हरियाणा के विश्वविद्यालय ने फ़िलिस्तीन संघर्ष पर जेएनयू की प्रोफेसर ज़ोया हसन की वार्ता रद्द की

हरियाणा के गुरुग्राम विश्वविद्यालय द्वारा प्रोफेसर ज़ोया हसन की फ़िलिस्तीन पर वार्ता रद्द करना किसी भारतीय संस्थान में हुई ऐसी पहली घटना नहीं है. इससे पहले जेएनयू और आईआईटी बॉम्बे द्वारा ऐसे सेमिनार और व्याख्यान रद्द किए जा चुके हैं.

गुरुग्राम विश्वविद्यालय. (फोटो साभार: आधिकारिक वेबसाइट)

नई दिल्ली: हरियाणा के गुरुग्राम विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान और लोक नीति विभाग (department of political science and public policy) द्वारा मंगलवार (12 नवंबर) को एक वार्ता का आयोजन किया जाना था, जिसका एजेंडा ‘समान अधिकारों के लिए फिलिस्तीनी संघर्ष: भारत और वैश्विक प्रतिक्रिया’ से जुड़ा था.

इस कार्यक्रम में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के राजनीतिक अध्ययन केंद्र की प्रतिष्ठित प्रोफेसर जोया हसन की वार्ता होनी थी, जिसे रद्द कर दिया गया.

इस संबंध में बीते शनिवार(10 नवंबर) को प्रोफेसर हसन को आयोजकों का फोन आया, जिसमें उन्हें सूचित किया गया कि विश्विविद्यालय द्वारा कोई आगे की तिथि तय किए बिना वार्ता रद्द कर दी गई है.

प्रोफेसर हसन को विश्वविद्यालय के उसी संकाय द्वारा संपर्क किया गया था, जिसने शुरू में भारत और दुनिया भर में फिलिस्तीनी संघर्ष के प्रति किस तरह की प्रतिक्रिया है, इस पर चर्चा की व्यवस्था करने में रुचि दिखाई थी.

इस मामले पर प्रोफेसर हसन ने द वायर को बताया कि उन्होंने फिलिस्तीन पर बोलने के निमंत्रण को तुरंत स्वीकार कर लिया था, हालांकि वो पहले से जानती थी और आशंकित भी थीं कि शायद ये कार्यक्रम न हो.

उन्होंने आगे कहा कि उनकी आशंका सच हुई और बिल्कुल वैसा ही हुआ. वो कहती हैं, ‘अगर ये वार्ता सामाजिक नीतियों आदि पर होती, तो लॉजिस्टिक से जुड़ी समस्याएं होने के बावजूद भी आयोजित होती. लेकिन फिलिस्तीन के लिए, ऐसा लगता है कि विभाग के अचानक से लॉजिस्टिक की सभी सुविधाओं से वंचित हो गया है.

ज्ञात हो कि विश्वविद्यालय में इस वार्ता की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति और मुख्य संरक्षक प्रोफेसर दिनेश कुमार द्वारा की जानी थी.

गौरतलब है कि यह पहली घटना नहीं है जब किसी भारतीय संस्थान में फिलिस्तीन पर वार्ता रद्द की गई हो.

अक्टूबर में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने ‘अपरिहार्य परिस्थितियों’ का हवाला देते हुए, अलग-अलग अवसरों पर भारत में ईरानी, ​​फिलिस्तीनी और लेबनानी राजदूतों द्वारा संबोधित किए जाने वाले तीन सेमिनार रद्द कर दिए थे.

सेमिनार पश्चिम एशियाई देशों में चल रही हिंसा को संबोधित करने के लिए थे और विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज (एसआईएस) के तहत स्थित सेंटर फॉर वेस्ट एशियन स्टडीज द्वारा आयोजित किए गए थे. इस कार्यक्रम को लेकर काथित तौर पर, वरिष्ठ संकाय सदस्यों ने सेमिनार के लिए चुने गए विषयों की ध्रुवीकरण प्रकृति के कारण परिसर में संभावित विरोध प्रदर्शन पर चिंता व्यक्त की थी.

इससे पहले नवंबर 2023 में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे ने प्रोफेसर अचिन वानाइक द्वारा ‘इज़रायल-फिलिस्तीन: द हिस्टोरिकल कॉन्टेक्स्ट’ नामक एक निर्धारित व्याख्यान रद्द कर दिया था. प्रोफेसर के कथित तौर पर हमास और फिलिस्तीन समर्थक रुख को लेकर बढ़ते विवाद के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया था.

6 अक्टूबर, 2023 से फिलिस्तीन पर जारी इज़रायली हमले को लेकर सात भारतीय राज्यों ने फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए हैं.

वेबसाइट आर्टिकल-14 ने 17 एफआईआर के बारे में बताया है, जिसमें 51 लोगों पर भारतीय दंड संहिता, नई शुरू की गई भारतीय न्याय संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. ये मामले फिलिस्तीन समर्थक रैलियां आयोजित करने और समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने को लेकर दर्ज किए गए हैं.

गौर करें कि यह कार्रवाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सितंबर 2024 में फिलिस्तीन के लोगों को भारत के ‘अटूट समर्थन’ का वादा करने के बावजूद आई हैं. प्रधानंत्री ने न्यूयॉर्क और संयुक्त राष्ट्र की अपनी यात्रा के दौरान फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास के साथ बातचीत की थी.

हालांंकि, भारत ने संयुक्त राष्ट्र के उस प्रस्ताव से दूरी बना ली थी, जिसमें इजरायल से अगले 12 महीनों के भीतर कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों को खाली करने का आह्वान किया गया था.

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