नई दिल्ली: मणिपुर की कैबिनेट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से 14 नवंबर की अपनी अधिसूचना की ‘समीक्षा करने और उसे वापस लेने’ को कहा है, जिसमें राज्य की इंफाल घाटी और जिरीबाम में छह पुलिस थाना क्षेत्रों को सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (आफस्पा) के तहत अशांत क्षेत्र घोषित किया गया है.
रिपोर्ट के अनुसार, मणिपुर के गृह विभाग में संयुक्त सचिव मायेंगबाम वीटो सिंह द्वारा हस्ताक्षरित शनिवार (16 नवंबर) को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि राज्य मंत्रिमंडल ने अधिसूचना पर चर्चा करने के लिए शुक्रवार को बैठक की और केंद्र सरकार से इसे ‘जनहित में’ वापस लेने के लिए कहने का फैसला किया.
हालांकि, इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया कि कैबिनेट ने अधिसूचना वापस लेना जनहित में क्यों तय किया.
उल्लेखनीय है कि आफस्पा ‘अशांत क्षेत्रों’ में तैनात सेना और केंद्रीय बलों को कानून के खिलाफ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को मारने, गिरफ्तारी और बिना वॉरंट के किसी भी परिसर की तलाशी लेने का अधिकार देता है. साथ ही केंद्र की मंजूरी के बिना अभियोजन और कानूनी मुकदमों से सुरक्षा बलों को सुरक्षा भी प्रदान करता है.
गुरुवार की अधिसूचना केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई थी, जबकि मणिपुर में अशांत क्षेत्र अधिसूचनाएं आमतौर पर राज्य सरकार द्वारा जारी की जाती हैं.
बता दें कि इंफाल घाटी और जिरीबाम के कुल 19 पुलिस थाना क्षेत्रों से अप्रैल 2023 में आफस्पा वापस ले लिया गया था, जो राज्य के मेईतेई और कुकी-जो जातीय समूहों के बीच हिंसा भड़कने से एक महीने पहले की बात है. हालांकि, राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में आफस्पा लागू है.
मणिपुर सरकार ने 27 सितंबर 2023 को मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में आफस्पा को छह महीने का विस्तार दिया था, जबकि इंफाल घाटी के 19 थानों और असम की सीमा से सटे एक इलाके को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है. जिस पर आदिवासी संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई थी.
इंफाल घाटी में हिंसक विरोध प्रदर्शन
शनिवार को मणिपुर की राजधानी इंफाल में इस सप्ताह की शुरूआत में जिरीबाम में छह लोगों के कथित अपहरण के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए. कुछ संगठनों का कहना है कि अपहरण ‘उग्रवादियों’ द्वारा किया गया.
राज्य पुलिस ने बताया कि भीड़ ने शहर में रहने वाले कई विधायकों के घरों में तोड़फोड़ की और आंसू गैस का इस्तेमाल करके उन्हें तितर-बितर किया गया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, शहर के बाहरी इलाके में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के निजी आवास को भी निशाना बनाया गया.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इंफाल घाटी में 13 विधायकों (जिनमें से नौ भाजपा के हैं) के घरों को निशाना बनाकर रात भर भीड़ ने आगजनी और हमले किए.
पुलिस ने बताया कि जैसे ही हिंसा कम होती दिख रही थी, तभी भाजपा विधायक कोंगखम रोबिंद्रो से मिलने की मांग कर रही भीड़ ने रविवार शाम इंफाल पश्चिम में उनके पैतृक घर में तोड़फोड़ की.
शनिवार को निंगथौखोंग में लोक निर्माण मंत्री गोविंददास कोंथौजम के घर, लैंगमेइदोंग बाजार और थौबल में भाजपा विधायक वाई राधेश्याम और पाओनम ब्रोजेन के घर, तथा इंफाल पूर्व में कांग्रेस विधायक टी. लोकेश्वर के घरों में या तो तोड़फोड़ की गई या उन्हें जला दिया गया.
सूत्रों ने बताया कि प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने एनपीपी के काकचिंग विधायक मायांगलमबाम रामेश्वर सिंह पर हमला किया.
इंफाल घाटी के पांच जिलों में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने इंफाल घाटी के पांच जिलों में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू कर दिया है – जो कि मेईतेई बहुल है – और इन जिलों के साथ-साथ कुकी बहुल जिलों कांगपोकपी और चूड़ाचांदपुर में इंटरनेट सेवाओं पर भी रोक लगा दी है.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, पुलिस ने इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम और बिष्णुपुर जिलों में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू और इंटरनेट प्रतिबंध के बीच तोड़फोड़ और आगजनी के आरोप में 23 लोगों को गिरफ्तार किया है. उनके पास से एक .32 पिस्तौल, सात राउंड गोलियां और आठ मोबाइल फोन जब्त किए गए हैं.
सेना और असम राइफल्स द्वारा हिंसा से तबाह हुए इलाकों में फ्लैग मार्च के दौरान उपद्रवियों पर की गई कार्रवाई में आठ नागरिक घायल हो गए.
उधर, जिरीबाम में – जहां ताजा हिंसा की शुरुआत 7 नवंबर को सशस्त्र घुसपैठियों द्वारा एक आदिवासी महिला के साथ कथित रूप से बलात्कार करने और उसे जलाकर मार डालने, तथा 11 नवंबर को सीआरपीएफ द्वारा कथित 10 हमार ‘उग्रवादियों’ को मार गिराने से हुई थी, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने आरोप लगाया कि शनिवार देर रात कम से कम पांच चर्च, एक स्कूल, एक ईंधन पंप और 14 कुकी-जो घरों को आग के हवाले कर दिया गया.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने कहा कि जिरीबाम में सुरक्षा बलों के साथ झड़प के दौरान गोलीबारी में एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई.
अधिकारियों ने बताया कि कांग्रेस और भाजपा के कार्यालयों और जिरीबाम के निर्दलीय विधायक के घर में प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने तोड़फोड़ और आगजनी की.
ज्ञात हो कि 3 मई 2023 को मणिपुर में मेईतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद से अब तक लगभग 226 लोग जान गंवा चुके हैं, सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए हैं और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.