जेएनयू ने फिलिस्तीन, लेबनान और ईरान के राजदूतों के कार्यक्रम रद्द किए, कहा- विरोध भड़का सकते हैं

जेएनयू के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज़ के सेंटर फॉर वेस्ट एशियन स्टडीज़ द्वारा पश्चिम एशियाई देशों में चल रहे संघर्ष पर तीन सेमिनार होने थे, जिनमें ईरानी, फिलिस्तीनी और लेबनानी राजदूतों को अलग-अलग शामिल होना था. बताया गया है कि विरोध की आशंका के चलते इन्हें रद्द कर दिया गया.

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय. (फोटो साभार: Wikimedia Commons/GS Meena/CC BY-SA 3.0)

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने गुरुवार (24 अक्टूबर) को ‘अपरिहार्य परिस्थितियों’ का हवाला देते हुए भारत में ईरानी, ​​फिलिस्तीनी और लेबनानी राजदूतों के सेमिनार रद्द कर दिए.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ये कार्यक्रम पश्चिम एशियाई देशों में चल रहे संघर्ष से संबंधित था और विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज (एसआईएस) के तहत स्थित सेंटर फॉर वेस्ट एशियन स्टडीज द्वारा आयोजित करवाया जाना था, जिनमें ईरानी, फिलिस्तीनी और लेबनानी राजदूतों को अलग-अलग संबोधित करना था.

इस संबंध में गुरुवार को भारत में ईरानी राजदूत- इराज इलाही का संबोधन होना था. इस सेमिनार में इलाही ‘ईरान पश्चिम एशिया में हालिया घटनाक्रमों को कैसे देखता है’ विषय पर बोलने वाले थे. लेकिन इस कार्यक्रम के कुछ घंटे पहले ही सेमिनार समन्वयक सीमा बैद्य ने छात्रों को ईमेल के जरिये इसके रद्द होने की सूचना दे दी.

इस ईमेल में बैद्य ने फिलिस्तीन में हिंसा पर 7 नवंबर को होने वाले सेमिनार को भी रद्द करने की घोषणा की है, जिसे फिलिस्तीनी राजदूत अदनान अबू अल-हैजा संबोधित करने वाले थे. साथ ही, 14 नवंबर को लेबनान की स्थिति पर होने वाले सेमिनार को भी रद्द करने की जानकारी दी गई है. इस सेमिनार को लेबनान के राजदूत डॉ. रबी नरश संबोधित करने वाले थे.

ईरानी और लेबनानी दूतावासों के सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सेमिनार रद्द करने का निर्णय विश्वविद्यालय द्वारा लिया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार,सूत्रों ने इस कार्यक्रम को रद्द करने की वजह एसआईएस की सीनियर फैकल्टी की ओर से उठाई गई चिंताओं को बताया. उनका मानना है कि ये सेमिनार अपने ध्रुवीकरण वाले विषयों के चलते यूनिवर्सिटी कैंपस में विरोध भड़का सकते हैं.

विश्वविद्यालय के एक सूत्र ने अखबार से कहा, ‘इस तरह के सेमिनारों का उद्देश्य वर्तमान भू-राजनीतिक माहौल के बीच पश्चिम एशियाई देशों के परिप्रेक्ष्य में अंतर्दृष्टि (insight) प्राप्त करना था. हालांकि, इस बात को लेकर चिंताएं थीं कि इस पर छात्रों की कैसी प्रतिक्रिया होगी.’

गुरुवार को सभी एसआईएस केंद्रों के अध्यक्षों को भेजे गए संदेश में एसआईएस डीन अमिताभ मट्टू ने कहा, ‘हम एक तनावपूर्ण वैश्विक माहौल में रह रहे हैं, जहां भावनाएं आसानी से भड़क सकती हैं. यह आपसे अनुरोध है कि आप किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम के लिए स्कूल में किसी भी राजनयिक को आमंत्रित करने से पहले डीन को इस बात की जानकारी दें.’

आगे उन्होंने ये भी कहा कि यूनिवर्सिटी कैंपस में आने वाले सभी आगंतुक खासकर राजदूत स्तर के सदस्यों को उचित प्रोटोकॉल दिया जाए. इसके बाद डीन ने पश्चिम एशियाई अध्ययन केंद्र की अध्यक्ष समीना हमीद से बात करने को कहा. हमीद ने कहा, ‘ईरानी राजदूत के साथ सेमिनार बुधवार (23 अक्टूबर) को स्थगित कर दिया गया था, जबकि बाकी दो सेमिनार अभी आधिकारिक रूप से निर्धारित नहीं थे.’

हमीद के मुताबिक, फिलिस्तीनी राजदूत की बातचीत और लेबनानी राजदूत की बातचीत के लिए सेमिनार केंद्र ने आधिकारिक रूप से अभी कुछ भी निर्धारित नहीं किया था. ईरानी राजदूत के साथ सेमिनार के लिए केंद्र ने सूचित किया था कि इसे स्थगित कर दिया जाएगा क्योंकि ये बहुत आखिरी समय में आयोजित किया गया था, और हम सभी राजदूतों को दिए जाने वाले प्रोटोकॉल का पालन करने की स्थिति में नहीं थे.

हमीद ने आगे कहा, ‘…ये राजदूत लंबे समय से हमारे विश्वविद्यालय में आते रहे हैं और वे आते रहेंगे और छात्रों से बातचीत करते रहेंगे.’