नई दिल्ली: उत्तराखंड के हरिद्वार में उस समय विवाद खड़ा हो गया जब जिला प्रशासन ने राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर हर की पौड़ी घाट पर आयोजित एक कार्यक्रम में क्षेत्र के तीन मुस्लिम विधायकों को आमंत्रित किया. बताया गया है कि घाट का प्रबंधन करने वाली संस्था गंगा सभा ने कथित तौर पर इसका विरोध किया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, गंगा सभा ने तर्क दिया कि तीनों विधायकों को आमंत्रित नहीं किया जाना चाहिए था क्योंकि गैर-हिंदुओं को लंबे समय से घाट पर प्रवेश की अनुमति नहीं है और अंग्रेजों ने भी इसे हरिद्वार नगर अधिनियम 1935 के तहत एक नियम बना दिया था.
सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कई अन्य भाजपा नेताओं की मौजूदगी में आयोजित इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक कार्यक्रम और लाइट शो का आयोजन किया गया. प्रोटोकॉल के तहत हरिद्वार जिला प्रशासन ने पिरान कलियर से कांग्रेस विधायक फुरकान अहमद, लक्सर से बसपा विधायक मोहम्मद शहजाद और मंगलौर से कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन को आमंत्रित किया था. हालांकि, कोई भी विधायक इसमें शामिल नहीं हुआ.
गंगा सभा के एक सदस्य ने अखबार को बताया, ‘कुछ मुद्दे उठाए गए थे, लेकिन यह पुष्टि हो गई है कि कोई भी विधायक नहीं आ रहा है.’ उन्होंने आगे टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा, ‘सब कुछ ठीक रहा.’
बजरंग दल के राज्य समन्वयक अनुज वालिया ने कहा, ‘हमने विधायकों को आमंत्रित करने का कड़ा विरोध किया… प्रशासन ने गलती स्वीकार की और हमें बताया कि विधायक नहीं आएंगे.’
मोहम्मद शहजाद ने कहा, ‘हमें दक्षिणपंथी संगठनों के प्रतिरोध की परवाह नहीं है… हम गंगा और हर-की-पौड़ी की पवित्रता जानते हैं और उसका सम्मान करते हैं. मैं सरकारी कार्यक्रमों में नहीं जाता क्योंकि भाजपा नेता उन्हें हाईजैक कर लेते हैं और निर्वाचित प्रतिनिधियों की बात नहीं सुनी जाती.’
वहीं, काजी निजामुद्दीन ने कहा कि जब यह कार्यक्रम हुआ तो वह और अहमद राज्य में नहीं थे. उन्होंने कहा, ‘मैं पिछले कुछ हफ्तों से महाराष्ट्र में प्रचार कर रहा हूं. फुरकान अहमद भी महाराष्ट्र में प्रचार कर रहे हैं.’