गुजरात के किसानों की दुर्दशा से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा, यह आश्चर्यजनक है कि आत्महत्या के पीछे के कारणों पर ग़ौर करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने ऋण और फसल में नुकसान के कारण किसानों की ख़ुदकुशी पर गंभीर चिंता जताई और कहा कि उसे लगता है कि सरकार असल समस्या से निपटने में गलत दिशा में जा रही है.
इस मुद्दे पर गौर करने के लिए संभावित नीति से उसे अवगत कराने के लिए केंद्र से कहते हुए प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि किसानों की खुदकुशी का मुद्दा अत्यंत महत्वपूर्ण है और घटना के बाद ऐसे पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देना असली समाधान नहीं है.
पीठ ने कहा, यह मुद्दा अत्यंत महत्वपूर्ण है. संभावित रूप से हमें लगता है कि आप गलत दिशा में जा रहे हैं. किसान बैंकों से ऋण लेते हैं और जब वे इसे चुका नहीं पाते, वे खुदकुशी करते हैं. समस्या का समाधान ख़ुदकुशी के बाद किसानों के लिए धन देने में नहीं है बल्कि आपको इसे रोकने के लिए योजनाएं लानी चाहिए.
पीठ ने कहा, किसानों की ख़ुदकुशी कई दशकों से हो रही है और यह आश्चर्यजनक है कि ख़ुदकुशी के पीछे के कारणों पर ग़ौर करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
इस पीठ में न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एसके कौल भी शामिल थे.
शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा, अगर मामला सही रास्ते पर बढता है तो बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है. पीठ ने इस विषय पर आगे की सुनवाई के लिए 27 मार्च की तारीख तय की.
केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल पीएस नरसिम्हा ने पीठ से कहा कि सरकार ने किसानों के लिए कई पहल की हैं और 2015 फसल बीमा योजना इस तरह की घटनाओं में कमी लाएगी.
अदालत गुजरात के किसानों की दुर्दशा और वहां किसानों द्वारा ख़ुदकुशी पर एनजीओ सिटिजंस रिसोर्स एंड एक्शन एंड इनीशिएटिव द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)