नई दिल्ली: हाल ही में कनाडा से निर्वासित किए गए भारत के उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा ने कहा है कि हालिया घटनाक्रमों से भले ही भारत-कनाडा के बीच व्यापारिक संबंध अप्रभावित रहें, लेकिन राजनीतिक संबंधों को नुकसान पहुंचा है, और भारत को अब यह तय करना है कि निरंतर ‘अविश्वास’ के बीच उनके स्थान पर किसी और को उच्चायुक्त बनाकर भेजा जाए या नहीं.
पिछले हफ्ते, भारत ने घोषणा की थी कि कनाडा ने सूचित किया है कि भारतीय दूत और अन्य भारतीय राजनयिक कनाडाई नागरिकों के खिलाफ़ कथित लक्षित अभियानों से संबंधित जांच में ‘पर्सन ऑफ इंटरेस्ट‘ बनाए गए हैं.
इसके तुरंत बाद, भारत के विदेश मंत्रालय ने विरोध जताने के लिए कनाडा के कार्यवाहक उच्चायुक्त को तलब किया और कनाडा में भारत के उच्चायुक्त समेत छह भारतीय राजनयिकों को वापस बुलाने की घोषणा की. एक तरफ जहां भारत ने अपने राजनयिकों को कनाडा से वापस बुला लिया, वहीं दूसरी तरफ कनाडा ने घोषणा की कि वह पहले ही छह भारतीय राजनयिकों और वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों को ‘निर्वासन के नोटिस‘ जारी कर चुका है.
भारत-कनाडा संबंधों में नवीनतम गिरावट, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा कनाडाई संसद में भारत पर हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या में शामिल होने का आरोप लगाने के एक वर्ष से कुछ अधिक समय बाद आई है. हरदीप सिंह निज्जर एक कनाडाई नागरिक थे, जो भारत द्वारा खालिस्तानी आतंकवादी घोषित किए गए थे.
कनाडाई टेलीविजन चैनल सीटीवी न्यूज पर प्रसारित एक साक्षात्कार में वर्मा ने कहा कि उन्हें और उनके निष्कासित सहयोगियों की जगह किसी और की नियुक्ति का भारतीय निर्णय दोनों सरकारों के बीच ‘चर्चा’ का विषय होगा.
उन्होंने कहा, ‘यह एक ऐसी चर्चा है जो हमें कनाडाई पक्ष के साथ करनी होगी, यह देखते हुए कि ट्रूडो और उनकी टीम पर हमारा अविश्वास काफी हद तक बना हुआ है. हमें चिंताएं हैं और हम उनके साथ इस पर बहुत सावधानी से चर्चा करेंगे. हमारी सुरक्षा और संरक्षा का सवाल है. इसलिए (देखने के लिए) कई चीजें हैं.’
उन्होंने यह भी कहा कि व्यापार संबंधों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा, जैसा कि कनाडा की व्यापार मंत्री मैरी एनजी ने अनुमान लगाया था. वर्मा ने कहा, ‘लोगों के बीच संबंध, व्यापार संबंध, सांस्कृतिक संबंध, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, शिक्षा… इन संबंधों का इससे कोई लेना-देना नहीं है. इसलिए कुछ भावनाएं होंगी जो उन सौदों पर असर डाल सकती हैं. लेकिन बड़ी तस्वीर यह है कि मुझे गैर-राजनीतिक द्विपक्षीय संबंधों पर ज़्यादा असर नहीं दिखता.’
उन्होंने कई बार दोहराया कि कनाडा के आरोप – ट्रूडो और कनाडाई पुलिस दोनों द्वारा – राजनीति से प्रेरित थे.
विदेशी हस्तक्षेप आयोग के समक्ष अपनी गवाही में ट्रूडो ने कहा था कि आरोपों को सार्वजनिक करने से पहले भारत के साथ प्रारंभिक बातचीत के समय कनाडा के पास प्राथमिक खुफिया जानकारी थी, ठोस साक्ष्य नहीं थे.
इन टिप्पणियों का हवाला देते हुए वर्मा ने कहा, ‘खुफिया जानकारी के आधार पर अगर आप संबंधों को खराब करना चाहते हैं, तो स्वागत है.’
यह दावा करते हुए कि खालिस्तानी आतंकवादियों को कनाडा द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है, वर्मा ने कहा, ‘मैं यह भी जानता हूं कि इनमें से कुछ खालिस्तानी चरमपंथी और आतंकवादी सीएसआईएस (कनाडाई खुफिया एजेंसी) के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं.’ उन्होंने कहा कि वह ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि ‘कनाडाई राजनीतिज्ञों की भी समझ में यह बात आती है कि कोई व्यक्ति संसद में खड़ा होकर कुछ कहता है, जिसके बारे में बाद में वह कहता है कि मेरे पास कोई ठोस सबूत नहीं है और इसे बाइबिल की सच्चाई मान लिया गया.’
कनाडा के न्यूज एंकर ने कहा कि भारतीय राजनयिक प्रधानमंत्री ट्रूडो की आलोचना कर रहे हैं. इस पर वर्मा ने दोहराया कि भारत ने खालिस्तान समर्थक कनाडाई लोगों के प्रत्यर्पण के लिए कनाडा को 27 डोजियर दिए थे, जिन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
जब साक्षात्कारकर्ता ने कहा कि कनाडाई लोग न्यायेतर हत्या के औचित्य के रूप में इसे स्वीकार नहीं करेंगे, वर्मा ने कहा, ‘यह दुनिया में कहीं भी नहीं होना चाहिए. मैं उन देशों को जानता हूं जिन्होंने ऐसा किया है और उनमें से कुछ जी7 देश भी हैं. इसलिए इस बारे में बात नहीं करते. दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए. इसलिए जहां तक हमारा सवाल है, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में हम किसी भी सीमाक्षेत्र में न्यायेतर हत्याएं नहीं करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, विदेशी देशों की तो बात ही छोड़ दें.’
कनाडाई उच्चायुक्त ने कहा, ‘यह ध्यान भटकाने की रणनीति है’
सीटीवी ने भारत में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरून मैके का साक्षात्कार भी प्रसारित किया, जिन्हें निर्वासित कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि कनाडा डोजियर पर काम कर रहा था और उसने 27 में से 26 फाइलों पर और जानकारी मांगी थी.
मैके ने कहा, ‘अतीत में, जब भारत ने पर्याप्त जानकारी साझा की है तब हमने कनाडा से लोगों को भारता में कानून का सामना करने के लिए सफलतापूर्वक प्रत्यर्पित किया है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘यह दावा करना ध्यान भटकाने की एक रणनीति है कि कनाडा इन कानून प्रवर्तन मामलों में असहयोगी रहा है. मैं मानता हूं कि यह सरासर गलत है.’
मैके ने यह भी दावा किया था कि दो अभियोगों में उल्लिखित अमेरिकी आरोप और कनाडा के आरोप एक ही साजिश को दर्शाते हैं. दोनों देशों की ओर से निर्वासन कार्रवाई के एक दिन बाद अमेरिकी अभियोजकों, जिन्होंने पूर्व रॉ अधिकारी विकास यादव पर एक अमेरिकी नागरिक की हत्या के प्रयास का आरोप लगाया था, ने दावा किया था कि भारतीय संदिग्धों को निज्जर की शूटिंग (हत्या) के बारे में जानकारी थी.
वर्मा ने इस धारणा का खंडन करते हुए कहा, ‘ये दो अलग-अलग देश हैं, दो अलग-अलग अपराध हो रहे हैं, अपराध की जगह अलग-अलग हैं.’
उन्होंने यह भी कहा कि ‘अभियोग दोषसिद्धि नहीं होता है. और इसलिए तार्किक रूप से देखा जाए तो यह अपनी न्यायिक प्रक्रिया का पालन करेगा और हमें इसस कोई दिक्कत नहीं है. इतना ही नहीं, हमने खुद उच्च स्तरीय समिति अमेरिकियों की मदद के लिए बनाई है.’