मणिपुर: भाजपा विधायक की गृह मंत्री से केंद्रीय बलों को राज्य से हटाने की अपील, कहा- महज़ मूकदर्शक

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के दामाद और भाजपा विधायक राजकुमार इमो सिंह ने गृहमंत्री अमित शाह को लिखे पत्र में कहा है कि राज्य में लगभग 60,000 केंद्रीय बलों की मौजूदगी से भी शांति कायम नहीं हो पा रही है, इसलिए ऐसे बलों को हटाना बेहतर है जो मूकदर्शक बने हुए हैं.

राजकुमार इमो सिंह. (फोटो साभार: एक्स/@imosingh)

नई दिल्ली: भाजपा विधायक और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के दामाद राजकुमार इमो सिंह ने राज्य में तैनात केंद्रीय बलों को ‘मूकदर्शक’ बताते हुए गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की है.

यह पत्र राज्य में फिर से भड़की हिंसा के एक दिन बाद सामने आया है. बता दें कि रविवार को इंफाल पश्चिम में एक ड्रोन हमले में दो लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बारे में पुलिस का कहना है कि यह हमला ‘कुकी उग्रवादियों’ द्वारा किया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, शाह को लिखे अपने पत्र में इंफाल पश्चिम के सगोलबंद निर्वाचन क्षेत्र के विधायक इमो सिंह ने लिखा है कि मई 2023 में संघर्ष शुरू होने के 16 महीने बाद ‘उम्मीद थी कि हिंसा के दिन पीछे छूट जाएंगे और स्थायी तथा शांतिपूर्ण समाधान के लिए राजनीतिक बातचीत पर अधिक ध्यान दिया जाएगा.’

उन्होंने कहा, ‘हालांकि, कुछ समूह/वर्ग चाहते हैं कि यह हिंसा उनके व्यापक हितों की पूर्ति के लिए जारी रहे.’

उन्होंने आगे लिखा, ‘हमले को अब ड्रोन हमलों और गोलाबारी तक बढ़ा दिया गया है, जैसा कि हम अन्य पड़ोसी देशों में भी देखते हैं. इसलिए मैं इस समय इस हिंसा को रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में सवाल पूछ रहा हूं.’

उन्होंने राज्य में सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की भारी तैनाती द्वारा शांति बनाए रखने में निभाई जा रही भूमिका पर भी सवाल उठाए.

बता दें कि मेईतेई समुदाय के राजनेता और नागरिक समाज लगातार केंद्रीय बलों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाते रहे हैं, विशेष तौर पर असम राइफल्स पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए उसे हटाने की मांग की जाती रही है.

इमो सिंह ने लिखा, ‘ऐसा लगता है कि मणिपुर में लगभग 60,000 केंद्रीय बल के जवानों की मौजूदगी से शांति कायम नहीं हो पा रही है, इसलिए बेहतर है कि ऐसे बलों को हटा दिया जाए जो ज्यादातर मूकदर्शक बने रहने का काम करते हैं… और राज्य बलों को कार्यभार संभालने और राज्य में शांति लाने की अनुमति दी जाए.’

उन्होंने यह भी मांग की कि राज्य की एकीकृत कमान मुख्यमंत्री को सौंपी जाए.

बता दें कि हिंसा भड़कने के बाद, सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी और सीआरपीएफ के पूर्व महानिदेशक कुलदीप सिंह को सीएम के ‘सुरक्षा सलाहकार’ के रूप में मणिपुर भेजा गया था. पिछले साल मई के अंत में राज्य के दौरे के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य में तैनात विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय के लिए एकीकृत कमान की घोषणा की थी और कुलदीप सिंह को इसका प्रभारी बनाया गया था.

इमो सिंह ने लिखा, ‘केंद्र सरकार को मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को एकीकृत कमान सौंपनी चाहिए और उसे राज्य में शांति और सामान्य स्थिति लाने के लिए निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार कार्य करने की अनुमति देनी चाहिए. वर्तमान व्यवस्था ऐसी हिंसा को रोकने में सक्षम नहीं है, इसलिए निर्वाचित सरकार को एकीकृत कमान सौंपना समय की मांग है.’

अपने पत्र में उन्होंने मेईतेई राजनेताओं और नागरिक समाज द्वारा की जा रही इस मांग को भी दोहराया कि केंद्र सरकार कुकी-ज़ो विद्रोही समूहों के साथ अपने ऑपरेशन निलंबन समझौते को इस आधार पर रद्द कर दे कि उन्होंने समझौते के नियमों का उल्लंघन किया है और ‘लगातार हिंसा फैलाने के पीछे उनका हाथ है.’

उन्होंने यह भी मांग की कि केंद्र सरकार संघर्ष में इस्तेमाल किए गए हथियारों और गोला-बारूद की फंडिंग और सप्लाई के स्रोत की जांच करे.

इस बीच,  इनर मणिपुर निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस सांसद अंगोमचा बिमोल अकोईजम ने भी सशस्त्र बलों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं.

रविवार शाम को एक सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने लिखा, ‘नागरिकों पर आपराधिक और जानलेवा हमलों का ताजा दौर, जिसमें रिहायशी इलाकों में ड्रोन से बमबारी करना भी शामिल है, कानून लागू करने वाली एजेंसियों, खासतौर पर मणिपुर में तैनात भारत सरकार के अधीन सशस्त्र बलों की विफलता को उजागर करता है. उनके कामों या निष्क्रियताओं के लिए किसे जवाबदेह बनाया जाएगा? क्या भारत सरकार को इन मौतों और बर्बादी की नैतिक जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए?’