प्रेस काउंसिल ने ‘द कारवां’ को सेना संबंधी रिपोर्ट को लेकर कारण बताओ नोटिस भेजा

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने 'द कारवां' पत्रिका को जम्मू-कश्मीर में सेना द्वारा आम नागरिकों की कथित हत्या से संबंधित रिपोर्ट के संबंध में कारण बताओ नोटिस भेजा है. इससे पहले पत्रिका को आईटी अधिनियम के तहत मिले एक नोटिस में उक्त रिपोर्ट को अपनी वेबसाइट से हटाने के लिए कहा गया था.

कारवां मैग्जीन का लोगो.

नई दिल्लीप्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने कारवां पत्रिका को उसकी एक रिपोर्ट के संबंध में कारण बताओ नोटिस भेजा है. काउंसिल ने द कारवां पत्रिका से सफाई मांगी गई है. एक अक्टूबर को जारी इस नोटिस का जवाब 14 के दिन के भीतर देने को कहा गया था.

रिपोर्ट के अनुसार, द कारवां की तरफ से 12 अक्टूबर को जवाब दिया गया है. 15 अक्टूबर को द कारवां ने अपनी वेबसाइट पर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया का नोटिस और अपना जवाब दोनों सार्वजनिक किया है. 

यह पूरा विवाद पत्रिका के फरवरी अंक में प्रकाशित और पत्रकार जतिंदर कौर तूर द्वारा लिखित रिपोर्ट से जुड़ा है, ‘स्क्रीम्स फ्रॉम द आर्मी पोस्ट’ शीर्षक से उन्होंने यह लंबी रिपोर्ट लिखी थी.

द कारवां के मुताबिक़, यह रिपोर्ट 22 दिसंबर, 2023 को जम्मू और कश्मीर के पुंछ और राजौरी जिलों में भारतीय सेना के जवानों द्वारा कई नागरिकों पर किए गए अत्याचार के बारे में है, जिसमें घायल होने के कारण तीन लोगों की मौत हो गई थी.

सूचना और प्रसारण मंत्रालय के एक आदेश के कारण यह रिपोर्ट अब पत्रिका की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है.

कारवां का जवाब

कारवां ने अपनी जवाब में कहा है, ‘हम प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा सात महीने बाद कारण बताओ नोटिस जारी करने के फैसले से हैरान हैं, जबकि शिकायत की बुनियादी जांच से यह स्पष्ट हो जाता कि कारवां के खिलाफ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की कार्रवाई सेंसरशिप और प्रेस की स्वतंत्रता का दमन है.

इसमें आगे लिखा है, ‘प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया का काम प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करना और जनहित की खबरों को सामने लाने के उसके अधिकार को बनाए रखना है.

कारवां का कहना है कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया जिन मानदंडों के कथित उल्लंघन की बात कह रहा है, वह उनकी रिपोर्ट पर लागू ही नहीं होता.

प्रेस काउंसिल के पास कैसे पहुंचा मामला?

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 12 फरवरी को द कारवां की उक्त स्टोरी को हटाने का आदेश दिया था. आदेश में कहा गया था कि ऐसा न करने पर द कारवां की पूरी वेबसाइट ब्लॉक कर दी जाएगी.

द कारवां ने एक मार्च को दिल्ली उच्च न्यायालय में इस आदेश को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की. पत्रिका ने कोर्ट को बताया कि मंत्रालय का आदेश प्रेस की स्वतंत्रता पर गंभीर हमला है, फ्री स्पीच और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है.

इसके बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने पांच मार्च को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को अपनी शिकायत भेजी, जबकि  कारवां पहले ही अपनी वेबसाइट से स्टोरी हटा चुका था.