की सांसद माला रॉय के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में लोकसभा को बताया था कि 2021-22 से 2023-24 के बीच स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम और री-प्रीमियम से जीएसटी संग्रह के रूप में कुल 24,529.14 करोड़ रुपये एकत्र किए गए थे. जिसके बाद विपक्षी सांसदों ने यह विरोध प्रदर्शन किया है.
आंकड़ों से पता चलता है कि स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम से जीएसटी संग्रह 2021-22 में 5,354.28 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 7,638.33 करोड़ रुपये और 2023-24 में 8,262.94 करोड़ रुपये हो गया.
इस अवधि के दौरान स्वास्थ्य बीमा री-प्रीमियम से भी जीएसटी संग्रह में वृद्धि हुई. 2021-22 में यह 825.95 करोड़ रुपये था, जो 2022-23 में बढ़कर 963.28 करोड़ रुपये और 2023-24 में बढ़कर 1,484.36 करोड़ रुपये हो गया.
संसद के मकर द्वार पर विपक्षी सांसदों ने बैनर और पोस्टर लेकर खड़े होकर ‘मेडिकल इंश्योरेंस जीएसटी वापस लो’ के नारे लगाए.
कांग्रेस, टीएमसी, एनसीपी (शरद पवार), आम आदमी पार्टी (आप), डीएमके और आरजेडी समेत कई दल विरोध प्रदर्शन का हिस्सा बने.
टीएमसी ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ‘जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर 18% जीएसटी लगाकर देश को लूटने का प्रयास कर रही है, इंडिया अलायंस के सांसद संसद में मजबूती से खड़े हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हम मेहनतकश नागरिकों की जेब से पैसे ऐंठने और उनके जीवन तथा स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी सुरक्षा को उनकी पहुंच से बाहर बनाने के इस प्रयास को रोकने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं.’
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि आपदा की स्थिति पर भी कर लगाने की कोशिश ‘भाजपा सरकार की असंवेदनशील सोच का प्रमाण है.’
वह बोले, ”इंडिया’ गठबंधन इस अवसरवादी सोच का विरोध करता है. स्वास्थ्य और जीवन बीमा को जीएसटी मुक्त किया जाना चाहिए.’
सदन की कार्यवाही शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सांसदों का मकर द्वार पर विरोध प्रदर्शन करना ‘उचित नहीं’ है.
उन्होंने कहा, ‘सभी दलों से चर्चा करने के बाद यह आम सहमति बनी थी कि संसद के किसी भी प्रवेश द्वार पर विरोध प्रदर्शन नहीं किया जाएगा..मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि जो निर्णय आप लोगों के द्वारा लिए गए थे उनका पालन करें… मैं सुबह वहां गया था, यह उचित नहीं है.’
इससे पहले सोमवार को तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने अध्यक्ष की अनुमति से उठाए गए विशेष मामलों पर चर्चा के दौरान जीएसटी वापस लिए जाने का मुद्दा उठाया.
उन्होंने कहा, ‘मेडिकल हेल्थ इंश्योरेंस पर 18% जीएसटी कम करें. यह 2017 से ही लागू है. इससे लोग परेशान हैं, खासकर मध्यम वर्ग. 18% की उच्च कर दर एक बोझ है. भारत में लोगों तक बीमा की पहुंच बहुत कम है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह 7% से अधिक है, जबकि भारत में यह 4% से कम है. बीमा क्षेत्र में असंतुलन है, 75% जीवन बीमा है और 25% स्वास्थ्य बीमा है.’
बीते 2 अगस्त को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर इस कदम को ‘जनविरोधी’ बताया था और उनसे जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी वापस लेने का आग्रह किया था और कहा था कि उच्च प्रीमियम कई लोगों को बीमा पॉलिसी लेने से रोकेंगे.
31 जुलाई को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी अपनी सहयोगी सीतारमण को पत्र लिखकर उनसे स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी वापस लेने का आग्रह किया था.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)