नई दिल्ली: तमिलनाडु में फिल्म, टेलीविजन और थियेटर कलाकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले संघ नादिगर संगम ने तमिल फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है. बुधवार (4 सितंबर) को अपनी जेंडर सेंसिटाइजेशन और इंटरनल कम्पलेंट कमेटी (जीएसआईसीसी) की बैठक के बाद तमिल अभिनेताओं के निकाय ने यौन अपराधियों पर प्रतिबंध लगाने और पीड़ितों को व्यापक सहायता प्रदान करने का प्रस्ताव पारित किया.
इस प्रस्ताव के तहत जीएसआईसीसी यौन उत्पीड़न की शिकायत लेकर आने वाले लोगों को कानूनी सहायता देगी, शिकायतों की गहन जांच करेगी. यदि आरोप सिद्ध हो जाते हैं, तो यह तमिल फिल्म उद्योग के अभिनेताओं पर पांच साल का प्रतिबंध लगाने सहित कठोर कार्रवाई की सिफारिश करेगी.
नादिगर संगम प्रोड्यूसर्स के संघ के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करेगा कि इन सभी नियमों का पालन किया जाए.
पीड़ितों के लिए प्रक्रिया को सरल बनाने के प्रयास में नादिगर संगम ने एक समर्पित फोन नंबर भी स्थापित किया है तथा एक नया ई-मेल एड्रेस भी बनाया है, जो विशेष रूप से यौन शोषण से संबंधित शिकायत दर्ज करने के लिए है.
इसके अलावा, अभिनेताओं के संघ ने पीड़ितों को सलाह दी कि वे अपने मामले मीडिया में ले जाने के बजाय सीधे जीएसआईसीसी से संपर्क करें तथा यह सुनिश्चित करें कि शिकायतों को उचित और गोपनीय तरीके से निपटाया जाए.
जीएसआईसीसी के प्रस्ताव में कथित अपराधियों को प्रारंभिक चेतावनी जारी करने का प्रावधान भी शामिल है. यदि दुर्व्यवहार या शोषणकारी बर्ताव जारी रहता है या शिकायत की पुष्टि होती है, तो अपराधी को जवाबदेह ठहराने के लिए आगे की कार्रवाई की जाएगी.
तमिल अभिनेता संगठन ने इस बात पर जोर दिया कि यौन अपराधियों पर प्रतिबंध लगाने का उनका मकसद सिने उद्योग में महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल बनाना और न्याय सुनिश्चित करना है.
तमिल सिनेमा से परे भी सहायता
इसके अतिरिक्त, नादिगर संगम ने सिर्फ़ उद्योग संबंधी मुद्दों से परे भी अपना समर्थन जताया और कहा कि वे यूट्यूब चैनलों पर अनुचित या हानिकारक सामग्री के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराने के इच्छुक लोगों को सहायता देंगे.
यह निर्णायक कार्रवाई केरल में इसी तरह की घटनाओं के बाद की गई है, जहां जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट ने मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के व्यापक यौन शोषण का खुलासा किया था. रिपोर्ट के बाद शिकायतों की बाढ़ आ गई, और केरल पुलिस ने मुकेश, सिद्दीकी, जयसूर्या और रंजीत सहित प्रमुख अभिनेताओं और निर्देशकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की.
केरल में हुए खुलासे से पड़ोसी राज्यों तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में चिंता फैल गई. तमिल और तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री की कुछ महिला कलाकारों ने भी इसी तरह के आरोप लगाए. जवाब में नादिगर संगम ने तुरंत कार्रवाई की और इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए अपने जीएसआईसीसी की एक बैठक आयोजित की.
नादिगर संगम के महासचिव विशाल ने आश्वासन दिया कि यौन शोषण की शिकायत लेकर कोई भी महिला समिति से संपर्क कर सकती है और संगम यह सुनिश्चित करेगा कि न्याय मिले.
कुछ दिन पहले, विशाल ने घोषणा की थी कि उद्योग के भीतर यौन उत्पीड़न और शोषण के मामलों की निगरानी के लिए अगले 10 दिनों के भीतर एक आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) की स्थापना की जाएगी. वादे के अनुसार, उन्होंने शिकायतों का तुरंत और उचित तरीके से समाधान सुनिश्चित करने के लिए जीएसआईसीसी का गठन किया.
नादिगर संगम, जिसमें अध्यक्ष नासर, सचिव विशाल और कोषाध्यक्ष कार्थी शामिल हैं, के नेतृत्व में उद्योग के पेशेवरों को उत्पीड़न और शोषण से बचाने के लिए हर आवश्यक कदम उठाने का संकल्प लिया है. उनका कहना है कि कानूनी सहायता देकर और अपराधियों के लिए कठोर दंड लागू करके, एसोसिएशन का लक्ष्य अपने सभी सदस्यों के लिए काम के लिए सुरक्षित वातावरण को बढ़ावा देना है.
हेमा समिति की रिपोर्ट के बाद व्यापक लहर
गौरतलब है कि हाल ही में मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं की स्थिति पर जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद वरिष्ठ तमिल अभिनेत्री राधिका सरथकुमार ने तमिल सिनेमा में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न और शोषण से निपटने के लिए एक समान समिति के गठन का आह्वान किया था.
दिलचस्प बात यह है कि अभिनेता जीवा को इस बात को खारिज करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा कि यौन शोषण केवल मलयालम सिनेमा में होता है, तमिल फिल्म उद्योग में नहीं. गायिका चिन्मयी श्रीपदा ने अभिनेता की टिप्पणियों के लिए सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना की.
इससे पहले सुपरस्टार रजनीकांत ने भी कहा कि उन्हें हेमा समिति की रिपोर्ट के बारे में जानकारी नहीं है.
इस बीच, अभिनेत्री समांथा रुथ प्रभु और लक्ष्मी मांचू, निर्देशक नंदिनी रेड्डी और टेलीविजन एंकर झांसी और सुमा ने सोशल मीडिया पर तेलंगाना सरकार से तेलुगु सिनेमा में यौन उत्पीड़न पर दो साल पुरानी उप-समिति की रिपोर्ट जारी करने का आग्रह किया है.
तेलुगु फिल्म और टेलीविजन उद्योग की 80 से अधिक महिलाओं ने मलयालम सिनेमा की विमेन इन सिनेमा कलेक्टिव की तर्ज पर 2019 में ‘द वॉयस ऑफ वीमेन‘ नामक एक सहायता समूह बनाने के लिए एक साथ आईं थीं. वॉयस ऑफ वूमेन का उद्देश्य लैंगिक संवेदनशीलता कार्यक्रम आयोजित करना तथा शोषण और उत्पीड़न के पीड़ितों के लिए समर्थन जुटाना है.
(यह लेख मूल रूप से साउथ फर्स्ट पर प्रकाशित हुआ है.)