मणिपुर: जिरीबाम ज़िले में आगजनी, सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी का घर जलाया गया

पुलिस ने बताया कि हथियारबंद लोगों ने जिरीबाम ज़िले के जकुरधोर गांव में एक घर को आग लगा दी. यह घर बोरोबेक्रा थाने के पूर्व प्रभारी का था, जिनका परिवार जून में हिंसा भड़कने के बाद इस घर को खाली कर चला गया था.

(प्रतीकात्मक फोटो: X/@manipur_police)

नई दिल्ली: पुलिस ने बताया कि मणिपुर के जिरीबाम जिले में बुधवार सुबह संदिग्ध ‘आदिवासी ग्राम स्वयंसेवकों’ (village volunteers) द्वारा एक घर में आग लगा दी गई.

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जिले के जकुरधोर में तीन कमरों वाला घर एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी का था. पुलिस ने बताया कि जिले में जून में हुई हिंसा के बाद परिवार ने घर खाली कर दिया था.

पुलिस ने बताया कि हथियारबंद लोगों ने अंधेरे का फायदा उठाते हुए सुबह करीब 3.30 बजे घर में आग लगा दी. यह घर जिरीबाम जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर हमार समुदाय बहुल फेरजावल जिले के पास स्थित है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस अधिकारियों ने बताया कि खाली पड़ा घर जिरीबाम जिले के बोरोबेक्रा पुलिस स्टेशन के पूर्व प्रभारी सिनम बिपिन का था.

यह घटना असम के कछार जिले में सीआरपीएफ सुविधा केंद्र में 1 अगस्त को हुई बैठक के दौरान सामान्य स्थिति बहाल करने और आगे आगजनी को घटनाओं को रोकने के लिए मेईतेई और हमार समुदायों के प्रतिनिधियों के बीच हुए समझौते के बावजूद हुई है. जिरीबाम जिला प्रशासन, असम राइफल्स और सीआरपीएफ कर्मियों द्वारा संचालित इस बैठक में जिरीबाम के हमार, मेईतेई, थाडोउ, पैते और मिजो समुदायों के प्रतिनिधि शामिल थे.

जिरीबाम, जो पहले संघर्ष से काफ़ी हद तक अछूता था, जून में एक किसान का क्षत-विक्षत शव मिलने के बाद हिंसा से झुलसने लगा. इसके कारण आगजनी हुई और हज़ारों लोगों को राहत शिविरों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. साथ ही, जुलाई के मध्य में गश्त के दौरान आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में एक सीआरपीएफ जवान की मौत हो गई थी.

मालूम हो कि पिछले वर्ष 3 मई से मणिपुर में मेईतेई और कुकी समुदायों के बीच जारी जातीय संघर्ष में अब तक कम से कम 226 लोगों की जान जा चुकी है और लगभग 60,000 लोग बेघर हो गए हैं, जिनमें से अनेक अभी भी राहत शिविरों में रह रहे हैं.