नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह उस ऑडियो रिकॉर्डिंग की जांच करेगा, जिसमें कथित तौर पर राज्य में सांप्रदायिक हिंसा में मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की भूमिका की ओर इशारा किया गया है.
मणिपुर में हिंसा पर केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित जांच आयोग को सौंपी गई ऑडियो रिकॉर्डिंग– जो 2023 में बीरेन के आधिकारिक आवास पर हुई एक बैठक की है- के बारे में इस साल की शुरुआत में द वायर की संगीता बरुआ पिशारोती ने रिपोर्ट की एक श्रृंखला लिखी थी.
हालांकि द वायर यह स्वतंत्र तौर पर रिकॉर्डिंग में आ रही आवाज के वास्तव में बीरेन सिंह के होने की पुष्टि नहीं कर पाया था, लेकिन उस मीटिंग में शामिल कुछ लोगों से स्वतंत्र तौर पर इस मीटिंग की तारीख, इसके विषय और इसमें की गई बातों पुष्टि की है. उनमें से कोई भी अपनी सुरक्षा पर खतरे के डर से पहचान को उजागर नहीं करना चाहता था.
ऑडियो रिकॉर्डिंग में सुनाई देने वाले कई भड़काऊ बयानों में से एक में यह दावा किया गया है कि यूएपीए के तहत प्रतिबंधित कम से कम दो मेईतेई संगठनों को सुरक्षा बलों के साथ लाया गया था, घातक विनाशकारी गोला-बारूद के इस्तेमाल का समर्थन किया गया था और इस बात का कोई सबूत नहीं है कि वायरल टेप में निर्वस्त्र परेड कराने वाली दो कुकी महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था.
मणिपुर में पिछले डेढ़ साल से जातीय संघर्ष चल रहा है, जिसके कारण 226 लोगों की मौत हो गई, हजारों लोग विस्थापित हो गए और राज्य सांप्रदायिक आधार पर विभाजित हो गया.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में याचिकाकर्ता कुकी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट है, जिसका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता प्रशांत भूषण कर रहे हैं.
भूषण ने कहा कि चूंकि टेप में बीरेन की रिकॉर्डिंग है, जिसमें कथित तौर पर दावा किया गया है कि उन्होंने ‘उग्रवाद को बढ़ावा दिया और हथियार लूटने वालों को संरक्षण दिया’, इसलिए मणिपुर सरकार ऑडियो क्लिप की जांच नहीं कर सकती.
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने टेप की प्रामाणिकता साबित करने के लिए उस पर विस्तृत जानकारी मांगी है.
पीठ ने कहा, ‘हम याचिकाकर्ता को क्लिप की प्रामाणिकता दर्शाने वाली सामग्री दाखिल करने का अवसर देते हैं. वकील का कहना है कि क्लिप भी पेश की जानी चाहिए.’
बार एंड बेंच के अनुसार, टेप की जांच करने का न्यायालय का निर्णय केंद्र सरकार की ओर से उपस्थित सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता द्वारा याचिका पर कड़ी आपत्ति जताए जाने के बावजूद आया.
एसजी मेहता ने कहा, ‘जांच चल रही है. सीएम ने शांति सुनिश्चित करने के लिए सभी कुकी विधायकों से मुलाकात की, पर ह्विसिलब्लोअर शांति नहीं चाहते हैं. उनका इरादा आग को जलाए रखना है.’
मेहता ने मुख्य न्यायाधीश के साथ इस बात पर भी बहस की कि वे मणिपुर से दूर हैं और इस कारण उन्हें चीजों की वास्तविक जानकारी नहीं है.
एसजी मेहता ने कहा, ‘हमारी सीमा खुली हुई है और हम नहीं जानते कि ज़मीन पर क्या हो रहा है. मैं किसी अपमानजनक अर्थ में नहीं कह रहा लेकिन आपको नहीं पता कि वहां क्या स्थिति है.’
इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने जवाब दिया, ‘संवैधानिक न्यायालय के रूप में हमारा कर्तव्य है और हम चीजों को दबा नहीं सकते. हम यह भी जानते हैं कि मणिपुर में क्या हुआ. ऐसा इसलिए है क्योंकि हम वहां क्या हुआ है, इससे अनजान नहीं हैं. यही कारण है कि हम इस पर सुनवाई कर रहे हैं और इसे तुरंत खारिज नहीं किया. कम से कम अभी तो नहीं.’
(मणिपुर टेप्स पर द वायर की श्रृंखला का पहला, दूसरा, तीसरा, चौथा और पांचवा भाग यहां पढ़ा जा सकता है.)