नई दिल्ली: मेघालय के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (यूएसटीएम) पर ‘बाढ़ जिहाद’ का आरोप लगाने के बाद असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने एक बार फिर इस विश्वविद्यालय पर निशाना साधा है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने सोमवार (12 अगस्त) को मेघालय स्थित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के गेट की बनावट को लेकर सवाल उठाया.
उनका कहना है कि ये ‘मक्का’ जैसे आकार का है, जबकि विश्वविद्यालय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का है. उन्होंने आरोप लगाया कि संस्थान शिक्षा को बर्बाद कर रहा है और इसके गुंबददार गेट ‘जिहाद’ का संकेत है.
मालूम हो कि बीते सप्ताह हिमंता बिस्वा शर्मा ने शहर में अचानक आई बाढ़ के लिए मेघालय के री-भोई जिले में स्थित यूएसटीएम में निर्माण कार्य को ज़िम्मेदार ठहराया था. उन्होंने कहा था कि विश्वविद्यालय ने अपने परिसर के लिए वनों और पहाड़ों की कटाई की, जिसके चलते बाढ़ आई.
ज्ञात हो कि इस विश्वविद्यालय का संचालन एजुकेशन रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन द्वारा किया जाता है. इसकी स्थापना असम के बराक घाटी के करीमगंज जिले के बंगाली मूल के मुस्लिम महबूबुल हक ने की थी. हक़ यूनिवर्सिटी के चांसलर भी हैं.
द हिंदू के अनुसार, मुख्यमंत्री ने सोमवार को ये भी कहा कि उनकी सरकार विश्वविद्यालय के खिलाफ राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) जाएगी. उन्होंने दावा किया कि विश्वविद्यालय ने अपने परिसर के लिए पहाड़ियों को ध्वस्त कर दिया है, जिससे गुवाहाटी में बड़े पैमाने पर जल जमाव हुआ है.
उन्होंने दावा किया कि यूएसटीएम ने मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए अपने परिसर में एक पहाड़ी के ढलान को इस तरह से काटा है कि पानी असम की ओर बहता है.
उन्होंने यह भी दावा किया कि 2001 से 2016 के बीच राज्य में सत्ताधारी कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने भी गुवाहाटी में ‘कृत्रिम बाढ़’ के लिए असम-मेघालय सीमा पर जोराबाट क्षेत्र से आने वाले पानी को जिम्मेदार माना था. शर्मा ने मीडियाकर्मियों और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा से कहा कि अगली बार जब बारिश हो तो वे जोराबाट जाएं और देखें कि वहां से पानी कैसे बहता है.
हालांकि, सीएम के आरोपों का जवाब देते हुए यूएसटीएम ने शनिवार को एक बयान में कहा कि जोराबाट जैसे निचले इलाकों में बहने वाले पानी का ‘बहुत कम हिस्सा’ उसके परिसर में आता है. इसने यह भी दावा किया कि मेघालय सरकार से अपेक्षित अनुमति मेने के बाद ही परिसर में निर्माण कार्य किए गए थे.
अब उठाए गेट पर सवाल
इसके बाद अब विश्वविद्यालय की बनावट पर टिप्पणी करते हुए सीएम हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा, ‘विश्वविद्यालय के बड़े मुख्य द्वार के ऊपर तीन गुंबद हैं, वहां जाना शर्मनाक है, वहां जाना ‘मक्का’ में जाने जैसा है. हम जो कह रहे हैं, वह यह है कि वहां एक नामघर (सामुदायिक पूजा करने की जगह, जो असम की नव-वैष्णव परंपरा का हिस्सा है) भी होना चाहिए. नामघर, मक्का-मदीना और चर्च तीनों बनाओ… लेकिन उन्होंने वहां एक ‘मक्का’ रखा है. उन्हें पूजाघर बनाने दो, चर्च बनाने दो. हम तीनों के नीचे चलेंगे, हम सिर्फ एक के नीचे क्यों चलें?’
शर्मा से पत्रकारों द्वारा जब ‘जिहाद’ शब्द के इस्तेमाल पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘मैं तो जिहाद कहकर नरमी बरत रहा हूं. वो तो ‘जिहाद का भी बाप’ कर रहे हैं. वो असल में यह हमारी शिक्षा प्रणाली को नष्ट कर रहे हैं. जो कुछ भी हमारी सभ्यता, हमारी संस्कृति पर हमला करता है, उसे जिहाद कहा जाता है.’
हालांकि, शर्मा के राजनीतिक विरोधियों का कहना है कि उन्होंने हक़ की उपस्थिति में 2021 में विश्वविद्यालय के एक नए ब्लॉक का उद्घाटन किया था. लेकिन शर्मा ने इस बात से साफ इनकार करते हुए कहा कि वह कभी भी उद्घाटन के लिए उस परिसर में नहीं गए हैं.
उन्होंने कहा कि वो तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की उपस्थिति में वहां एक समारोह में गए थे.
मालूम हो कि यूएसटीएम के पास उस क्षेत्र में सबसे बड़ा सभागार (auditorium) है, जो इसे प्रमुख कार्यक्रमों के लिए एक लोकप्रिय विकल्प बनाता है. इसे लेकर सीएम शर्मा ने कहा कि वह इस समस्या से निपटने के लिए गुवाहाटी में समान रूप से बड़ा सभागार बना रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘मैंने सोचा कि अगर सभागार यहीं रहेगा तो गुवाहाटी के लोग ऑडिटोरियम के लिए उनके सामने सरेंडर कर देंगे. इसलिए मैंने चुपचाप खानापारा (गुवाहाटी) में उससे भी बड़ा ऑडिटोरियम बनवाना शुरू कर दिया… नवंबर या जनवरी तक हम यहां अपना 5,000 सीटों वाला ऑडिटोरियम खोल देंगे, ताकि लोगों को यूएसटीएम न जाना पड़े.’