यूपी: बीएचयू गैंगरेप आरोपियों को ज़मानत, विपक्ष ने कहा- भाजपा शासन में बेटियों को न्याय की उम्मीद नहीं

नवंबर 2023 में आईआईटी-बीएचयू कैंपस में एक छात्रा को कथित तौर पर निर्वस्त्र कर उनका यौन उत्पीड़न करने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया था, जिन्हें भाजपा की आईटी सेल से जुड़ा बताया गया था. अब उन्हें ज़मानत मिलने के फैसले का चौतरफा विरोध हो रहा है.

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी-बीएचयू) में बीते साल हुए सामूहिक बलात्कार मामले के तीन में से दो आरोपियों को अदालत द्वारा ज़मानत मिल गई है. इन आरोपियों का संबंध सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आईटी सेल से बताया जाता है.

अब इस पूरे मामले को लेकर एक बार फिर छात्रों और विपक्षी दलों में आक्रोश है. ज़मानत के फैसले का चौतरफा विरोध भी देखने को मिल रहा है.

द हिंदू की खबर के मुताबिक, विपक्ष ने इस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए आरोपियों की ज़मानत को निंदनीय और चिंताजनक बताया है.

विपक्ष ने भाजपा से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या उसके कार्यकर्ताओं को प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में बलात्कार करने की विशेष छूट और आज़ादी दी गई है. प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और अब सांसद अखिलेश यादव ने आरोपियों की ज़मानत होने पर ट्विटर पर एक लंबी पोस्ट लिखकर भाजपा पर निशाना साधा है.

अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा की आईटी सेल के पदाधिकारी के रूप में काम करनेवाले बीएचयू गैंग रेप के तीन आरोपियों में से दो को ज़मानत मिलने की ख़बर निंदनीय भी है और चिंतनीय भी. सवाल ये है कि रेप करने वालों की कोर्ट में लचर पैरवी करने का दबाव किसका था.

उन्होंने कहा,  ‘ये देश की बेटियों का मनोबल गिराने की शर्मनाक बात है कि न केवल ये बलात्कारी बाहर आ गए बल्कि ऐसी भी ख़बरें हैं कि भाजपाई परंपरानुसार इनका फूल-मालाओं से स्वागत भी हुआ है. भाजपा इस बारे में देश की बहन-बेटियों से कुछ कहना चाहेगी? …’

अखिलेश ने आगे कहा कि भाजपा स्पष्ट करे कि क्या देश के ‘प्रधान संसदीय’ क्षेत्र में भाजपाई कार्यकर्ताओं को रेप करने की विशेष छूट और स्वतंत्रता मिली हुई है.

उधर, उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने भी आरोप लगाया कि सरकार ने अदालत में कमजोर दलीलें पेश कीं. उन्होंने जोड़ा कि भाजपा शासन में बेटियों को न्याय की कल्पना नहीं की जा सकती.

उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘आईआईटी-बीएचयू छात्र के दोषियों को अदालत से ज़मानत मिल गई क्योंकि जनता के लिए परेशानी पैदा करने वाली इस डबल इंजन सरकार ने अदालत में उनके खिलाफ बहुत कमजोर तर्क पेश किए. इस शासन में हमारी बेटियों की सुरक्षा और न्याय की कल्पना भी नहीं की जा सकती. हमारी बेटियों की सुरक्षा की एकमात्र गारंटी उन्हें सरकार से बाहर करना है.’

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर स्थित आईआईटी-बीएचयू कैंपस के अंदर एक छात्रा को कथित तौर पर निर्वस्त्र करने और उसका यौन उत्पीड़न करने के लगभग दो महीने बाद पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया था.

अधिकारियों ने आरोपियों की पहचान कुणाल पांडेय, आनंद चौहान और सक्षम पटेल के रूप में की थी. ये सभी भाजपा से संबद्ध बताए गए थे.

ये घटना 1 नवंबर 2023 की देर रात को आईआईटी-बीएचयू कैंपस के अंदर हुई थी, जब छात्रा ने आरोप लगाया था कि मोटरसाइकिल पर आए तीन अज्ञात लोगों ने उन्हें जबरन किस किया और कपड़े उतारने के बाद उनका वीडियो रिकॉर्ड किया था.

इस घटना के अगले दिन कैंपस में बेहतर सुरक्षा की मांग को लेकर आईआईटी-बीएचयू के सैकड़ों छात्रों ने संस्थान निदेशक के कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया था. घटना के बाद सत्तारूढ़ भाजपा लगातार विपक्ष के निशाने पर थी. छात्रों, नागरिक समाज के लोगों और तमाम महिला संंगठनों ने इस घटना की निंदा करते हुए ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन किया था.