नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मिज़ोरम इकाई ने मिज़ोरम सरकार में ऊर्जा एवं विद्युत मंत्री एफ. रोडिंगलियाना के काफ़िले को कथित तौर पर असम राइफल्स द्वारा रोके जाने का आरोप लगाने के बाद पार्टी के एक नेता ने रविवार (20 अक्टूबर) को कहा कि उन्होंने इस मामले में केंद्र से हस्तक्षेप की मांग की है.
समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक, असम राइफल्स ने इन आरोपों को खारिज़ करते हुए इसे भ्रामक और दुर्भावनापूर्ण बताया है.
बताया गया है कि इस संबंध में एक पत्र 18 अक्टूबर को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को भेजा गया है. इस पत्र में भाजपा की मिज़ोरम इकाई ने दावा किया है कि 12 अक्टूबर से 17 अक्टूबर तक उनके आधिकारिक दौरे के दौरान रोडिंगलियाना की गाड़ी और उनके काफिले को असम राइफल्स द्वारा तीन बार रोका गया था.
पत्र के अनुसार, पहली घटना 12 अक्टूबर को हुई, जब अर्धसैनिक बल ने कथित तौर पर सैतुअल जिले के कावल्बेम गांव के पास मंत्री के काफिले को उस समय रोक दिया, जब वह एक सार्वजनिक बैठक के लिए जा रहे थे.
पत्र में आरोप लगाया गया है कि एक असम राइफल्स के कर्मी, जो नशे में लग रहे थे, ने मंत्री और उनके गाड़ी पर लगे तिरंगे झंडे का अपमान किया. एक छोटी बहस के बाद नशे में धुत्त कर्मियों को राज्य पुलिस द्वारा ले जाया गया, लेकिन कुछ ही समय बाद बिना किसी कार्रवाई के रिहा कर दिया गया.
पत्र में दावा किया गया है कि मंत्री के काफिले को 14 और 17 अक्टूबर को सैतुअल जिले के नगोपा गांव और आइजोल के पास बुंगबंगला के पास असम राइफल्स द्वारा फिर से रोका गया था.
राज्य भाजपा अध्यक्ष वनलालहमुआका और भाजपा विधायक दल के नेता डॉ. के बेइचुआ द्वारा हस्ताक्षरित इस पत्र में कहा गया है, ‘मिज़ोरम भारत के सबसे शांतिपूर्ण राज्यों में से एक है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि असम राइफल्स ने निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ दुर्व्यवहार किया. हम इस घटना की कड़ी निंदा करते हैं और इसमें शामिल लोगों के लिए उचित सज़ा की मांग करते हैं.’
राज्य भाजपा ने गृह मंत्रालय से इसमें शामिल लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने और अर्धसैनिक बल को निर्वाचित प्रतिनिधियों और मिज़ोरम के लोगों के प्रति उचित सम्मान दिखाने के निर्देश देने का आग्रह किया है.
इससे पहले मुख्यमंत्री लालदुहोमा के मंत्रिमंडल में कई विभाग संभालने वाले मंत्री रोडिंगलियाना ने आरोप लगाया था कि सैतुअल और चंफाई जिलों के दौरे के दौरान उनके काफिले को कई बार रोका गया. उन्होंने दावा किया कि राष्ट्रीय ध्वज दिखाने और अपनी पहचान बताने के बावजूद असम राइफल्स के जवानों ने तीन बार उनका नाम पूछा और उनकी गाड़ी रोकी.
असम राइफल्स ने भाजपा नेता पर ही लगाए आरोप
इन आरोपों से इनकार करते हुए, असम राइफल्स ने दावा किया है कि मंत्री का काफिला स्वेच्छा से एक ऐसे स्थान पर रुका, जहां नियमित जांच की जा रही थी और उन्होंने मानक प्रक्रियाओं के अनुसार उन्हें स्पष्ट रास्ता दिया था. अर्धसैनिक बल ने दावा किया कि मंत्री के निजी सचिव ने असम राइफल्स के कर्मियों के साथ कहासुनी की और उनसे जबरन बॉडी कैमरा छीन लिया.
इसके अलावा, असम राइफल्स ने कहा है कि कावल्बेम गांव के पास ड्यूटी पर तैनात जवान नशे में नहीं थे. उन्होंने दावा किया कि मंत्री की टीम एक जवान को जबरन पास के गांव में ले गई और स्थानीय कमांडर के हस्तक्षेप के बाद उसे रिहा किया गया.
असम राइफल्स ने यह भी आरोप लगाया कि 17 अक्टूबर की बहस के बाद राज्य भर में उनके ठिकानों और चौकियों पर कई घंटों तक बिजली आपूर्ति बाधित रही, मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद ही बिजली आपूर्ति बहाल हुई.
निशाने पर असम राइफल्स
गौरतलब है कि सालभर से अधिक समय से हिंसा से जूझ रहे पड़ोसी मणिपुर में असम राइफल्स को कर बार भेदभाव के आरोपों का सामना करना पड़ा है.
असम राइफल्स पर कुकी समुदाय, जिनमें से अधिकांश चूड़ाचांदपुर जिले में रहते हैं, के प्रति पक्षपातपूर्ण होने का आरोप लगाया गया है. ऐसा कहा जाता है क्योंकि असम राइफल्स, जो परंपरागत रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में तैनात है, वहां के निवासियों के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाती है.
खुद राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह उन कई भारतीय जनता पार्टी नेताओं में शामिल हैं, जो मेईतेई समुदाय से आते हैं और जिन्होंने असम राइफल्स पर कुकी समुदाय के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया है.
पिछले साल अगस्त में उनकी मांग पर ध्यान देते हुए राज्य सरकार ने कुकी बहुल चूड़ाचांदपुर जिले के कई चेक-पोस्टों, जहां जिले की सीमा मेईतेई बहुल बिष्णुपुर जिले से मिलती है, पर असम राइफल्स की जगह सीआरपीएफ और राज्य पुलिस को तैनात किया था.
इसी साल जनवरी में राज्य के कुल 60 में से 32 विधायकों ने केंद्र सरकार से आग्रह किया था कि राज्य में असम राइफल्स के बदले कोई और बल तैनात किया जाए. जुलाई महीने में राज्य के जातीय संघर्ष में सबसे आगे रहने वाले मेईतेई महिलाओं के समूह, मीरा पाइबीज़ ने इंफाल में एक विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें राज्य के सुरक्षा बलों से असम राइफल्स को हटाने की मांग की गई और सेना इकाई पर राज्य में संघर्ष को लंबा खींचने का आरोप लगाया.
हालांकि, भारतीय सेना के तहत काम करने वाले असम राइफल्स ने मेईतेई समुदाय के इस आरोप का कई बार खंडन किया है.
असम राइफल्स ने पिछले साल अगस्त में मणिपुर हिंसा के दौरान बल के खिलाफ ‘अपमानजनक आरोप’ लगाने और उसे राज्य से हटाने की मांग करने के लिए रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के नेता महेश्वर थौनाओजम को कानूनी नोटिस जारी किया था.
हालांकि, इस साल अगस्त में केंद्र सरकार ने चूड़ाचांदपुर ज़िले में असम राइफल्स की जगह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की तैनाती करने का फैसला किया था, जिसके ख़िलाफ़ जिले में व्यापक विरोध प्रदर्शन देखा गया और कई स्थानीय संगठनों ने केंद्र से इस पर पुनर्विचार करने का आग्रह भी किया था.