मणिपुर: ताज़ा तनाव के बीच इंफाल घाटी और जिरीबाम के छह थाना क्षेत्रों में फिर लगा आफस्पा

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मणिपुर में हिंसा की हालिया घटनाओं के बाद इंफाल घाटी और जिरीबाम के छह थानाक्षेत्रों को आफस्पा के तहत ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किया. इन क्षेत्रों से साल 2022 में आफस्पा हटाया गया था.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: एक्स/@manipur_police)

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मणिपुर की इंफाल घाटी और जिरीबाम के छह पुलिस थाना क्षेत्रों को सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम या आफस्पा के तहत गुरुवार (14 नवंबर) को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किया है.

इसकी घोषणा मणिपुर में सोमवार से शुरू हुई हिंसा में वृद्धि के कुछ दिनों बाद हुई है, जहां सुरक्षा बलों ने दावा कि उन्होंने जिरीबाम में उन्होंने एक हमले की जवाबी कार्रवाई में दस ‘हथियारबंद उग्रवादियों’ मार गिराया था. 12 नवंबर को इलाके से दो मेईतेई पुरुषों के शव बरामद किए गए. इलाके से तीन बच्चों सहित मेईतेई समुदाय के छह लोग अभी भी लापता हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई ने मंगलवार को बताया कि पुलिस के अनुसार जिरीबाम में हिंसा के बाद इंफाल घाटी में कई स्थानों से सशस्त्र समूहों द्वारा एक-दूसरे पर गोलीबारी की घटनाएं सामने आईं.

गृह मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जिन छह क्षेत्रों को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किया गया है, वहां से 2022 में आफस्पा हटाया गया था. अब मंत्रालय ने कहा कि समन्वित सुरक्षा अभियान चलाने और यहां उग्रवादी समूहों की गतिविधियों को रोकने के लिए फिर से आफस्पा लागू करना आवश्यक है.

अपनी अधिसूचना में मंत्रालय ने कहा कि मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के कारण स्थिति अस्थिर बनी हुई है और जिन जिलों में छह पुलिस थाने स्थित हैं, उनके हिंसाग्रस्त सीमांत क्षेत्रों में रुक-रुक कर गोलीबारी जारी है.

इसमें कहा गया है कि इन क्षेत्रों में हिंसा के जघन्य कृत्यों में विद्रोही समूहों की सक्रिय भागीदारी के कई उदाहरण भी सामने आए हैं.

इन छह पुलिस थानों में – इंफाल पश्चिम जिले में सेकमाई और लामसांग, इंफाल पूर्व में लामलाई, जिरीबाम जिले में जिरीबाम, कांगपोकपी में लीमाखोंग और बिष्णुपुर में मोइरांग शामिल हैं.

उल्लेखनीय है कि आफस्पा ‘अशांत क्षेत्रों’ में तैनात सेना और केंद्रीय बलों को कानून के खिलाफ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को मारने, गिरफ्तारी और बिना वॉरंट के किसी भी परिसर की तलाशी लेने का अधिकार देता है. साथ ही केंद्र की मंजूरी के बिना अभियोजन और कानूनी मुकदमों से सुरक्षा बलों को सुरक्षा भी प्रदान करता है.

इंफाल घाटी और जिरीबाम के कुल 19 पुलिस थाना क्षेत्रों से अप्रैल 2023 में आफस्पा वापस ले लिया गया था, जो राज्य के मेईतेई और कुकी-जो जातीय समूहों के बीच हिंसा भड़कने से एक महीने पहले की बात है. हालांकि, राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में आफस्पा लागू है.

मणिपुर सरकार ने 27 सितंबर 2023 को मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में आफस्पा को छह महीने का विस्तार दिया था, जबकि इंफाल घाटी के 19 थानों और असम की सीमा से सटे एक इलाके को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है. जिस पर आदिवासी संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई थी.

गुरुवार को अशांत क्षेत्र संबंधी अधिसूचना केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई थी, राज्य सरकार द्वारा नहीं.

मालूम हो कि 3 मई 2023 को मणिपुर में मेईतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद से अब तक लगभग 226 लोग जान गंवा चुके हैं, सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए हैं और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.