नई दिल्ली: विकास के तमाम आंकड़ों के बीच युवाओं में बेरोज़गारी का आलम ये है कि हरियाणा में पिछले चार महीनों में 46,000 से अधिक उच्च शिक्षा प्राप्त उम्मीदवारों ने हरियाणा कौशल रोजगार निगम (एचकेआरएन) के तहत संविदा सफाई कर्मचारी पदों के लिए आवेदन किया है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य एजेंसी के आंकड़ों से पता चलता है कि हरियाणा में बड़ी संख्या में उच्च शिक्षित स्नातक और स्नातकोत्तर युवाओं ने इस पद के लिए आवेदन किया है.
एचकेआरएन डेटा के अनुसार, क़रीब 15 हज़ार रुपये प्रतिमाह की आय वाली इस नौकरी के लिए इस साल 6 अगस्त से 2 सितंबर के बीच 39,990 स्नातक और 6,112 से अधिक स्नातकोत्तर युवाओं ने नौकरी के लिए आवेदन किया है. इसके अलावा 12वीं कक्षा तक पढ़े 1,17,144 लोग भी इस पद के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं.
एचकेआरएन अपनी वेबसाइट के माध्यम से ये सभी आवेदन स्वीकार करता है. एचकेआरएन के एक अधिकारी ने अखबार से कहा, ‘एचकेआरएन पूल के माध्यम से सरकारी विभाग, बोर्ड और निगमों द्वारा नियुक्त एक संविदा सफाई कर्मचारी को प्रति माह लगभग 15,000 रुपये का भुगतान किया जाएगा.’
अधिकारियों के अनुसार इस बात की संभावना बहुत कम है कि लोगों ने गलती से इस नौकरी के लिए आवेदन किया हो, क्योंकि नौकरी के विवरण में स्पष्ट रूप से काम की रूपरेखा का जिक्र किया गया है.
अधिकारियों के मुताबिक, ‘एचकेआरएन वेबसाइट पर सफाईकर्मी के रूप में आवेदन करने वाले व्यक्तियों को यह पुष्टि करनी होगी कि उन्होंने नौकरी का विवरण ध्यान से पढ़ा है, जो सार्वजनिक स्थानों, सड़कों और इमारतों में साफ-सफाई और कचरा हटाने से संबंधित है.’
एक अधिकारी ने बताया कि आवेदक को यह सहमति भी देनी होगी कि चयन होने पर उन्हें केवल उनके गृह जिले में ही तैनात किया जाएगा.
इस संबंध में अखबार ने उक्त पदों के लिए आवेदन करने वाले कुछ स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा पाए लोगों से बात की, जिनमें से ज्यादातर ने कहा कि बेरोजगारी और आर्थिक संकट के चलते वे इन पदों पर आवेदन के लिए मजबूर हैं. वहीं, कुछ लोग इसे सरकारी नौकरी का लोभ भी कह रहे हैं.
ज्ञात हो कि केंद्र सरकार के आंकड़ें बताते हैं कि हरियाणा में बेरोजगारी बढ़ रही है.
बीते 16 अगस्त को जारी आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के अनुसार, हरियाणा के शहरी क्षेत्रों में 15 से 29 वर्ष की आयु के लोगों में बेरोजगारी दर अप्रैल से जून 2024 की तिमाही में बढ़कर 11.2% हो गई, जो जनवरी से मार्च के बीच 9.5% थी.
पीएलएफएस डेटा से पता चला है कि शहरी क्षेत्रों में 15 से 29 वर्ष की महिलाओं के लिए बेरोजगारी दर जनवरी-मार्च की तिमाही के 13.9% की तुलना में अप्रैल-जून में बढ़कर 17.2% हो गई. शहरी क्षेत्रों में सभी आयु समूहों के लिए बेरोजगारी दर भी जनवरी-मार्च के 4.1% से बढ़कर अप्रैल-जून में 4.7% हो गई.
पीएलएफएस के साप्ताहिक स्थिति दृष्टिकोण के अनुसार, एक व्यक्ति को एक सप्ताह में तब बेरोजगार माना जाता है, जब वो उस सप्ताह के दौरान किसी भी दिन एक घंटे के लिए भी काम नहीं कर पाया, जबकि उसने उस अवधि के दौरान किसी भी दिन कम से कम एक घंटे के लिए काम मांगा या काम के लिए उपलब्ध था.
इस मामले पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के मीडिया सचिव और भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रवीण अत्रेय ने अखबार से कहा कि हरियाणा सरकार पिछले एक दशक से राज्य में रोजगार सृजन की दिशा में काम कर रही है.
उन्होंने आगे कहा, ‘हमारी सरकार ने 145,000 नियमित सरकारी नौकरियां दी हैं. इसके अलावा, 37 लाख युवाओं को स्वरोजगार और निजी क्षेत्र में नौकरी के अवसर प्रदान किए गए. लगभग 1,20,000 लोगों को एचकेआरएन के माध्यम से संविदा पर नियुक्त किया गया.’
अत्रेय ने आगे ये भी बताया कि सरकार ने एक अध्यादेश लाकर संविदा कर्मचारियों के लिए नौकरियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की है.